ग्राम प्रधान ने हड़पी गाँव की सरकारी जमीन व भवन निर्माण कर बैंक को किराए पर देकर भर रहा अपनी जेब

खबर यूपी के अमेठी से है जहां एक ग्राम प्रधान द्वारा ग्राम समाज की जमीन की जमीन पर कब्जा कर भवन का निर्माण करा लिया और उसे किराए पर देकर अपनी जेब भरकर सरकार को चूना लगा रहा है। शासन द्वारा तमाम तरह की योजनाएं संचालित की जा रही हैं इन योजनाओं का क्रियान्वयन ग्राम पंचायत के माध्यम से किया जाता है जिससे आम जनता लाभान्वित हो सके लेकिन कई ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधि के रूप में कार्यरत ग्राम प्रधान के द्वारा तमाम तरह की अनियमितताएं लगातार देखने को मिल रही है जिसके चलते जनता एवं समाज हित की बात कोसों दूर होती है ।

ऐसा ही एक मामला अमेठी जिले की सदर तहसील व ब्लॉक गौरीगंज के ग्राम सभा सेंभुई में देखने को मिला है जहां पर खुद ग्राम प्रधान ने ग्राम सभा की जमीन पर अवैध कब्जा करते हुए उस पर बिल्डिंग बनवा लिया और उस बिल्डिंग को कूट रचित ढंग से एग्रीमेंट करके उत्तर प्रदेश बड़ौदा पूर्वी ग्रामीण बैंक सेंभुुई जिला अमेठी के सुपुर्द कर ₹4000 प्रति माह पिछले 5 वर्षों से किराया भी उसूल कर रहे हैं। ग्राम समाज की सरकारी जमीन ग्राम प्रधान द्वारा इस प्रकार हड़पने की शिकायत गांव वालों के द्वारा जिले के अधिकारियों से की गई जिस पर कोई माकूल कार्यवाही न हो पाने के चलते ग्रामीणों को हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ लखनऊ ने एक आदेश जारी करते हुए जिलाधिकारी को 3 महीने के अंदर मामले को निस्तारित करने का निर्देश 20 दिसंबर 2019 को ही दिया। दिसंबर महीने में हुए इस आदेश पर जिला अधिकारी अमेठी ने 13 फरवरी 2020 को पूरे प्रकरण की जांच जिला कृषि अधिकारी अमेठी से कराई। जांच में संबंधित ग्राम प्रधान भूपेंद्र सिंह प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए जिसके अनुक्रम में जिलाधिकारी अमेठी द्वारा संबंधित ग्राम प्रधान को पिछली 22 जुलाई को पत्र लिखकर साफ तौर पर अवगत कराया कि आपके विरुद्ध प्राप्त शिकायती पत्र के आधार पर जिला कृषि अधिकारी के द्वारा जांच कराई गई जांच में उपलब्ध कराई गई आख्या के परीक्षण उपरांत आप कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक शाखा सेंभुई के साथ किरायेदारी जारी का अनुबंध करके प्राप्त किराए की रकम का उपयोग करने, अवैध रूप से सरकारी भूमि पर कब्जा करने के साथ-साथ पदेन दायित्वों के निर्वहन में चूक बरतने के प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए हैं । अतः आपको अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए अंतिम मौके के रूप में 15 दिनों का समय दिया जाता है। ऐसे में यदि आपके द्वारा किसी प्रकार का माकूल जवाब न मिलने की दशा में उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम 1947 में निहित प्रावधानों के अंतर्गत कार्यवाही प्रस्तावित कर प्रधान पद के वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकारों को प्रतिबंधित करते हुए ग्राम पंचायत के 3 सदस्यों की समिति गठित कर दी जाएगी।

अब यहां ग्राम प्रधान की ढिठाई देखिए कि जिलाधिकारी द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस का समय 7 अगस्त को ही पूरा हो गया इसके बाद भी अभी तक किसी भी प्रकार का कोई जवाब नही दिया गया जिससे फाइल ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। समय सीमा बीतने के बाद भी जवाब न देना ये साबित करता है कि कहीं न कहीं से किसी बड़े स्तर का हाथ ग्राम प्रधान के ऊपर है जिसकी कृपा से उसे चिंतित होने की जरूरत नहीं है।

उपर्युक्त मामले को माननीय उच्च न्यायालय से लेकर जिलाधिकारी स्तर तक की लड़ाई लड़ने वाले समाजसेवी मनीष तिवारी ने बताया की मेरे ग्राम सभा के वर्तमान ग्राम प्रधान भूपेंद्र प्रताप सिंह के द्वारा ग्राम पंचायत सेंभुई की गाटा संख्या 513 जो नवीन परती के खाते की भूमि है । जिसमें ग्राम प्रधान के द्वारा अवैध रूप से व्यवसायिक प्रतिष्ठान बनाकर कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर उनके द्वारा बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक से अनुबंध करा कर ₹4000 प्रतिमाह किराया लिया जा रहा है और वह किराया ग्राम प्रधान के द्वारा अपने निजी उपयोग में निरंतर प्रयोग किया जा रहा है। जिसकी शिकायत मेरे द्वारा जिलाधिकारी अमेठी के समक्ष प्रस्तुत की गई परंतु जब उस पर अपेक्षित कार्यवाही नहीं की गई। तब मैंने माननीय उच्च न्यायालय लखनऊ में एक रिट योजित की जिसमें यह आदेश हुआ कि जिलाधिकारी महोदय 3 महीने के अंदर इसका निस्तारण करें लेकिन न्यायालय के आदेश को भी जिलाधिकारी कार्यालय ने धता बताते हुए मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

वहीं पर जिला पंचायत राज अधिकारी श्रेया मिश्रा से जब मैंने बात की तो उन्होंने बताया कि जो भी रिपोर्ट थी मैंने जिलाधिकारी महोदय को प्रेषित कर दी है। इस मामले में मैं कुछ भी नहीं कर सकती हूं। क्योंकि अभी तक जिला अधिकारी अमेठी के द्वारा कोई त्वरित कार्यवाही नहीं की गई है इसलिए मेरा अनुरोध है कि समाज हित को देखते हुए जिलाधिकारी महोदय इस पर तत्काल यथा आवश्यक सुसंगत कार्यवाही करें।

बाइट - प्रभात चंद्र त्रिपाठी उर्फ़ मनीष तिवारी (समाजसेवी)

इस पूरे प्रकरण पर जब जिला अधिकारी अमेठी अरुण कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि एक शिकायती पत्र मुझे प्राप्त हुआ था । जिसमें यह दर्शाया गया था कि सेंभुई के ग्राम प्रधान द्वारा सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर निर्माण कर लिया गया है। उसके पश्चात उस शिकायत पत्र की जांच की गई थी जो जिला कृषि अधिकारी द्वारा जांच की गई थी । उनकी प्रारंभिक जांच में कुछ आवकों की पुष्टि भी हुई थी जिसमें ग्राम प्रधान को नोटिस भी जारी किया गया था और 22 जुलाई को हमने नोटिस भी जारी किया था। जिसमें उनके स्तर से अभी कुछ दिन पहले जवाब दिया गया है। उनके दिए गए जवाब का परीक्षण किया जा रहा है और परीक्षण के आधार पर इसमें अग्रिम कार्यवाही की जाएगी।

बाइट - अरुण कुमार (जिलाधिकारी अमेठी)

अमेठी से अशोक श्रीवास्तव की रिपोर्ट