दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के कुल 462 किलोमीटर रेलखंड में लागू की गई ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली

कोतरलिया - जामगा रेलखंड हुआ ऑटोमेटिक सिग्नलिंग प्रणाली से लैस

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के कुल 462 किलोमीटर रेलखंड में लागू की गई ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली

इस प्रणाली में एक सेक्शन में एक साथ कई ट्रेनों का किया जाता है परिचालन

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे यात्रियों के बेहतर, सुविधाजनक, सुरक्षित और आरामदायक यात्रा अनुभव प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है । यात्रियों को बेहतर सेवाएं देने के साथ-साथ क्षमता में वृद्धि के लिए आधुनिक एवं उन्नत तकनीक को अपनाया जा रहा है । इसी क्रम में अब स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली यानी ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है । ऑटोमेटिक ब्लॉक सिगनलिंग सिस्टम में दो स्टेशनों के निश्चित दूरी पर सिग्नल लगाए जाते हैं । नई व्यवस्था में स्टेशन यार्ड के एडवांस स्टार्टर सिग्नल से आगे लगभग एक किलोमीटर के अंतराल पर सिग्नल लगाए गए हैं । जिसके फलस्वरूप सिग्नल के सहारे ट्रेनें एक-दूसरे के पीछे चलती रहती है । अगर किसी कारण से आगे वाले सिग्नल में तकनीकी खामी आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाती है । जो ट्रेन जहां रहेंगी और वो जहां है वहीं रुक जाएंगी ।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में बिलासपुर?दगोरी, बिलासपुर?घुटकू, बिलासपुर?चांपा?गेवरा रोड, नागपुर?दुर्ग, भिलाई?कुम्हारी तथा कोतरलिया?जामगा सहित कुल 462 किलोमीटर रेलखंड पर ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली लागू की गई है । कोतरलिया से जामगा तक कुल 9 किलोमीटर लंबे इस खंड में चार लाइनें विद्यमान हैं, जिसमें कुल 36 ट्रैक किलोमीटर रेल लाइन को ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली से सुसज्जित किया गया है । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अन्य कई महत्वपूर्ण रेलखंडों में भी इस आधुनिक प्रणाली की स्थापना का कार्य प्रगति पर है ।

ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम के लागू हो जाने से अब एक ही ब्लॉक सेक्शन में एक ही मार्ग पर एक से अधिक ट्रेनों का संचालन संभव हो गया है । इससे न केवल ट्रेनों की गति में वृद्धि हुई है, बल्कि रेल लाइनों पर ट्रेनों की संख्या में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है । अब कहीं भी खड़ी ट्रेन को आगे बढ़ने के लिए यह प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती कि उसके आगे चल रही ट्रेन अगला स्टेशन पार कर ले । जैसे ही स्टेशन यार्ड से कोई ट्रेन प्रस्थान करती है, अगले सेक्शन के लिए उसे तुरंत ग्रीन सिग्नल मिल जाता है, यानी एक ब्लॉक सेक्शन में एक के पीछे एक ट्रेन सुचारु रूप से चल सकती है । इस प्रणाली की मदद से ट्रेनों की रीयल-टाइम लोकेशन की जानकारी भी लगातार उपलब्ध रहती है, जिससे संचालन और अधिक संरक्षित एवं कुशल हो गया है ।

संरक्षित ट्रेन संचालन में सिग्नलिंग प्रणाली की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है । रेलवे में उपयोग किए जाने वाले सिग्नलिंग उपकरणों का उन्नयन एवं प्रतिस्थापन एक सतत प्रक्रिया है, जिसे परिचालन आवश्यकताओं और संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर किया जाता है । ट्रेन संचालन में संरक्षा को और अधिक सुदृढ़ करने तथा लाइन क्षमता में वृद्धि के उद्देश्य से समय-समय पर सिग्नलिंग सिस्टम का आधुनिकीकरण किया जाता है । इसी क्रम में ट्रेनों की गति बढ़ाने और यात्रियों को संरक्षित यात्रा अनुभव प्रदान करने हेतु सिग्नलिंग प्रणाली को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में कार्य प्रारंभ कर दिया गया है । इस प्रणाली के माध्यम से मौजूदा आधारभूत संरचना के साथ रेलवे लाइन की क्षमता में भी उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है।