"पुलिस: आलोचना के बावजूद हर संकट में सबसे पहले याद आती है"

  • भले ही पुलिस की लाख आलोचना करें लेकिन संकट और विपदा में पुलिस ही याद आती..

कहते हैं कि संकट या विपदा में पुलिस ही याद आती है, हम पुलिस की लाख आलोचना करें या बुराई लेकिन जब कभी भी कोई मामला घटित होता है तो कह सकते हैं कि संकट के समय में फिर पुलिस को ही याद किया जाता है, पुलिस ने होली एवं जुम्मे की नमाज को सकुशल संपन्न करने के लिए पूरे प्रदेश में कहीं कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी, पुलिस ने बेहतर ढंग से काम करते हुए दोनों समुदाय के लोगों को विश्वास में लेकर शांति समिति के माध्यम से समझा कर अपना काम बखूबी निभाया तो वहीं आम जनता ने भी पुलिस को सहयोग प्रदान करते हुए शांति सद्भावना सौहार्द बनाए रखा तथा त्यौहार पर एक मिसाल कायम की और कहीं से भी कोई ऐसा अप्रिय समाचार नहीं मिला, पुलिस अपने लक्ष्य उद्देश्य को पूरा करने में सफल रही तो वहीं आम जनता में भी सद्भावना और स्वार्थ का मिला-जुला संगम देखने को मिला, हर त्योहार संपन्न करने के दिन पुलिस सक्रिय और गतिशील बनी रही फिर अगले दिन चूंकि पुलिस की होली होती है और इस दिन कुछ घंटे में फुर्सत से पुलिस अपनी होली अपने अंदाज में खेलती है, कुछ ही घंटे में जब पुलिस अपनी होली मना रही होती है तो व्यवस्था को देखकर लगता है कि वास्तव में अगर एक दिन या दो दिन के लिए पुलिस ना हो तो सिस्टम कैसा हो सकता है, इसकी महज़ कल्पना करके ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं, जनपद गोरखपुर की ही बात करें तो जब पुलिस अपनी होली मना रही होती है तो सड़कों पर जाम और व्यवस्था बिल्कुल चरमरा कर रह जाती है और फिर हमें लगता है कि बाकी दिनों अगर पुलिस ना हो तो सिस्टम को चलाना कितना मुश्किल हो सकता है और फिर यही सोच पैदा होती है कि वास्तव में संकट विपदा और परेशानी में पुलिस हरदम काम आती है और याद आती है, इसलिए बेहतर हो कि हम पुलिस को हर यथा संभव सहयोग समय-समय पर प्रदान करते रहें और इस बात के महत्व को समझे कि पुलिस हमारे लिए कितना जरूरी है, पुलिस पब्लिक रिलेशन किसी गलत सोच या धारणा पर आधारित है ना हो बल्कि विश्वसनीय धारणा पर आधारित हो और यह धारणा जितनी मजबूत और बलशाली होगी तो परस्पर एक दूसरे के रिश्ते भी उतने ही मजबूत होंगे, इसलिए बेवजह और बेमतलब पुलिस की आलोचना से बचें, पुलिस के महत्व को समझते हुए पुलिस का मनोबल बढ़ाने का काम भी समय-समय पर करें, अगर नहीं भी कर सकते तो कम से कम पुलिस के प्रति गलत धारणा और सोच ना रखें।

पत्रकार, समीर यादव (विक्की)