बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं धार्मिक नगर के तीर्थ कुण्ड,अधिकारों के मद में चूर ईओ नहीं दे रही कोई ध्यान, कर्मचारियों की मनमानी और निरंकुशता नागरिकों पर पड़ रही है भारी।

सीतापुर/ प्रदेश सरकार के धर्म परायण मुखिया जहां धर्म स्थलों सहित तीर्थ स्थलों का कायाकल्प करने में पुरजोर लगे हुए हैं वहीं महर्षि दधीचि की पौराणिक तीर्थ स्थली मिश्रित तीर्थ नगर में स्थित सतयुग कालीन दधीचि कुण्ड तीर्थ अपनी दुर्दशा पर प्रशासनिक लोगों सहित राजनेताओं की अपेक्षा के चलते बदहाली पर जहां आंसू बहा रहा है वहीं मिश्रित तीर्थ नगर के मार्गों पर जल जीवन निगम के नुमाइंदों द्वारा नगर के लगभग प्रत्येक मार्ग को पाइपलाइन डालने के नाम पर खोदकर बदहाली की हालत में लाकर खड़ा कर दिया है मार्गो पर वाहनों का सकुशल निकलना तो दूर लोगों को पैदल निकलना तक दुश्वार हो रहा है। बताते चलें की धार्मिक नगरी मिश्रित तीर्थ में स्थित पवित्र पावन दधीचि कुण्ड तीर्थ पर सौंदर्यीकरण के नाम से अति कीमती हाई मास्ट लाइट तो लगवाई गई हैं लेकिन पावन कुण्ड में भरे प्रदूषित जल के निकास की कोई व्यवस्था नहीं कराई गई है कुण्ड में भरा जल सड़ांध युक्त होकर दुर्गंध फैल रहा है जिसमें क्षेत्रीय श्रद्धालुओं सहित देश-विदेश से आए दिन यहां आने वाले श्रद्धालु स्नान करना तो दूर कुण्ड के प्रदूषित जल से मार्जन लेना तक उचित नहीं समझ रहे हैं इस कुण्ड की साफ सफाई और रखरखाव का जिम्मा नगर पालिका परिषद के ही हवाले हैं ।विडंबना तो इस बात की है यहां की कथित रूप से तेज तर्रार कहीं जाने वाली अधिशाषी अधिकारी सुरभि पांडे अपने ही अधिकारों के मद में चूर नजर आ रही हैं पालिका परिषद की नाक के ही नीचे स्थित सीता कुण्ड तीर्थ का भी जल गांवों में स्थित तालाबों से भी बदतर नजर आ रहा है इस कुंड से भी प्रदूषित जल की निकासी की कोई उचित व्यवस्था नहीं है इसमें भी लोग स्नान करना तो दूर मार्जन तक करने से गुरेज करते हैं तीर्थ कुण्डों की बदहाली और दुर्व्यवस्थाओं को लेकर जब अधिशासी अधिकारी सुरभि पांडे से आमने-सामने होकर आज बात करके उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो वे चालू वर्ष की विदाई का समारोह करने के लिए पालिका परिषद प्रागंड़ में ही पालिका के ही कर्मचारियों से चोखा बाटी तैयार करा रही अधिशाषी अधिकारी ने कहा कि किसी भी मामले में जब वर्जन लेना हो तो हमारे कर्मचारियों से ले लो उनकी बात ही हमारी बात है। कहना गलत न होगा कि नगर पालिका परिषद मिश्रित शायद कर्मचारियों की मनमानी के सहारे ही चल रही है यही कारण है कि तीर्थ कुण्डों के साथ ही समूचा नगर बदहाली गंदगी और अतिक्रमण की चपेट में झगड़ा हुआ है यह भी बताते चलें कि प्रतिवर्ष फाल्गुन मास के दौरान यहां विश्व प्रसिद्ध चौरासी कोसीय धार्मिक होली परिक्रमा मेला का परंपरागत रूप से आयोजन होता है इस परिक्रमा में शामिल साधु, संत ,महंत, मठाधीश, पीठाधीश और लाखों की संख्या में श्रद्धालु परिक्रमार्थी नर नारी भाग लेते हैं इस परिक्रमा का प्रारंभ फाल्गुनी अमावस्या को नैमिषारण्य चक्र तीर्थ में स्नान के साथ होता है और दस बाहरी पड़ावों का भ्रमण और रैन-बसेरा करता हुआ मिश्रित आ जाता है जहां एकादशी तिथि से पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन तक पांच दिन मिश्रित नगर और दधीच कुंड तीर्थ की निरंतर पंचकोसी परिक्रमा होती है जिसमें शामिल परिक्रमार्थी मिश्रित नगर सहित आसपास के गांवों में अपने पंडाल खेमे और छोलदारियां लगाकर रात विश्राम करते हुए प्रतिदिन धार्मिक परिक्रमा में भाग लेते हैं। जब मिश्रित तीर्थ नगर की बदहाली का अभी से यह आलम है तो परिक्रमा मेला के दौरान कई लाख की भीड़ इकट्ठा होने पर साफ सफाई और अन्य व्यवस्थाओं का आलम क्या होगा इस बात की जवाब देही पूरी तरह से पालिका परिषद की अधिशाषी अधिकारी की ही बनती है क्या जिला प्रशासन और प्रदेश शासन यहां की दुर्व्यवस्थाओं और जन समस्याओं पर ध्यान देकर ईओ को कर्तव्य परायणता का कोई निर्देश जारी करेंगे? या फिर अपने अधिकारों के मद में मनमानी पर ही उतारू रहेगी।