उर्स ए रहमानी: वफ्क संपत्तियां मुसलमानों की धरोहर

*बहुत से उलूम व फुनून पर महारत हासिल थी रेहान-ए-मिल्लत को: मुफ़्ती अय्यूब खान।*

बरेली,आज मरकज़-ए-अहले सुन्नत बरेली शरीफ में आला हज़रत फ़ाज़िले बरेलवी के पोते मुफ़्ती रेहान रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह (रहमानी मिया) का 40 वा एक रोज़ा उर्स दरगाह परिसर में मनाया गया। शाम को सामूहिक रोज़ा इफ़्तार का आयोजन हुआ जिसमें दूर दराज़ के हज़ारों उलेमा,मशाइख,अकीदतमंदों ने एक ही दस्तरखवांन पर दरगाह प्रमुख के साथ इफ्तार किया। उर्स के सभी कार्यक्रम दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती व सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां की सदारत व सय्यद आसिफ मियां की देखरेख में सम्पन्न हुए। दरगाह के नासिर कुरैशी ने बताया कि उर्स की शुरआत बाद नमाज़-ए-फ़ज़्र कुरानख्वानी से हुई। सुबह 8 बजे महफ़िल का आगाज़ तिलावत-ए कुरान से हुआ। नातख़्वा हाजी गुलाम सुब्हानी ने हम्द,नात व मनकबत का नज़राना पेश किया। इसके बाद *दरगाह सरपरस्त हज़रत सुब्हानी मियां की सदारत में उलेमा की तक़रीर का सिलसिला शुरू हुआ। मुफ़्ती अय्यूब खान ने अपने खिताब में रेहाने मिल्लत की जिन्दगी पर रोशनी डालते हुए कहा कि सुन्नियत व मसलक-ए-आला हज़रत की दुनिया भर में पहचान कराने वाली शख्सियत का नाम रेहाने मिल्लत है। उस दौर में मुसलमानो को जबमज़हबी, रूहानी,खानकाही, सियासी ज़रूरत पेश आई आपने उनकी कयादत फरमाई। आप उर्दू जुबान के साथ अरबी व इंग्लिश के माहिर भी थे। आपने एशिया के अलावा यूरोप अफ्रीका,अमेरिका आदि के मुल्कों का दौरा कर मजहब व मसलक को फरोग देने के लिए काम किया। आप तलबा(छात्रों) को बुखारी शरीफ का दर्स(शिक्षा) अरबी से अरबी में देते थे। आप बड़े आलिम,मुफ्ती और बेहतरीन शायर भी थे। आपने मुल्क में अल्पसंख्यको के अधिकारों के लिए अपनी आवाज़ हमेशा बुलंद की।* सुबह 9.58 मिनट पर मुफ्ती ज़ईम रज़ा व मुफ्ती कलीम उर रहमान क़ादरी ने फ़ातिहा पढ़ी। मुल्क-ए-हिंदुस्तान में वक्फ संपत्तियों की हिफाज़त के अलावा अमन-ओ-सुकून और खुशहाली के लिए खुसूसी दुआ करते हुए मंजर-ए-इस्लाम के सदर मुफ्ती आकिल रज़वी ने कहा कि वफ्क संपत्तियां मुसलमानों की धरोहर है मस्जिदे कब्रिस्तान,दरगाहे,खानकाहे हमारे पूर्वजों की निशानी है। दिन भर गुलपोशी का सिलसिला चलता रहा।
इस मौके पर मुफ्ती सय्यद शाकिर अली,मुफ्ती मोइनउद्दीन बरकाती,अफ़रोज़ आलम,मुफ्ती जमील नूरी,अबरार उल हक,मास्टर कमाल,राशिद अली खान,कासिम कश्मीरी,हाजी अब्बास नूरी,हाजी जावेद खान,परवेज नूरी,शाहिद नूरी,अजमल नूरी,परवेज़ नूरी,ताहिर अल्वी,औररंगज़ेब नूरी,मंजूर रज़ा,शान रज़ा,तारिक सईद,शारिक बरकाती,आदिल रज़ा,मुजाहिद रज़ा,अरबाज़ खान,सुहैल रज़ा,जोहिब रज़ा,अब्दुल माजिद,इशरत नूरी,मोहसिन रज़ा,गौहर खान,गयाज़ रज़ा,जुनैद मिर्जा,सय्यद माजिद,साकिब रज़ा,साजिद नूरी,नईम नूरी,युनुस गद्दी,इरशाद रज़ा,सय्यद एजाज,काशिफ सुब्हानी,नफीस खान,शाद रज़ा,आरिफ रज़ा,सबलू अल्वी,आसिफ रज़ा,मुस्तकीम नूरी,समीर रज़ा,रोमान खान,जावेद खान,समी रज़ा,निक्की नूरी,अजमल रज़ा आदि लोग मौजूद रहे।
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