केदारी लाल को निवाला बनाने वाले बाघ को वन विभाग की टीम ने रेसक्यू अभियान चलाकर पकड़ा

पीलीभीत। कलीनगर तहसील क्षेत्र के जंगल से सटे कई गांवों में दहशत का पर्याय बने बाघ को आखिरकार चलाये गये रेसक्यू अभियान के बाद आखिरकार वन विभाग की रेसक्यू टीम ने पकड़ ही लिया। सोमवार सुबह करीब चार बजे डीएफओ मनीष सिंह के नेतृत्व में बाघ को बेहोश कर पकड़ गया। अब उसे जंगल में सुरक्षित स्थान पर रखकर निगरानी की जा रही है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व की माला रेंज के अंतर्गत नौ सितंबर को कलीनगर के बांसखेड़ा गांव निवासी केदारी लाल को बाघ ने हमला कर मार डाला था। केदारी लाल खेत में फसल की रखवाली करने गए थे। उसी वक्त घटना हुई थी। इसके बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने माधोटांडा-पीलीभीत मार्ग पर शव रखकर विरोध जताया था। इसके बाद पीटीआर के अफसर गंभीर हुए और बाघ को पकड़ने के लिए विभागीय मुख्यालय से अनुमति ली। तीन दिन पूर्व जंगल में पिंजरा लगाने के साथ मवेशियों को भी बांधा गया। सोमवार सुबह करीब चार बजे डीएफओ मनीष सिंह के नेतृत्व में ट्रेंकुलाइज एक्सपर्ट डॉ. दक्ष गंगवार समेत टीम ने अभियान शुरू किया।

टीम को पहली ही डॉट में बाघ को बेहोश करने में सफलता मिल गई। बेहोश होने के बाद बाघ को जंगल में सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया, जहां उसकी निगरानी शुरू कर दी गई। अभी उसको छोड़ने के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
डीएफओ मनीष सिंह ने बताया कि सोमवार सुबह बाघ को पकड़ लिया गया। सुरक्षित स्थान पर ले जाकर देखरेख की जा रही है। बाघ स्वस्थ है। विभागीय निर्णय के बाद उसे जंगल में छोड़ने पर अमल किया जाएगा।