ग़ौसे आज़म ने सच्चाई की राह पर चलकर इंसानियत और भलाई का पैग़ाम दिया

बरेली। किला फुटादरवाज़ा स्थित गौस पाक के झण्डे पर उर्स के आखिरी दिन की तक़रीबात बाद नमाज़े फजर क़ुरआने पाक की आयतों से हुई,अक़ीदतमंदो ने मन्नतों मुरादों की चादरपोशी गुलपोशी की,तक़रीरि महफ़िल में उलेमा ने कहा कि पीराने पीर दस्तगीर ग़ौसे आज़म ने हमेशा दीन दुखियों की मदद की,खेल खेल में मुर्दो को ज़िंदा कर दिया,मुसलमानो को तालीम और हक़ के रास्ते पर चलने का पैग़ाम दिया।इसी कड़ी में सपा नेता ई.अनीस अहमद ख़ाँ और समाजसेवी पम्मी ख़ाँ वारसी,शहर इमाम मुफ़्ती खुर्शीद आलम,कदीर अहमद की दस्तारबंदी करते हुए सम्मानित किया गया।मोहम्मद फ़राज़ मियाँ कादरी ने बताया कि हज़रत सय्यद मीर वतन रहमतुल्लाह अलेह के खानदानी बुजुर्ग आज से तकरीबन 316 साल पहले बग़दाद शरीफ़ से वलियों के सरदार ग़ौसे आज़म के रोज़ाए मुबारक़ से झण्डा शरीफ़ बरेली शरीफ़ लेकर आये,ये ग़ौस पाक का झण्डा हमेशा बरेली व लोगों की हिफाज़त करेगा और अमन का पैग़ाम देगा।उर्स के प्रोग्राम की सदारत हज़रत तौकीर रजा खां ने की।महफिल ए समां में फ़नकारों ने अपने अपने कलामों में बुजुर्गों को रूहानी ज़िन्दगी पर रोशनी डाली,रंग शरीफ पढ़ा गया।बाद नमाज़े जौहर 2:38 पर हज़रत सय्यद मीर वतन रहमतुल्लाह अलेह के कुल शरीफ की रस्म अदायगी के बाद तादात बीमारियों से सबको दूर रखने,और जो बन्दे बीमारियों की गिरफ्त में आ हुए है अल्लाह पाक वलियों के वसीले से उनको शिफ़ा दे,वतन की खुशहाली और तरक़्क़ी भाईचारे को ख़ुसूसी दुआएँ की गई सलातो सलाम का नज़राना पेश किया गया। और सुर्मा किंग मरहूम एम. हसीन हाशमी सहित जो लोग दुनिया से रुखसत हो गये उनकी मग़फ़िरत के लिये दुआ की गई।हाज़रिने महफ़िल को लंगर तबर्रुक बाटा गया।