36 गढ़ सरकार की सख़्ती ऐसी की उनके राज्यों में पीड़ितों के लिए भी नहीं कोई दरियादिली..!

जीवन कि भीख मांगते बॉर्डर पर कुर्बान हुए सेवानिवृत्त शिक्षक, मौत का जिम्मेदार कौन..?

उमरिया। एक ओर कोरोना जंग में कोरोना योद्धाओं के स्वरूप में पुलिस को जगह जगह पूजा जा रहा है तो उनके सम्मान में फूल भी बरसाए जा रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर छत्तीसगढ़ पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया जहां इलाज के लिए बिलासपुर जा रहे उमरिया जिले के भरेवा गांव के 76 वर्षीय केशव प्रसाद मिश्रा को उनके परिजनों के साथ ही मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के घुटरीटोला अंतरराज्यीय सीमा पर उन्हें घण्टों रोक कर समय बर्बाद किया गया और अंततः केशव प्रसाद की ह्रदयघात से मौत हो गई, परिजनों ने बताया कि पिता ने भी गुजारिश की थी कि वे इलाज के लिए जा रहे हैं लेकिन वृद्ध पिता की बातों को छत्तीसगढ़ के सीमा पर तैनात पुलिस के जवानों ने नजरंदाज कर दिया था.

पास के बावजूद भी नहीं दी गई प्रवेश की अनुमति :

मिले जानकारी के अनुसार 11मई को राकेश मिश्रा ने पिता के इलाज छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित अपोलो चिकित्सालय में कराने के लिए अनुमाति ली उसके पश्चात 12 मई को अपने वाहन क्रमांक एमपी 54 सी 0506 से बिलासपुर के अपोलो हॉस्पिटल के लिए जिले के भरेवा गांव से निकले जहां छत्तीसगढ़ सीमा पर उनसे पास माँगा गया तो राकेश द्वारा चेक पोस्ट पर बैठे पुलिस के जवानों को जानकारी देते हुए शासन द्वारा जारी ई-पास को दिखाया गया तो वहां बैठे नुमाइंदों ने कह दिया की पढ़ नहीं सकते इसका प्रिंट लेकर आइए जिसे लेकर वहां घण्टों निवेदन-प्रतिवेदन का दौर जारी रहा लेकिन 36गढ़ के बॉर्डर में तैनात वर्दीधारियों का दिल नहीं पिघला और पीड़ित सहित परिजनों को आगे जाने की अनुमति नहीं दी.

बॉर्डर पर कुर्बान पिता का शव लेकर आये पुत्र :

इलाज के लिए छत्तीसगढ़ भी नहीं पहुंच पाए सेवानिवृत्त शिक्षक का छत्तीसगढ़ सीमा पर आना कानी के दौरान हुई लेट लतीफी की वजह से भरेवा निवासी केशव प्रसाद मिश्रा का ह्रदयाघात के कारण उनकी मौत हो गई जिसके बाद रोते बिलखते उनकी पत्नी और पुत्रों ने उनके शव को सीमा से वापस ले आया और आज उनका अंतिम संस्कार उनके गृह ग्राम भरेवा में कर दिया गया, वहीं परिजनों का आरोप है कि यदि समय रहते उन्हें सीमा में प्रवेश मिल गया होता तो आज उनके पिता जीवित होते.

नहीं काम आया ई पास :

आधा दर्जन से अधिक के बार आवेदन करने के बाद तो बमुश्किल आपातकाल के दौर में जारी होने वाला ई पास जारी होता है बावजूद इसके नागरिकों की व्यवस्था में बैठे सरकारी नुमाइंदों के अकड़ के आगे उन्हें अपने प्राण तक गंवाना पड़ जाता है जो उमरिया जिले के सेवानिवृत्त शिक्षक केशव प्रसाद मिश्र के साथ बीते दिन छत्तीसगढ़ के बॉर्डर पर हुआ.

मृतक ने भी किया था गुज़ारिश :

कोरोना महामारी के बीच छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने जिन सरकारी नुमाइंदों को अपने राज्य की सीमा पर जनता की समस्या के निपटारे का जिम्मा सौंपा है वे खुद ही नागरिकों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं, वहीं जो बात सामने आई है उससे पता लगा की मृतक सेवानिवृत्त शिक्षक ने भी गुजारिश की थी कि उन्हें इलाज के लिए अपोलो हॉस्पिटल जाना है लेकिन 78 वर्षीय वृद्ध की बातों को भी खाकीधारियों ने अनसुना कर दिया था.

प्रभारी राकेश को नहीं ई पास की जानकारी :

वहीं पीड़िता के बेटे निलेश मिश्रा व राकेश कुमार मिश्रा ने छत्तीसगढ़ घुटरीटोला बॉर्डर प्रभारी राकेश शर्मा एवं कमांडेंट के ऊपर आरोप लगाते हुए कहें कि जब ई-पास की जानकारी बॉडर पर तैनात जवानों को नहीं है तो इन्हें बॉर्डर पर क्यू बैठा दिया गया, ई-पास को दिखाने के बावजूद सेंट्रल हॉस्पिटल नही जाने देने से हुई है मेरे पिता की मृत्यु दोषियों के खिलाफ हो कार्यवाही.

ख़ाकीधारियों के कारनामों पर एसडीएम की सफाई :

प्रशासनिक लापरवाही का पटापेक्ष करते हुए कोरबा जिले के मनेन्द्रगढ़ एसडीएम आर0पी0 चौहान ने बॉर्डर पर तैनात प्रभारी एवं कमांडेंट का बचाव कर जानकारी दी कि यहां सभी एजुकेटेड लोग हैं रोकने को लेकर कहा कि लगभग 5 से 7 मिनट ही रुके थे जो रिकॉर्ड में हैं समय महज पर्ची बनाने और पास चेक करने में ही लगता है ऐसा नहीं हुआ है हम चेक कर चुके हैं.

आलम यह है कि जिले के सेवानिवृत्त शिक्षक के मौत के बाद से अंतर्राज्यीय बॉर्डर पर चल रहे खेल का सच आ गया कि किस तरह पीड़ितों के साथ व्यवहार किया जाता है. वहीं बॉर्डर प्रभारी द्वारा ऎसी कौन सी प्रक्रिया की जा रही थी कि 2 घंटे लग गए और पीड़ित की जान चली गई.