बम विस्फोटों के बाद किए गए सुरक्षा में संवर्द्धन के कार्य और चल रही सुरक्षा पहलों का विवरण

बम विस्फोटों के बाद किए गए सुरक्षा में संवर्द्धन के कार्य और चल रही सुरक्षा पहलों का विवरण।

हाल ही में माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय और उसके बाद मीडिया द्वारा पूछे गए प्रश्नों के परिपेक्ष्?य में पश्चिम रेलवे द्वारा बड़े बम विस्फोट घटनाओं के बाद किए गए सुरक्षा उपायों और पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा के बुनियादी ढांचे में उत्तरोत्तर वृद्धि के साथ-साथ भविष्य में आने वाली प्रमुख परियोजनाओं के संबंध में:

बम विस्फोटों के बाद सुरक्षा में वृद्धि

प्रमुख बम विस्फोटों, विशेष रूप से 11 जुलाई 2006 को मुंबई उपनगरीय ट्रेन में हुए सिलसिलेवार विस्फोटों और उसके बाद के अन्य खतरों के बाद, भारतीय रेल ने आरपीएफ, जीआरपी, खुफिया एजेंसियों और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर अपनी सुरक्षा रणनीति में व्यापक बदलाव किया है। इस विषय में उठाए गए कदमों में शामिल हैं:

प्रमुख स्टेशनों पर त्वरित प्रतिक्रिया दल (क्यूआरटी) का गठन।

बम डिटेक्शन एंड डिस्पोजल स्क्वाड (बीडीडीएस) की तैनाती।

संवेदनशील क्षेत्रों में आरपीएफ-जीआरपी की संयुक्त गश्त बढ़ाई गई।

राज्य और केंद्रीय एजेंसियों के साथ खुफिया समन्वय बढ़ाया गया।

पीक आवर से पहले एंटी सबोटीज जाँच पर विशेष ध्यान दिया गया।

उच्च जोखिम वाले स्टेशनों और ट्रेनों में बैगेज की आकस्मिक जाँच की गई।

पिछले कुछ वर्षों में किए गए प्रगतिशील उपाय

1. एकीकृत सुरक्षा प्रणाली (आईएसएस):

  • सीसीटीवी कवरेज, बैगेज स्कैनर और बम डिटेक्शन उपकरणों के माध्यम से निगरानी को मजबूत किया गया।
  • मुंबई उपनगरीय स्टेशनों पर 3048 सीसीटीवी लगाए गए।
  • 146 उपनगरीय लोकल ट्रेनों में कुल 451 महिला डिब्बों में 305 सीसीटीवी लगाए गए।
  • प्रमुख स्टेशनों पर हाई-डेफिनिशन आईपी-आधारित सीसीटीवी लगाए गए।
  • स्टेशन नियंत्रण कक्षों के साथ रियल टाइम वीडियो फीड को एकीकृत किया गया और प्रशिक्षित आरपीएफ कर्मियों द्वारा निगरानी की गई।

2. सामान की स्कैनिंग और स्क्रीनिंग:

  • मुंबई मंडल के चुनिंदा संवेदनशील स्टेशनों पर 5 एक्स-रे बैगेज स्कैनर लगाए गए।
  • प्रवेश द्वारों पर डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर (डीएफएमडी) और हैंड-हेल्ड मेटल डिटेक्टर (एचएचएमडी) का उपयोग किया गया।
  • मुंबई उपनगरीय क्षेत्र के महत्वपूर्ण स्टेशनों पर कुल 217 एचएचएमडी उपलब्ध कराए गए।
  • मुंबई उपनगरीय क्षेत्र के चुनिंदा संवेदनशील स्टेशनों पर 16 डीएफएमडी लगाए गए।
  • महत्वपूर्ण स्टेशनों पर बैगेज स्कैनर और डीएफएमडी के माध्यम से सामान की रैंडम जाँच की गई।

3. फेशियल रिकग्निशन सिस्टम (एफआरएस):

  • मुंबई उपनगरीय स्टेशनों पर वांछित/आपराधिक तत्वों की पहचान के लिए 470 सीसीटीवी को एकीकृत किया गया।

4. श्वान दस्तों की तैनाती:

  • उपनगरीय क्षेत्र के प्रमुख स्टेशनों पर सूंघने और बम का पता लगाने के लिए नियमित रूप से खोजी कुत्तों के 07 दस्ते तैनात किए गए।
  • विस्फोटक वस्तुओं की ढुलाई को रोकने/पता लगाने के लिए के-9 डॉग के माध्यम से महत्वपूर्ण स्टेशनों और महत्वपूर्ण ट्रेनों के डिब्बों की नियमित जांच की गई।

5. ट्रेन एस्कॉर्टिंग

  • आरपीएफ के एस्कॉर्ट दल प्रतिदिन 64 से अधिक ट्रेनों में तैनात किए जाते हैं, जिनका विशेष ध्यान संवेदनशील सेक्शन पर होता है।
  • महिला यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मुंबई मंडल के अंतर्गत 8 ट्रेनों में "मेरी सहेली" टीमें तैनात की गई हैं। औसतन, प्रतिदिन लगभग 144 महिला यात्रियों को सहायता प्रदान की जा रही है।

6. ड्रोन से निगरानी:

  • मुंबई उपनगरीय क्षेत्र में हवाई निगरानी के लिए चुनिंदा यार्डों और स्टेशनों पर ड्रोन से निगरानी की गई।

प्रमुख परियोजनाएँ / हालिया उन्नयन

1. सीसीटीवी कवरेज का विस्तार

  • वीएसएस चरण-I के तहत स्थापित किए गए 652 गैर-एसटीक्यूसी कैमरों को मुंबई उपनगरीय क्षेत्र के 19 स्टेशनों से स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है।
  • वीएसएस कार्यों के संशोधित सर्वेक्षण में अतिरिक्त 407 कैमरे लगाने का प्रस्ताव है।
  • केंद्रीय कमांड केंद्रों (क्षेत्रीय/मंडल स्तर पर) से रियल टाइम निगरानी।