हरि नाम का सहारा ही भव सागर से करेगा पार - तरंग जी महाराज 

मऊ (चित्रकूट) ; नगर पंचायत मऊ के टिकरा टोला में चल रही श्री मद भागवत कथा के कथा व्यास वृंदावन से आए तरंग जी महाराज के मुखारविंद से प्रथम दिवस के भावपूर्ण कथा से श्रोतागण भावविभोर हो गए। दिन शुक्रवार को कथा परीक्षित श्री राजनारायण द्विवेदी के आवास पर चल रही कथा के प्रथम दिवस में कथा वक्ता आचार्य तरंग जी महाराज ने कहा कि इस शरीर का मोह त्याग कर हरि भजन करना चाहिए। इस दौरान उन्होंने भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य सहित धुंधकारी कथा एवं भागवत माहात्म्य का सुंदर विवेचन किया। सुन्दर भावपूर्ण संगीतमय कथा से लोग भावविभोर हो गए। आचार्य तरंग जी महाराज ने कहा धुंधकारी कथा के दौरान कहा कि पाप कर्म का फल इसी जीवन में ही मिलता है। व्यक्ति को अपने जीवन में सदैव पुण्य कार्य करना चाहिए। पाप कर्म से दुर्गति सुनिश्चित है। धुंधकारी के पाप कर्मों से मुक्ति उसके भाई गोकर्ण द्वारा भागवत कथा सुनाने से ही हो सकी। धुंधकारी के पापों को गयाजी के श्राद्ध से भी खत्म नहीं किया जा सका। लेकिन उसे उसके कर्मों की सजा भी भोगनी पड़ी। कथा के मुख्य यजमान राजनारायण द्विवेदी पत्नी स्व० कलावती देवी हैं। कथा श्रवण के दौरान दिनेश द्विवेदी, राजेश द्विवेदी, अशोक द्विवेदी, कुल्लन, अवधनरेश त्रिपाठी, संतोष द्विवेदी, अनुज तिवारी, पत्रकार विष्णु देव त्रिपाठी, पूर्व प्रधान बुद्धसेन गौतम, संजय, रंजय, युवा छात्र नेता अभिनव द्विवेदी, विकास द्विवेदी, विपुल पांडेय सहित सैकड़ों की तादाद में लोग मौजूद रहे।