चिन्मया विद्यालय का 30वां स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ प्रारंभ

ऊंचाहार,रायबरेली।बच्चो की सहभागिता को देखकर अभिभावक से लेकर विद्यालय परिवार अभिभूत हुआ,
बुधवार 27 नवंबर को चिन्मया विद्यालय एनटीपीसी, ऊंचाहार ने अपने 30वें स्थापना दिवस का शुभारंभ भव्यता के साथ किया।विद्यालय के प्रधानाचार्य मनीष कुमार स्वामी का कार्यक्रम के प्रारंभ में विद्यालय पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया।एनसीसी कैडेट्स ने स्वामीजी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया तत्पश्चात विद्यार्थियों ने अध्यात्मिक एरोबिक प्रस्तुत कर सभी का दिल जीत लिया।
संध्या कालीन कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्ण कुंभकम से हुई। इसमें वैदिक रीती से पूज्य स्वामीजी स्वरूपानंद जी का स्वागत किया।इसी क्रम में दीप प्रज्वलन का कार्यक्रम संपन्न हुआ।जिसमें चिन्मया मिशन के विश्व प्रमुख स्वामी स्वरूपानंद जी ने किया।साथ में स्वामी चिदरूपानंद जी और स्वामी अव्ययानंद जी कि गरिमामई उपस्थिति रही।
तत्पश्चात विभीषण गीता पर प्रवचन की शुरूआत हुई।
विभीषण गीता पर स्वामीजी का प्रेरणादायक प्रवचन
रावण रथी विरथ रघुवीरा,देख विभीषण भययू अधीरा।।शाम 5 से 6:30 बजे के बीच स्वामी स्वरूपानंद जी ने ?विभीषण गीता?पर विशेष प्रवचन दिया।उनके विचारों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।स्वामीजी ने कहा कि विभीषण गीता का अध्ययन हर व्यक्ति को करना चाहिए, चाहें वह कोई बच्चा हो या बड़ा,क्योंकि इससे मन के भ्रम और संशय समाप्त होते हैं।उन्होंने रामायण की इस अमूल्य शिक्षा को आज के समय में भी प्रासंगिक बताया।स्वामी जी का प्रवचन लगातार चार दिनों तक चलेगा।स्वामीजी ने बताया कि राष्टीय शिक्षा नीति 2020 में यह वर्णन है कि भारतीय संस्कृति को ज्ञान से जोड़ना है।इसलिए सभी बच्चो एवं अभिभावकों को इस में सहभागिता करनी चाहिए।
विद्यालय के 30 वर्षों की इस यात्रा को यादगार बनाने के लिए आयोजित कार्यक्रम शिक्षा,संस्कृति और आध्यात्मिकता के संगम का प्रतीक है।कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य अतिथियों और स्वामीजी के विचारों ने छात्रों अभिभावकों और स्थानीय जन मानस को गहराई से प्रभावित किया।आयोजन को विद्यालय की उत्कृष्ट उपलब्धियों और समर्पण का प्रतीक माना गया।कार्यक्रम के अंत आरती और प्रसाद का वितरण किया गया।