तहसीलदार साहब जरा दिजिए ध्यान,तहसील आफिस में औंधे मुंह गिरा महिला सम्मान,कूड़े कचरे का ढ़ेर बना शौचालय 

संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय�

चकिया-करोडों की लागत से तहसील परिसर में कई एकड़ में �बनें तहसील कार्यालय में अधिकारियों के लिए तो सभी सुविधाएं मौजूद हैं पर आम लोगों की सुविधाओं का तनिक भी ध्यान नहीं है। तहसील कार्यालय में महिलाओं व दिव्यांगों तक के लिए शौचालय/यूरिनल की व्यवस्था करना तहसीलदार शायद भूल गये। एक तरफ सरकार स्वच्छ भारत मिशन पर करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा करते हैं वही तहसील कार्यालय चिराग तले�अंधेरा की कहावत को�चरितार्थ कर रहा है।

तहसील क्षेत्र के दर्जनों गांव का राजस्व मामला देखने वाला यह कार्यालय आमजन की परेशानी से अनजान बना पड़ा है। तहसील कार्यालय में हर रोज सैकड़ो की संख्या में महिला, पुरुष अपनी फरियाद लेकर पहुंचते हैं। यही नहीं यहां प्रतिदिन दर्जन दिव्यांगों का भी आना-जाना है, बावजूद शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है। भले ही शासन प्रशासन दिव्यांगजन और महिलाओं के सम्मान व हक की बात करता है लेकिन उनके लिए एक प्रसाधन की व्यवस्था तक नहीं कर पाया है। कहने�को तहसील प्रशासन में सुलभ शौचालय का निर्माण कराया गया है लेकिन वह भी कबाड़ बना है। ऐसे में लोगों को काफी परेशानियों से जूझना पड़ता है।

इस संबंध में उप जिलाधिकारी ओझा ने बताया कि नगर पंचायत से इस संबंध में वार्ता कर जल्द से जल्द तहसील प्रांगण में इस समस्या को दूर कर दिया जाएगा।

*महिलाओं को होती है परेशानी*
वैसे तो नगर क्षेत्र में बेहतर सुविधा और टॉयलेट की व्यवस्था सुनिश्चित करना नगर पंचायत का काम है। लेकिन नगरपंचायत नेभी तहसील प्रांगण में यूरिनल लगवाना जरूरी नहीं समझा। प्रसाधन�के अभाव में दूर दराज से आने वाले फरियादियों को काफी दिक्कत होती है खासकर महिलाओं को शंका�समाधान के लिए आए दिन शर्मसार होना पड़ता है। वहीं पुरुष अत्र तत्र�खुले में लघुशंका�कर तहसील को बदबूदार बना रहे हैं।

*कूड़े कचरे का ढेर बना शौचालय*
तहसील परिसर में तीन वर्ष पूर्व शुलभ शौचालय का निर्माण कराया गया था।जो निष्प्रयोज्य हो चुका है।साथ ही उसमें चारो तरफ व्याप्त गंदगी और कूड़ा करकट परिसर की व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रहा है।इसके चलते महिलाओं को और भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।