आदिवासी बहुल क्षेत्र की 9 मांगें पूरी होने पर ही कांग्रेस को देगे समर्थन:राजकुमार रोत


डूंगरपुर। जून को होने वाले राज्यसभा चुनावों में विधायकों की गेराबन्दी के बाद बीटीपी विधायकों ने भी कांग्रेस को समर्थन पर 9 सूत्री मांगों मानने पर ही समर्थन देने की बात कही।
दरसल प्रदेश की कांग्रेस सरकार में पिछले कुछ दिनों से चल रही उठापटक व विधायको की बाड़े बंदी के बाद डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा व सीमलवाड़ा के दोनों विधायक भी कांग्रेस के साथ होने पर बीजेपी ने तेखर हमले शुरू कर दिए। इस बीच बीटीपी के दोनों विधायको ने 9 सूत्री मांगों को मानने पर ही आगामी राज्यसभा में कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही।सागवाड़ा विधायक रामप्रसाद डेन्डोर व चौरासी विधायक राजकुमार रोत ने आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की विभिन्न मांगों को भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समक्ष रखा है।चौरासी विधायक राजकुमार रोत की ओर से जारी पत्र में बताया कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में महाराष्ट्र पैर्टन लागू किया जाएं। बजट घोषणा 2020-21 में की गई कडाना बेक वाटर से गेंजी घाटा के पेयजल परियोजना की प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति शीघ्र कराने,बजट घोषणा 2019-20 मोरन, भादर व वात्रक नदी पर श्रृंखलाबद्ध एनीकट की स्वीकृति दी जाने, वही घोड़िया का नाका व आम्बा कुंआ तालाब मरम्मत तथा नहर शुद्धिकरण की प्रशासनिक स्वीकृति जारी की जाने, रीट लेवल प्रथम की 1167 सीटों पर राज्यपाल की अधिसूचना के आधार पर 36 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले पात्र आदिवासी अभ्यर्थियों की नियुक्तियां हो, आदिवासियों के महाकुंभ बेणेश्वरधाम पर 80 प्रतिशत जमीन आदिवासी समाज के नाम दर्ज कराने, गोविंद गुरु के बांसिया धाम पर संग्रहालय की स्वीकृति जारी हो।
विधायक ने पत्र में बताया कि नर्सिंग भर्ती -2013 में एएनएम व जीएनएम के कटौती किए गए पदों को पुनः सृजित कर वंचित रहे अभ्यर्थियों की नियुक्तियां प्रदान की जाएं। अनुसूचित जाति व जनजाति आयोग नई दिल्ली की 28वीं रिपोर्ट में दिए गए सुझावों के अनुसार अनुसूचित जाति-जनजाति विधार्थियो की छात्रवृति माह की प्रथम तारीख को देय हो, सूचकांक के आधार पर छात्रवृति में बढ़ोतरी, बार-बार जाति प्रमाणपत्र की मांग को रख शीघ्रता से समस्याओ के निपटारे का विधायकों ने आग्रह किया है।