ज्ञान के मंदिरों में लिखी जा रही हैं सफलता की कहानी

ज्ञान के मंदिरों में लिखी जा रही हैं सफलता की कहानी
सवाई माधोपुर का सूचना केंद्र प्रतियोगी छात्रों के सपनों को ऊँचाइयों तक पहुँचाने में निभा रहा है अहम भूमिका


सवाई माधोपुर 31 अगस्त। वर्तमान डिजिटल युग में किताबों की महक और शांत वाचनालयों का महत्व कम नहीं हुआ है। राजस्थान में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सरकारी वाचनालय आज भी ज्ञान, नवाचार और अवसरों के द्वार खोल रहे हैं। यह केवल किताबों का ढेर नहीं, बल्कि हर उस सपने की नींव है जो शिक्षा के सहारे साकार होना चाहता है।

राज्य सरकार शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में सरकारी पुस्तकालयों का पुनरुद्धार हो रहा है, ताकि हर वर्ग के लोगों, विशेषकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं को पढ़ाई के लिए अनुकूल माहौल मिल सके।
इन वाचनालयों में साहित्य, विज्ञान, इतिहास, कला, शोध पत्रिकाएं और समाचार पत्र यहाँ उपलब्ध हैं। सबसे बड़ी बात?ये सब निःशुल्क। यही वजह है कि ये सरकारी वाचनालय आज भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए बड़ी ताकत बने हुए हैं।

सवाई माधोपुर का प्रेरक उदाहरण
राजस्थान सरकार के इन प्रयासों में सवाई माधोपुर के सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय का सूचना केंद्र स्थित वाचनालय एक चमकता हुआ उदाहरण है। "भविष्य की उड़ान" नवाचार के तहत पुनरुद्धार हुआ यह वाचनालय प्रतियोगी छात्रों के लिए वरदान साबित हो रहा है। यहां सुबह से शाम तक निःशुल्क, शांत और सुव्यवस्थित वातावरण में अध्ययन करने का अवसर मिलता है।

वाचनालय में आरामदायक बैठने की व्यवस्था, पर्याप्त प्रकाश, पंखे, ठंडे पानी की सुविधा और प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़ी किताबें, संदर्भ सामग्री, समाचार पत्र व पत्रिकाएँ उपलब्ध हैं। जहां एक साथ 100 से अधिक छात्र अध्ययन कर सकते हैं।

कई छात्रों का कहना है कि यह वाचनालय उन्हें महंगी कोचिंग या निजी लाइब्रेरी के खर्च से बचाता है और पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने का मौका देता है। आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए यह स्थान सपनों को पंख देने वाला केंद्र बन चुका है।

*ग्रामीण छात्र भी ले रहे लाभ*

यहाँ सिर्फ शहर के नहीं, बल्कि दूरदराज के ग्रामीण इलाकों से प्रतिदिन आने वाले छात्र भी पढ़ाई के लिए आते हैं। उनका कहना है कि यहाँ मिलने वाली शांति और संसाधन घर या हॉस्टल में संभव नहीं होते।
*पुस्तकालयों की बदलती भूमिका*
आज सरकारी पुस्तकालय सिर्फ किताबें देने तक सीमित नहीं हैं। ये ज्ञान के सागर में डुबकी लगाने का मौका देते हैं और छात्रों को नई दिशा दिखाते हैं। सवाई माधोपुर का यह उदाहरण बताता है कि सही संसाधन और माहौल किसी भी छात्र के सपनों को ऊँचाइयों तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। ज्ञान के इन मंदिरों के दरवाज़े आज भी हर उस व्यक्ति के लिए खुले हैं, जो उज्ज्वल भविष्य की तलाश में मेहनत करने को तैयार है।

किरोड़ी लाल मीना
वरिष्ठ सहायक
सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय सवाई माधोपुर।