धान खरीदी से पहले बड़ा संकट; 48 घंटे बचे, लेकिन केंद्रों पर लटका ताला, सरकार की अग्निपरीक्षा!

रायपुर,छत्तीसगढ़ में धान खरीदी शुरू होने में अब सिर्फ 48 घंटे बाकी हैं, लेकिन हालात चिंताजनक हैं ना किसानों को टोकन का पता है, ना ही खरीदी केंद्रों के ताले खुले हैं। प्रदेश भर के सहकारी समितियों में सन्नाटा पसरा है। क्योंकि सहकारिता विभाग और कंप्यूटर ऑपरेटर संघ बीते 3 तारीख से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।

धान खरीदी केंद्रों में लटका ताला

धान खरीदी की तैयारियों पर अब बड़ा संकट खड़ा हो गया है। हर साल की तरह इस बार भी किसान अपनी मेहनत की फसल लेकर मंडियों की ओर देख रहे हैं, लेकिन खरीदी केंद्रों के गेट पर ताले लटके हैं और अंदर कोई व्यवस्था नहीं दिख रही। छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ और समर्थन मूल्य धान खरीदी ऑपरेटर संघ ने अपनी दो सूत्रीय लंबित मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

नियमितिकरण और वेतनमान की मांग

ये वही कर्मचारी हैं जो पिछले 18 सालों से लगातार किसानों की सेवा कर रहे हैं, लेकिन आज भी नियमितिकरण और वेतनमान की राह देख रहे हैं। संघ की मांग है कि धान खरीदी के दौरान सुखाई, परिवहन और सुरक्षा व्यय की पूरी राशि दी जाए। समितियों को समय पर भुगतान मिले,आउटसोर्सिंग नीति खत्म कर कंप्यूटर ऑपरेटरों को नियमित किया जाए, और मध्यप्रदेश की तर्ज पर हर साल समितियों को 3-3 लाख रुपये का प्रबंधकीय अनुदान दिया जाए।

कर्मचारियों का कहना है कि सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं को धरातल पर उतारने का असली काम समितियां ही करती हैं, लेकिन उन्हें ही उनके अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है।

अब सवाल बड़ा है। क्या सरकार किसानों और सहकारिता कर्मचारियों की इन जायज मांगों को सुनेगी, या फिर इस बार भी खरीदी केंद्रों के ताले ही किसानों की मेहनत का जवाब बनेंगे