छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलो में 1500 करोड़ का ‘घोटाला’ उजागर..

छत्तीसगढ़ में आदिवासी अंचलो के आश्रमों में सामानों के नाम पर करीब 1500 करोड़ रुपये के महाघोटाले को अंजाम दिया गया। यह महाघोटाले का मामला है भारत सरकार के संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के अंतर्गत केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय और इसी विभाग की प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना के तहत आदिवासी जिलों को मिलने वाले अरबों रुपए के फंड का है। छत्तीसगढ़ में यह फंड आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के सचिव के निर्देश पर आंबटित किया जाता है। सचिव एकीकृत आदिम जाति विकास परियोजना के परियोजना प्रशासक के प्रस्ताव पर फंड का आंबटन करते हैं। इसमें संभागायुक्त की भूमिका भी मूख्य रहती है। फंड की स्वीकृति होने के बाद संभागायुक्त ही कलेक्टरों को स्वीकृति पत्र जारी करते हैं। जिलों में इस फंड के आंबटन और इससे किए जाने वाले काम और खरीदारी की निगरानी के जिम्मेदार सीधे कलेक्टर होते हैं। कलेक्टर के नीचे जिले में इसके लिए आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त निर्माण कार्य, खरीदी और अन्य उपयोग में निर्णयक भूमिका में होते हैं।

फंड का आबंटन होने के साथ साथ कार्यानुसार विभाग को एंजेसी को काम की जिम्मेदारी तय की जाती है। सरकारी एंजेसी ठेकेदार तय करती है। हास्टल में काम होने या सामान सप्लाई होने पर हास्टल अधीक्षक को इसका वेरिफिकेशन करना होता है। इस महाघोटाला में खरीदी के लिए TS यानी टेक्निकल सेशन देने,रेट निर्णाधण और मापदंड तय करने की जिम्मेदारी के लिए जिला प्रशासन की अलग-अलग एंजेसियां तय की गई। विभागों टेंडर के अलावा जेम पोर्टल में खरीदी के टेंडर होते हैं। जेम पोर्टल में टेंडर और शर्ते अपलोड करने वाले अधिकारी की मुख्य भूमिका रहती है।

नारायणुपर, दंतेवाड़ा, सुकमा,कोरबा ,बीजापुर में सहायक आयुक्त आदिवासी विकास को एजेंसी बनाया गया। बलरामपुर में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कुसुमी थे। सरगुजा और सुरजपुर में इसी काम के लिए अनुविभागीय अधिकारी विद्युत यांत्रिकी नलकूप गेट एवं उपसंभाग अंबिकापुर और बैकुंठपुर को दी गई। इसमें टेक्निकल सेंशन देने वाली एंजेसियों ने सबसे बड़ा खेल किया। जेम पोर्टल में मंहगे सामान की दर के हिसाब से भुगतान किया गया जबकि मौके पर घटिया सामान पहुंचा। दोनों योजनाआों में कोंडागांव समेत अन्य जिलों में घोटाले में बड़ी भूमिका टीएस देने वाली एजेंसी अनुविभागीय अधिकारी नलकूप एवं गेट उपसंभाग। और दरों की स्वीकृत देने वाले कार्यालय कमिश्नर बस्तर संभाग की है। इस मामले में10 अक्टूबर साल 2020 में आयुक्त आदिवासी विकास नारायणपुर को पत्र लिखकर अनुच्छेद 275 (1) के अंतर्गत नारायणपुर के 123 छात्रावास और आश्रम में पलंग, गद्दे, मच्छरदानी,चादर,कंबल, किचन सामग्री के लिए 7 करोड़ 38 लाख रुपए और खेल सामग्री , व्यायाम उपकरण, बैडमिंटर व्हालीबाल मैदान निर्माण के लिए 2 करोड़ 46 लाख रुपए की कमी बताते हुए व्यवस्था की मांग की थी।

सुकमा के 135 छात्रावास और आश्रम में पलंग, गद्दे, मच्छरदानी,चादर,कंबल, किचन सामग्री के लिए 8 करोड़ 10 लाख रुपए और खेल सामग्री , व्यायाम उपकरण, बैडमिंटर व्हालीबाल मैदान निर्माण के लिए 2 करोड़ 70 लाख रुपए, और पुस्तकालय स्थापना के लिए 3 करोड़ 37 लाख 50 हजार रुपए की व्यवस्था की मांग की थी। 8 मार्च 2021 को कलेक्टर को पत्र लिखकर अंबिकापुर में आयरन एवं फ्लोराइड प्रभावित 582 ग्रामों मं सेनेटरी डगवेल निर्माण एंव पेयजल समस्या ग्रस्त पारा टोला में नलकूप खनन कर हैंडपंप स्थापना कार्य की मांग करते हैं। जिसके बाद पहले चरण में 225 गांवों के लिए लगभग 6 करोड़ 25 लाख रुपए की राशी स्वीकृत की गई।