फर्जी आय प्रमाण पत्र जारी करने वाले दो लेखपाल हुए जहां निलंबित, वही ग्राम पंचायतों की सुरक्षित जमीनों पर अवैध कब्जे बरकरार, आखिरकार सुरक्षित जमीनें कब होगी कब्जा मुक्त।

सीतापुर / जनपद की मिश्रित तहसील में जहां एक तरफ आय का कम आकलन करके फर्जी आय पत्र जारी करने के आरोप में औरंगाबाद तथा बकछेरवा के लेखपालों को तहसील के उपजिलाधिकारी द्वारा निलंबित कर दिया गया है आरोप है कि बीते समय में आंगनबाड़ी भर्ती चयन प्रक्रिया को लेकर इन लेखपालों द्वारा आवेदको से निजी लाभ उठाकर कम आय के प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए थे आंगनबाड़ी भर्ती प्रक्रिया में हुई धांधली की शिकायतों पर जिला प्रशासन द्वारा जांच के कड़े कदम उठाए गए थे जिस कारण उपरोक्त दोनों लेखपालों के साथ ही कार्य में शिथिलता और हीला हवाली के आरोप में मिश्रित तहसील में ही कार्यरत एक संग्रह अमीन राजेश कुमार को भी उपजिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार मिश्र द्वारा अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया यह बात तो सिर्फ फर्जी आय प्रमाण पत्र जारी करने की है अगर देखा जाए तो तहसील क्षेत्र की विभिन्न ग्राम पंचायतों में स्थित राजस्व विभाग की सुरक्षित जमीनों क्रमशः खलिहान ,चकमार्ग, घूरा गड्ढा, बंजर भूमि इत्यादि के साथ ही तालाबों तक की भूमि को क्षेत्र के संबंधित लेखपालों ने अपनी इच्छा पूर्ति करके अवैध कब्जों की भेंट चढ़ा दिया है अगर विभिन्न ग्राम पंचायतों में स्थित जमीनों की तहसील प्रशासन ,जिला प्रशासन और प्रदेश शासन निष्पक्षता के साथ जांच कर ले तो तहसील क्षेत्र में कार्यरत लेखपालों की करतूतें खुलकर खुद-व-खुद सामने आ जाएंगी और भ्रष्ट लेखपालों के चेहरे बेनकाब हो जाएंगे उदाहरण के नाम पर ग्राम पंचायत नरसिंघौली तथा उसके विभिन्न मजरे, जसरथपुर और उसके मजरे तथा मिश्रित नगर क्षेत्र में स्थित दशकों पुराने तालाब पाटकर भू माफियाओं द्वारा विलुप्त कर दिए गये हैं इन तालाबों की भूमि पर अवैध कब्जा धारकों ने लेखपालों आदि से साठ गांठ करके भवन निर्माण आदि करा लिए हैं इसी तरह ग्राम पंचायत की और सुरक्षित जमीनें भी अवैध कब्जों की ही भेंट चढ़ी हुई हैं जिसके पीछे ग्रामीण और नागरिक सर्वप्रथम लेखपालों का ही नाम लेते हैं क्या जिला प्रशासन और तहसील प्रशासन अभियान चलाकर ग्राम पंचायतों की सुरक्षित जमीनों का चिन्हीकरण कराकर उन्हें जनहित में अवैध कब्जों से मुक्त कराएगा?