शैक्षिक,सामाजिक,आध्यात्मिक केंद्र बन रहा सतनाम बाड़ा  विद्याडीह,

शैक्षिक,सामाजिक,आध्यात्मिक केंद्र बन रहा सतनाम बाड़ा विद्याडीह,कृष्णकुमार नवरंग। उक्त बातें सतनाम बाड़ा व गवर्नमेंट एम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन छ ग के सयुक्त तत्वाधान में आयोजित शूरवीर प्रतापी राजा बालकदास के जन्मजयंती समारोह मेंमुख्य अतिथि एवं प्रांताध्यक्ष कृष्णकुमार नवरंग ने कही । समारोह में मुख्यवक्ता के रूप में धीमंत शिवराम टंडन विकासखंड शिक्षा अधिकारीमस्तूरीविशिष्ट अतिथि डॉ गोवर्धन प्रसाद मार्शल वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता , कवि,धीमंत जगतारण डहरेव्याख्याता,एवं वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता,डॉ डीपी मेरसा कवि एवं वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता,धीमंत रवि निराला अ.प्रोफेसर, सामाजिक चिंतक,भागवत प्रसाद मेरसा,ओमप्रकाश राय वरिष्ठ सामाजिक चिंतक,गेवा के प्रदेश सचिव राधेश्याम टंडन व्याख्याता एवं सामाजिक चिंतक , धीमंत मन्नू कुर्रे संकुल समन्वयक,बसंत कुमार बंजारे व्याख्याता,हीरा चतुर्वेदी शिक्षक,गजेंद्र सोनवानी शिक्षक,विनोद रात्रे CAC,संतोष पाटले सरपंच विद्याडीह,सुन्दरलाल घृतलहरे,चौवन लाल गेंदलेऔर इसी प्रबोधन क्रम में नन्हे मुन्ने बच्चों ने भी अपने प्रतिभा का लोहा मनवाया और कार्यक्रम को सुशोभित किया।समारोह को मुख्य अतिथि धीमंत कृष्ण कुमार नवरंग जी ने उद्बबोधन में समाज को प्रेरित करनेवाली विशेष घटना की ओर इंगित करते हुए कहा की विश्व में राजा गुरु बालक दास एकमात्र ऐसे राजा हुए जिन्हें अंग्रेजों ने सतनामियों के प्रभुत्व को देखते हुए राजा की पदवी दी , जबकि अंग्रेजों ने अन्य राजाओं को लूटते रहे पदमुक्त किये उनके राजपाठ छीने ।आगे उन्होंने शिक्षा पर समाज के लोगों को विशेष ध्यान देने तथा इस हेतू महिलाओं की भूमिका सर्वोपरि है पर जोर दिये, बेहतर परिवार निर्माण कर समाज को दिशा देने के लिए एकजुट होने की बात कही।समारोह के मुख्य वक्ता धीमंत शिवराम टंडन जी ने सभा में उपस्थित समस्त लोगों को प्रबोधन करते हुए कहा कि हमें परिस्थितियां कितनी भी विकट हो बेहतर रास्ता तलाश करनी चाहिए शिक्षा एक मात्र माध्यम है जो हमें समाज में विशिष्ट स्थान प्रदान करती है इसलिए स्थिति कैसे भी हो हमें शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए डॉ बाबासाहेब अंबेडकर के कथन को उद्वित करते हुए कहा कि हम एक रोटी भले ही कम खाएं लेकिन बच्चों को जरूर पढ़ाएँ । उन्होंने राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर सरकार द्वारा चलाए जा रहे शिक्षण योजनाओं को विस्तार से जानकारी दिये । आज विद्यार्थियो को डिजिटल युग अध्ययन करना आसान हो गया है घर बैठे बच्चे नीट, आईआईटी।जेईई जैसे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी घर बैठे सिमित संसाधन में कर सकते हैं। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एवं कवि डॉक्टर गोवर्धन प्रसाद मार्शल ने मैं अपने जीवन अनुभव पर आधारित वाक्य को रखते हुए गुरु घासीदास और गुरु बालक दास के चलाए सतनाम आंदोलन के अनुरूप आचरण करने की बात कही। शिक्षक एवं सामाजिक कार्यकर्ता मन्नू कुर्रे जी ने समाज को मजबूत कैसे हो इस पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए उनके अपने अधिकारों को सुरक्षित करने अधिकारों के प्रति जागरूक होने और परस्पर एक दूसरे की भावनाओं को समझते हुए आगे बढ़ाने की बात विस्तार पूर्वक उदहारण सहित रखे । प्रबोधन के इस क्रम में प्रोफेसर रवि निराला जी ने संविधान प्रदत्त अधिकारो कर्तव्यों सजग- सचेत रहते हुए बेहतर समाज निर्माण में जिम्मेदारी पर बल दिये।डॉ बाबासाहेब अंबेडकर के विचारों और शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला कि कैसे शिक्षा ही एक मात्र ऐसी कुंजी है जो हर समस्या रुपी ताले को खोल सकती है समाज को संगठित रहने के लिए प्रेरित किया। हरीश पंडाल जी ने अपने अनुभव साझा किया उनके कथन ने लोगों को समाज के प्रति समानुभूति रखने एवं निरंतर चिंतन करते हुए व्यक्तिगत जीवन को बेहतर रखते हुए समाज उपयोगी बनने पर जोर दिया । टेकचंद पंडाल जी ने यह विशेष तौर पर कहा कि हमें समय के महत्व को समझना चाहिए और समय अनुरूप क्रियाशील होते हुए कार्य करनी चाहिए ताकि हम समय पर किसी कार्य को अंजाम दे सकें और उसके अनुरूप हमें उपलब्धि प्राप्त हो सके व्याख्याता एवं सामाजिक चिंतक कवि धीमंत जगतारन डहरे जी ने अपने ओजश्वी कविताओं के माध्यम से लोगों को उनकी भूमिका और गुरु बालकदास जी के शौर्य गाथाओं को कविता के माध्यम से सभा को मंत्रमुग्ध कर दिये।उनहोंने यह भी बताया कि कैसे उनके समय में और आज भी मनुष्य की गरिमा तारतार होती रही है उन रूढ़िवादी परंपराओं,अन्धविश्वास और विकृत मानसिकताओं से मानवता शर्मशार होता रहा और सतनाम विचारधारा अर्थात् मानवीय मूल्यों के सरंक्षक सतत संघर्ष कर रहे हैं प्रबोधन क्रम में बाड़ा के वरिष्ठ सहयोगी सुंदरलाल घृतलहरे ,चौहान लाल गेंदले और नन्हे मुन्ने बच्चों में यामिनी गेंदले, सोनम घृतलहरे, विशाल घृतलहरे, युवराज घृतलहरे,भावना घृतलहरे, प्राची गेंदले इन सब ने ऐसे तमाम गहरी बात कही जिन्हें दर्शक दीर्घा में उपस्थित समाज के लोगों ने सराहा सतनाम बाड़ा के संचालक बसंत जांगड़े गुरुजी एवं संचालिका कुसुमलता जांगड़े जी ने महिलाओं को नारी सशक्तिकरण सम्मान पत्र से अतिथियों के द्वारा सम्मानित कर महिलाओं की भूमिका को समाज नकार नहीं सकती यह अलग बात है कि शिक्षा आज भी महिलाओं की पहुँच में पुरुषों की अपेक्षा कम है महिलाओं ने इस बात को स्वीकार करते हुए स्वयं जितना शिक्षित है उसके अनुरुप बच्चों को शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की।संक्षेप में सबने सियान अर्थात् मुखिया के गुणों को विकसित करने पर सामुहिक स्वीकृति दिखी और गुरु बालकदास के राजा बनने के बाद गुरु घासीदास जी के इस आदेश को प्रासंगिक बताया"नवा जागरण नवा बिहान सबो बनव सियान कार्यक्रम का संचालन धीमंत विजय कुमार हिरवानी जी द्वारा किया गया सफल संचालन के दौरान उन्होंने गुरु घासीदास के विचार को तथागत गौतम बुद्ध के विचार के अनुरुप बताया तथा इस कथन।सत्य को सत्य और असत्य को आसत्य जानो।द्वारा उनके विचारों के एकरूपतासिद्ध किये।कार्यक्रम के अंत में बाड़ा के संचालक बसंत जांगड़े गुरु जी ने इस प्रबोधन सह बलिदानी राजा गुरु बालकदास जी के जन्मदिवस उत्सव कार्यक्रम के सफल आयोजन पर समस्त कार्यकर्ताओं को आभार व्यक्त करते हुए सभी को भोजन के लिए आमंत्रित किया कार्यक्रम में सबके भूमिका को अतुलनीय बताया।उन्हेंउन्होनें तत परस्पर सहयोग करते रहने की अपील की और साथ ही इसी तरह के सतनाम बाड़ा प्रत्येक गांव में खुले इसके लिए हमें एकजुट होकर मुहिम चलाने की ओर समाज चितकों का ध्यानाकर्षण किये तथा विशेष रूप से जगजीवनलाल घृतलहरे दिलहरन गंगीले मंहगू अंचल हुलास गेंदले एवं समस्त सतनाम बाड़ा की महिलाओं का आभार किया गया ।