सुरजपुर कोरिया के बाडर पर हो रहा जमकर बावनपरियों का खेल रोजाना लाखों का लग रहा दांव-कोरिया के खिलाडी बांध रहे समा

सुरजपुर। सुरजपुर व कोरिया जिले को बोडर डुमरिया व गंगौटी मे रोज लाखों का दांव लग रहा है, यहां कोरिया जिले के बावनपरियों के आशिकों का रोज जमावडा लग रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कोरिया जिला व सुरजपुर जिले का बाडर कोरिया के डुमरिया व सुरजपुर के गंगौटी मे बावनपरियों के आशिकों का रोथ जमावडा लगता है, जिसके बाद योजनाबद्ध तरीके से जुआ सभी का ग्रुप डंगौटी की तरफ चले जाता है, गंगौटी मे हो रहे अवैध जुंआ के पड मे कोरिया के बावनपरियों के आशिकों की संख्या ज्यादा रहती है। कभी चोरी-छिपे चलने वाला जुंआ का अवैध कारोबार आजकल कानून की ढीली पकड़ की वजह से खाईवाल के संरक्षण में खुलेआम संचालित हो रहा है। सुरजपुर जिले का गंगौटी बावनपरियों के आशिकों का हेडक्वार्टर बन चुका है शुद्धिकरण अभियान पोल खोलता हुआ दिख रहा है जिससे बावनपरियों के आशिकों के मन में पुलिस का कोई खौफ नहीं है जिस तरह से गंगौटी क्षेत्र में जुंआ के नाम से चर्चित खेल में जिस प्रकार सब कुछ ओपन हो रहा है उससे यही प्रतीत होता है कि प्रमुख खाईवाल को कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है। सूत्रों की मानें तो वर्तमान समय मे ग्राम गंगौटी मे अवैध जुंआ का कारोबार खूब जमकर परवान चढ रहा है। जिसके चलते जुंआ के आशिकों खाईवाल की तादात बढ़ती जा रही है। पुलिस अधिकारियों की अनदेखी से ग्राम व शहर में युवा पीढ़ी भी जुंआ बाजार में खाईवाल द्वारा दिखाएं जाने वाले रंगीन सपनों के जाल में फंसते जा रहे। नतीजा यह होता है कि जुआ के परिणाम को जानकर भी इस गलत लत में बड़े दलालो के जाल में फस जाते है, जिसके कारण कई घर परिवार बनने से पहले बिगड़ जाते है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बैकुण्ठपुर क्षेत्र से बडी संख्यां मे जुंआ के बड़े दलाल क्षेत्र में अपनी नींव जमाकर लंबे समय से जुंआ का बाजार गंगौटी में अपना जाल फैलाते जा रहे हैं। खासकर जुंआ माफिया चौक मे बैठकर सब कुछ संचालित कर रहे है, पलमा, सलका सुरजपुर, जैसे जगहों बेखौफ होकर इन इलाकों में लंबे समय से बावनपरियों के आशिकों, खाईवाल और दलालो के जमावड़े लगे रहते है वहीं सुरजपुर जिले के गंगौटी मे जो जुंआ चल रहा है वह जुंआ सूत्र बताते हैं कि पुलिस से सांठगांठ के चलते ये अवैध कारोबार को बाकायदा लाइसेंसी कारोबार के रूप में खुले आम संचालित किया जा रहा है। पुलिस और खाईवालों की सेटिंग इतनी तगड़ी है कि ऊपर अधिकारियों को दिखाने ये खाईवाल अपने गुर्गों के नाम हर महीने एक-एक प्रकरण बनवा देते हैं। ऊपर बैठे अफसरों को लगता है पुलिस कार्रवाई कर रही है। जबकि वास्तव में ये सांठगांठ का एक पहलू होता है। बड़ा सवाल ये है कि जब पुलिस हर महीने जुवाडियों के माफियाओं के गुर्गों के खिलाफ कार्रवाई करती है तो फिर उनसे पूछताछ कर खाईवालों तक क्यों नहीं पहुंच पाती है।