तेरे आने की जब खबर महके, सृजन सेवा संस्थान द्वारा मुशायरे का आयोजन


श्रीगंगानगर। ?रोशनी का कुछ ना कुछ इमकान होना चाहिए/ बंद कमरे में भी रोशनदान होना चाहिए/वो जो अनपढ़ हैं, चलो हैवान हैं तो ठीक है/हम पढ़े लिखों को इंसान होना चाहिए/हिंदू मुस्लिम चाहे जो लिखा हो माथे पर मगर/आपके सीने में हिंदुस्तान होना चाहिए।?
मशहूर शायर डॉ. नवाज देवबन्दी (सहारणपुर) ने रविवार रात जब ये गजल पढ़ी तो सारा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। वे सृजन सेवा संस्थान एवं नोजगे पब्लिक स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ?तेरे आने की जब खबर महके-एक शाम शायरी के नाम? कार्यक्रम में अपना कलाम पढ़ रहे थे। सर्वधर्म समभाव और प्रेम-मुहब्बत को समर्पित इस कार्यक्रम में उन्होंने एक से बढ़कर एक गजल-अशआर और नज्में प्रस्तुत की। उन्होंने शुरुआत एक नज्म से की, जिसमें अपने घर में पाले परिंदे को उड़ाने और उसके वापस लौट आने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस परिंदे के पांवों में उन्होंने मुहब्बत की डोर बांधी है। डॉ. नवाज देवबन्दी ने एक घंटे से भी ज्यादा समय तक श्रोताओं को इंसानियत, प्रेम और भाईचारे से सराबोर शायरी से भिगोये रखा।
अंबाला से आए शायर नफस अंबालवी (डॉ. कमलेश कौशिक) ने भी अपनी शायरी का रंग जमाया। उन्होंने कहा, ??घर किसी का भी हो जलता नहीं देखा जाता/हमसे चुप रह के तमाशा नहीं देखा जाता/ये इबादत है इबादत में सियासत कैसी/इसमें काबा या कलीसा नहीं देखा जाता।
डॉ. संदेश त्यागी ने अपने गीतों और गजलों से अलग ही रंग जमाया। उनका एक शे?र श्रोताओं के दिल पर छा गया, ??लब पे लानत या मलामत के सिवा कुछ भी नहीं/अब सियासत में अदावत के सिवा कुछ भी नहीं/वो जो आया था मुझे लूटने वो क्या जाने/मेरे पहलू में मुहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं।??
डॉ. अरुण शहैरिया ?ताइर? ने भी अपनी गजलों से सबको प्रभावित किया। उन्होंने सुनाया, ??क़िस्मत की ठोकरों का भी मारा नहीं हूँ मैं/धरती पे आ गिरूँ कोई तारा नहीं हूँ मैं/मुझ पर न जल्दबाजी में कुछ फैसला करो/घायल हूँ दोस्तो हारा नहीं हूँ मैं।??
बांसवाड़ा के निकट कुशलगढ़ से आई मेहर माही ने अपनी रूमानी शायरी से महफिल में चार चांद लगा दिए। उन्होंने कलाम पढा, ??कुछ इस लिए भी मुझ को भला सा लगा वो शख्स/जब भी मिला वो मुझ से, झुका कर नजर मिला/जब तुम मिले तो ऐसा लगा पहली मर्तबा/मुद्दत के बाद आज कोई हमसफर मिला।??
आकाशवाणी के वरिष्ठ उद्घोषक पद से सेवानिवृत्त हुए शायर राजेश चड्ढा ने सूफियाना शायरी से अपना प्रभाव जमाया। उन्होंने कहा, ??तेरे होते ज़ख्म सारे भर गए थे/तेरे जाते ही हरापन आ गया है/पुजारी मैं तेरी पूजा में रत था/तेरा भगवान पर मन आ गया है।??
भादरा के वरिष्ठ शायर पवन शर्मा ने छोटी बहर की गजलों से खूब रंग जताया। उन्होंने कहा, ??रोज मिले वो यार कहां/मिल जाए तो प्यार कहां/ प्यार हुआ इतवारी जब/रोज भला इतवार कहां।??

जगजीतसिंह को किया याद

कार्यक्रम के दौरान शायर नवाज देवबन्दी ने श्रीगंगानगर के सपूत विश्व विख्यात गजल गायक जगजीतसिंह को याद करते हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि पहले वे केवल मुशायरों में जाने जाते थे, लेकिन जगजीतसिंह ने उनकी गजलें गाकर उन्हें युवा वर्ग में, स्कूल-कॉलेज में मशहूर कर दिया। देवबन्दी का कहना था कि जगजीतसिंह जितने अच्छे कलाकार थे, उतने ही अच्छे इंसान भी थे।

अतिथियों का भी सम्मान


कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद समाजसेवी विजय गोयल, ज्वैलर्स सरदार एम.पी. सिंह, सूरतगढ़ के व्यवसायी वली मोहम्मद एवं सेक्रर्ड हॉर्ट कॉन्वेंट स्कूल की प्रधानाचार्य सिस्टर फिन्सी को भी शॉल ओढ़ाकर एवं सम्मान प्रतीक भेंट किया गया। घनश्याम राजपुरोहित का सम्मान श्याम गोस्वामी ने ग्रहण किया। सभी शायरों का भी सम्मान किया गया। इससे पहले सृजन के सचिव कृष्णकुमार आशु ने सभी शायरों का परिचय दिया। स्वागत नोजगे स्कूल के चेयरमैन डॉ. पीएस सूदन ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य नागरिक मौजूद थे।