जीआई वायर के फंदे में फंसकर हुई चीतल की मौत

जिम्मेदार कौन..? बीटीआर प्रबन्धन के कार्यशैली की खुली पोल..!

दुनिया भर में सहजता से बाघ और अन्य वन्यजीवों के दीदार के लिये प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक चीतल संदिग्ध परिस्थितियों में मृत अवस्था मे मिला, मामले को दबाने के प्रयास से मृत चीतल का पीएम कराकर उसे मंगलवार को आनन फानन में मीडिया से छिपाते हुए उसका दाह संस्कार बीटीआर प्रबन्धन द्वारा करा दिया गया.

विकाश शुक्ला/उमरिया। विश्व भर में सहज वन्यप्राणियों और बाघ दीदार के लिए मशहूर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के वन्यप्राणियों का जीवन पार्क प्रबन्धन और उसके अधीनस्थ कर्मचारियों के उदासीनता की बली चढ़ रहा है। लगातार सुर्खियों में छाए रहने वाले बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का हाल यह है कि यहां वन्य प्राणियो के अस्तित्व पर मौत की काली साया मंडरा रही है और पार्क प्रबन्धन को इससे कोई सरोकार नहीं है बल्कि वे टिकट के कालाबजारी कर अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं साथ ही सूत्रों की माने तो वे वीआईपी के नाम पर टिकट की कालाबजारी में व्यस्त हैं और यहां वन्य प्राणियों की हो रही मौत से उनके माथे में जरा भी सिकन नहीं झलक रही।

मामला क्या है..? :

मामला जिले के गौरवशाली राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ में बीते दिनों हुए चीतल के मौत से जुड़ा हुआ है, जहां सूत्रों की मानें तो बीटीआर में बीते 17 मार्च की सुबह लगभग 7 बजे हरदिया कैंप में पटपरहा नाला फैंस बाउंड्री के किनारे चीतल का शव मिला यही नहीं मृत चीतल के गले मे जीआई तार का फंदा भी लगा था, जिससे यह प्रमाणित हो रहा है कि शिकारियों द्वारा वन्यजीव के शिकार के लिए षड्यंत्र किया गया है जो कि अपने आप मे ही एक सवालियां प्रश्न अंकुश कर रहा है और ऐसे गम्भीर मामले वन्यजीवों की मौत में एहतियात बरतने से लेकर बीते दिनों मृत पाए गए चीतल की जिस फंदे में मौत हुई थी उसकी जांच कर खुलासा की होनी चाहिए।

निरंकुशता की वेदी पर पार्क अमला..! :

वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर निरंकुश और बेपरवाह होना अधिकारियों का वर्षों से जमे रहना भी एक वजह माना जा रहा है, सूत्रों की माने तो कई अधिकारी ऐसे हैं कि वे आज कई वर्षों से यहाँ जमे हुए हैं और सुरक्षा की कमान उन्हीं के हाथों है जबकि वे इतने निरंकुश हो गए है की महज सरकारी वाहन का तेल फूंक अपने दिनचर्या का कोरम पूरा कर रहे हैं क्योंकि यह बताया जा रहा है कि फंदा काफी पुराना है हालांकि इस बात की पुष्टि फोन पर एसडीओ(एफ)ने भी कर दिया कि जीआई वायर मिला है जो 8 महीने पुराना सड़ा-गला है उक्त फंदा छोटे जानवरों के लिए था।

पहले भी हो चुकी मौतें :

सूत्र बताते हैं कि जहां पर फंदे में फंसा चीतल पाया गया है उस क्षेत्र में पिछले कई वर्षो में 2-3 बाघो की भी मौत हो चुकी है, इससे पार्क अमले की सुरक्षा व्यवस्था और वन्यजीवों के प्रति चौकसी निगाहों को लेकर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। यहीं नहीं बीते कई वर्षों से जमे अधिकारियों पर अब ताला क्षेत्र में वन्यप्राणियों की मौत के बाद जो जनचर्चाएँ होती हैं उनमें वर्षों से जमे अधिकारियों को शिकार में संलिप्त होने की संदिग्धता की आशंका जताई जाती है। बहरहाल जो भी हो अब इस तरह की मौत से लेकर बाघों और अन्य वन्यप्राणियों की विगत वर्षों में बीटीआर के क्षेत्रों में हुई मौतों को लेकर स्पेशल टीम गठित कर निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए।

खतरे में बाघ समेत वन्यजीवों का अस्तित्व :

अधिकारियों की लचर व्यवस्था साबित करती है कि उनका उदासीन रवैया बाघों के साम्राज्य का अस्तित्व और वन्यजीवों के प्राणों पर आ रहे संकट को बचाने के लिए कारगर नहीं हैं, और एक दिन बीटीआर के वन्यप्राणियों का अस्तित्व समाप्त हो जाए इससे पहले कई वर्षों से कुण्डी मारकर बैठे अधिकारियों को दूसरे स्थानों पर स्थानांतरित किया जाए इसके साथ-साथ वहीं सूत्रों का कहना है की वर्षों से जमे होने के कारण अधिकारियों ने लगभग करोड़ों रुपए से आलीशान बंगले और बैंक बैलेंस की बेनामी सम्पत्ति जमा कर रखी है उसकी भी जांच होनी चाहिए।

इन्होंने कहा -

.मामले के जानकारी के लिए सम्पर्क साधने की दो बार कोशिश की गई, क्षेत्र संचालक के फोन की बेल बजती रही जवाब नहीं मिला - विन्सेन्ट रहीम, क्षेत्र संचालक, बाँधवगढ़.

.गस्ती में रात को पता चला था, पीएम कराकर दाह संस्कार कराया गया था, फंदा गले मे लगा था, 8-9 महीने पुराना सड़ा-गला फंदा था, सागर भेज रहे हैं, फंदा बाघ के लिये नहीं था छोटे जानवरों के हिसाब से था वो तो पता नहीं कैसे फंस गया पहले गाड़ी निकली तो नहीं था बाद में गाड़ी जब निकली तो मिला, बाकी जानकारी कल डॉक्टर की रिपोर्ट देखकर बताएंगे। - अनिल शुक्ला, एसडीओ(एफ), बीटीआर.