भाजपा स्वतंत्र प्रभार मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने नाम पट्टिका पर कालिख पोतने पर दिया जवाब

रायबरेली।जनपद में बीते बुधवार को हुई घटना पर राजनीत के गलियारों में हलचल मच गई।भाजपा स्वतंत्र प्रभार मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने शुक्रवार को अपने वक्तव्य में बताया कि भारतीय वेदों,शास्त्रों में भारतवासियों के जीवन को सौ वर्ष मानकर इसे चार आश्रमों में बाँटा गया है।किन्तु काँग्रेस की नेता प्रियंका गाँधी अपनी उम्र पचास वर्ष पूर्ण करने के बाद भी अपने को लड़की कहती है और सार्वजनिक मंचों से स्वयं को बुजर्ग कहती हैं।तो यह संस्कार की श्रेणी में आता है और यदि मैं बूढ़ी कहूँ तो यह नारी का अपमान कहा जायेगा।वैसे मुझे कम-से-कम गाँधी परिवार से भारतीय संस्कार संस्कृति सीखने की जरूरत नहीं है।मेरे लिए भारत की भारतीय संस्कार संस्कृति से युक्त हर नारी माँ भगवती के समान है।लेकिन मैं प्रियंका गाँधी को उनके जीवन शैली आचरण व्यवहार,खान-पान आदि से कहीं से भी भारतीय संस्कार संस्कृति के अनुरूप नहीं पाता हूँ।इसलिये किसी से सहमत होना और असहमत होना हमारा विचार और हमारा अधिकार है और सबका है।जहाँ रायबरेली से प्रियंका गाँधी सिर्फ हार के भय से चुनाव नहीं लड़ीं वहीं वायनाड से ही क्यों चुनाव लडने जा रही हैं।किसके प्रति उनका मोह है जो उन्हें वायनाड ले जा रहा है।यह शीशे की तरह साफ है तो सवाल होगा ही।हम लोगों के यहाँ परम्परा है,चुनाव की शुरुआत हर कोई अपने घर से करता है किन्तु पूरे गाँधी परिवार का एक भी व्यक्ति कभी अपने जन्म स्थान,निवास स्थान से चुनाव नहीं लड़ा,जैसे-गाँधी परिवार ने दिल्ली के लुटियंस जोन में अपनी पीढ़ियाँ गुजारीं,लेकिन किसी ने दिल्ली की लोकसभाओं/विधान सभाओं से कभी चुनाव नहीं लड़ा।जबकि प्रियंका गाँधी दिल्ली में ही रहती हैं,उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में उनकी ससुराल है और इटली में उनका ननिहाल है तथा रायबरेली,अमेठी में सामाजिक कार्य करती आ रही हैं।यहाँ कहीं से चुनाव न लड़ना क्या सवाल नहीं उठता है और सवाल पूँछा जायेगा तो जवाब देना चाहिए न कि कानून अपने हाथ में लिया जाना चाहिए,जो पार्टी आकंठ,भृष्टाचार और चोरी में लिप्त हों,चोरी करके देश और विदेश में जाने कितनी सम्पत्ति बनायी,इनके विरूद्ध देश के थानों और माननीय न्यायालयों में विवेचनाधीन और विचाराधीन मुकदमें इस बात के साक्षी हैं कि इन लोगों ने देश को कितना लूटा है।इनको समझने में देश को ज्यादा वक्त लगा,इसीलिए हम से बाद स्वतंत्र हुए देश हम से आगे निकल गये,इनकी नीतियों के कारण ही हमारा सामाजिक ताना-बाना आज अस्थिर है।जिसे भारतीय संस्कृति के अनुरूप देश के मा०प्रधान मन्त्री जी,मा०गृह मन्त्री जी,मा०मुख्य मन्त्री जी बनाने में निष्ठा से हर प्रयत्न कर रहे हैं।ये सही है कि ये नकली गाँधी पलायनवादी हैं और परजीवी भी,क्योंकि श्रीमती सोनिया गाँधी जी को अमेठी और रायबरेली से खाद्य रसद मिलती रही तब तक अमेठी और रायबरेली की रहीं,जब देखा कि अब हार जायेगीं तो राजस्थान पलायन कर गयीं,इसी तरह राहुल गाँधी जी पहले अमेठी छोड़कर वायनाड और फिर वायनाड छोड़कर रायबरेली और अब प्रियंका गांधी घर,ससुराल,ननिहाल,रायबरेली,अमेठी छोड़कर वायनाड पलायन कर रहीं हैं।इसी तरह हारने के बाद श्रीमती इन्दिरा गाँधी जी भी रायबरेली छोड़कर मेढ़क(आन्ध्र प्रदेश)चली गयी थी तो सवाल बनेगा ही।जिस प्रकार कॉंग्रेस के कार्यकार्ताओं में अहंकार दिख रहा है।तो यह भी समझ लें कि श्री राहुल गाँधी जी रायबरेली से अपनी पार्टी की बदौलत सांसद नहीं बने हैं।विगत2022के विधान सभा चुनाव में रायबरेली लोकसभा की पाँचों विधान सभाओं में समाजवादी पार्टी को लगभग3,99,000वोट मिला था,अगर2024के इस चुनाव में श्री राहुल गाँधी को रायबरेली लोकसभा से मिले कुल मतों से सपा के3,99,000वोट हटा दिया जाये तो श्री राहुल गाँधी को हमको मिले मतों से कम मत होते हैं,इस प्रकार हम कह सकते हैं कि श्री राहुल गाँधी जी की जीत अपनी,अपनी पार्टी,अपनी सेवा व अपनी योग्यता की बदौलत नहीं मिली है।बल्कि अस्थायी सपा के मतदाताओं व कार्यकर्ताओं की बदौलत मिली है।मैं इन सब नकली गाँधियों को रायबरेली आमन्त्रित करता हूँ,जब मन करे पंजा निशान लेकर सिर्फ कॉग्रेस पार्टी के प्रत्याशी के रूप में दिनेश प्रताप सिंह से चुनाव लड़ लें।तीन लाख वोट अगर पा जायेगें तो मैं राजनीति से सन्यास ले लूँगा।मैं राष्ट्रीय नेता नहीं हूँ भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के एक सिपाही के रूप में श्री राहुल गाँधी जी से चुनाव लड़ा हूँ।जिसने उनको नानी की याद दिला दी और रायबरेली में चुनाव के दिन बूथ-बूथ श्री राहुल गाँधी जी को घूमते पूरे देश ने देखा,अन्त तक भयभीत थे कि चुनाव में जीत भी रहा हूँ या नहीं,इस चुनाव में देश का कोई राज्य नहीं रहा होगा,जहाँ के नेता रायबरेली न बुलाये गये हों,सभी वर्तमान मुख्य मन्त्री,उपमुख्य मन्त्री,पूर्व मुख्य मन्त्री सहित पूरे देश के कॉग्रेस के वरिष्ठ नेता और कॉग्रेसी धन्नासेठ बुलाये गये थे,साथ ही हारने के भय से ही मतगणना के दिन मा०सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं से राजस्थान के सेवा निवृत्त अधिकारी,हिमांचल प्रदेश,मध्य प्रदेश,बिहार आदि राज्यों के लोगों को मतगणना में लगाया था,उत्तर प्रदेश में विपक्ष के लोगों द्वारा जो नकारात्मक भ्रम पैदा किया गया।जिससे उत्तर प्रदेश प्रभावित हुआ।जिसके कारण कॉग्रेस सफल हो गयी।किन्तु यह याद रखियेगा कि रायबरेली में स्व०श्रीमती इन्दिरा गाँधी जी भी हारी हैं और अमेठी में श्री राहुल गाँधी जी भी हारें है।जो अहंकार आपके कार्यकर्ताओं में है।वह हरियाणा ने खत्म कर दिया है,बचा खुचा भी,यही आचरण रहा तो भविष्य में खत्म हो जायेगा।