आर्यंस इंटरनेशनल स्कूल में बाल-दिवस का ऐतिहासिक और समग्र आयोजन

मुरादाबाद भारतीय गणराज्य के महान प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस के अवसर पर, आर्यंस इंटरनेशनल स्कूल, बुद्धि विहार, मुरादाबाद में बाल-दिवस का आयोजन अत्यंत धूमधाम और श्रद्धा के साथ हुआ। यह आयोजन न केवल चाचा नेहरू के प्रति श्रद्धांजलि था, बल्कि यह आगामी पीढ़ी के नन्हे सितारों को प्रोत्साहित करने का एक अभूतपूर्व प्रयास भी था। इस ऐतिहासिक अवसर पर विद्यालय की कक्षा एक की प्रतिभाशाली छात्रा, नित्या ठाकुर को मुख्य अतिथि के रूप में सम्मानित किया गया। विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. हेमंत कुमार झा और मुख्य अतिथि नित्या ठाकुर के विद्यालय आगमन पर शिक्षकों द्वारा एक भव्य प्रातःकालीन सभा का आयोजन किया गया, जो अपनी तरह का एक अनुपम उदाहरण था।सभा की शुरुआत विद्यालय के संगीत शिक्षक,शाहनवाज कबीर द्वारा प्रस्तुत किए गए सुमधुर और हृदयस्पर्शी संगीत से हुई, जिसने समस्त वातावरण को एक दिव्य आभा से भर दिया। बच्चे मंत्रमुग्ध हो उठे और उनसे पुनः वही धुन गाने का अनुरोध किया। इसके बाद, विद्यालय के नृत्य शिक्षक विकास कुमार और प्रिया धारीवाल ने अपनी सजीव और समर्पित नृत्य प्रस्तुति से सभी को मोहित कर लिया, उनका कला प्रदर्शन न केवल दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने में सफल रहा, बल्कि उन्होंने सबके दिलों को भी छू लिया।कार्यक्रम के दौरान, प्रधानाचार्य डॉ. हेमंत कुमार झा और मुख्य अतिथि नित्या ठाकुर ने चाचा नेहरू की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। अपने प्रेरणादायक अभिभाषण में प्रधानाचार्य महोदय ने बालकों से कहा,कागज की कश्ती और बादल का पानी? जैसे अप्रतिम गजल के उदाहरणों के माध्यम से बच्चों के महत्व और उनके योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी अवलोकित किया कि नित्या ठाकुर, एक छोटी सी बालिका होते हुए, आज इस बाल-दिवस के कार्यक्रम की मुख्य अतिथि बनकर चाचा नेहरू के विचारों और सपनों को साकार कर रही हैं।प्रधानाचार्य ने बच्चों से जीवन के मर्मस्पर्शी पहलुओं पर प्रकाश डाला।किताबों से उड़कर तितलियाँ गज़लें सुनाती हैं और जब टिफिन रखती है मेरी माँ, तो बस्ता मुस्कुराता है जैसी कोमल और सजीव विचारों ने उपस्थित श्रोताओं के हृदयों को छुआ। उन्होंने यह भी गहरी आत्मचेतना से कहा,जब वक्त था तब सीखा नहीं, अब सीखना चाहते हैं तो वक्त नहीं मिलता। बचपन को उन्होंने जीवन का वह मेरुदंड माना, जो हमें सच्चाई, संवेदनशीलता और मूल्य सिखाता है।प्रधानाचार्य ने शिक्षा के महत्व को स्पष्ट करते हुए मलाला यूसुफजई का उदाहरण प्रस्तुत किया, जिन्होंने स्त्री शिक्षा के पक्ष में अपने जीवन को दाव पर लगा दिया। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा,शिक्षा, सेवा, समर्पण, सहिष्णुता, साहस, संस्कार, संकल्प और संस्कृति ये जीवन की वे अचल धरोहर हैं, जो हमें हर कठिनाई में मार्गदर्शन करती हैं।?इस अवसर पर विद्यालय के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक विविधताओं से समृद्ध कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जिनमें गीत, संगीत, नाटक, एकांकी, कविता और भाषण की अभूतपूर्व प्रस्तुतियाँ शामिल थीं। इन कार्यक्रमों में बच्चों की प्रतिभा ने न केवल कार्यक्रम को मनोरंजक बना दिया, बल्कि उनके आत्मविश्वास और विचारों की गहराई को भी उजागर किया। इसके अतिरिक्त, विद्यार्थियों के बीच खेले गए खेलों ने वातावरण को हल्का और आनंदमय बना दिया, जो अत्यंत प्रशंसनीय था।कार्यक्रम के समापन पर, प्रधानाचार्य डॉ. हेमंत कुमार झा ने बच्चों को जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए आशीर्वाद दिया और उन्हें यह प्रेरणा दी,आपके जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, उन्हें पार करते हुए, संकल्प और साहस के साथ हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए। उन्होंने अंत में एक मार्मिक उद्धरण प्रस्तुत किया: "दोस्तों, रोने की कोई वजह नहीं थी, हंसी का कोई बहाना नहीं था, फिर भी क्यों हो गए हम इतने बड़े, इससे अच्छा तो वह बचपन का ज़माना था।"

कार्यक्रम के बाद, विद्यालय प्रबंधन समिति ने बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन का समुचित प्रबंध किया, जिसे शिक्षकों ने बड़े प्रेम और स्नेह के साथ परोसा। सभी बच्चे इस कार्यक्रम से अत्यधिक प्रसन्न और अभिभूत थे, और यह आयोजन उनके जीवन में एक अविस्मरणीय अनुभव बनकर रहेगा।