आईजीआरएस पर शिकायत दर्ज कराना शिकायतकर्ता को पड़ा महंगा 

ऊंचाहार,रायबरेली।सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ प्रदेश भर में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर लगातार नए नए प्रयास कर रहे हैं। परंतु पुलिस है कि योगी की सरकार की छवि को धूमिल करने में तनिक भी कसर नहीं छोड़ रही है। शायद जिले के कप्तान ने भी थाना स्तर की पुलिसिंग को छूट दे दी है जिससे फरियादियों को न्याय मिलना दुश्वार हो गया है।बता दें कि ऊंचाहार कोतवाली क्षेत्र से एक मामला प्रकाश में आया है जिसमें रास्ते के विवाद को लेकर न्याय मांगना एक फरियादी को महंगा पड़ गया।शिकायतकर्ता को ही पुलिस ने शांति भंग करने की धारा में पाबंद कर दिया।वहीं क्षेत्राधिकारी डलमऊ अरुण कुमार नौहवार के नेतृत्व ने भी पुलिस को मनमानी करने के लिए पूरी छूट दे रखी है।पूरा मामला कोतवाली क्षेत्र ऊंचाहार के ग्राम कमालपुर,पोस्ट- उमरन का है।कमालपुर निवासी उदय भान सिंह पुत्र हरी प्रसाद सिंह ने रास्ते के विवाद को लेकर विपक्षी शिव बहादुर पुत्र पत्र सत्ती दीन व काली दीन पुत्र शिव बहादुर ,निवासी ग्राम कमालपुर, पोस्ट- उमरन के विरुद्ध थाना ऊंचाहार में प्रार्थना पत्र दिया, साथ ही आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत भी दर्ज कराई।जिसमें शिकायतकर्ता ने पुलिस और प्रशासन से रास्ते में किए गए अवैध कब्जा हटवाने की गुहार लगाई है।शिकायतकर्ता ने बताया कि गांव के ही रहने वाले शिव बहादुर पुत्र सत्तीदीन द्वारा लगभग 20 दिनो से रास्ते में बाँस व गिट्टी डालकर मार्ग को पूरी तरह बंद कर दिया गया है,जिसका फोटो प्रार्थना पत्र के साथ भी संलग्न है।जिसके परिणाम स्वरूप मेरे घर आने जाने का रास्ता पूरी तरह बंद हो गया है,जिसके संबंध में मेरे द्वारा शिव बहादुर से बात करके रास्ते को साफ करने व रास्ते के अवरुद्ध को हटाने के लिए बोला,तब उनके पुत्र कालीदीन द्वारा मेरे साथ मारपीट करने की कोशिश की गई लेकिन प्रार्थी लड़ाई झगड़ा नहीं चाहता बल्कि उक्त मामले का शांति पूर्ण व नियमपूर्वक निस्तारण चाहता है।शिकायतकर्ता ने कहा कि इस प्रकरण में बीती 10 अगस्त 2024 को थाना प्रभारी ऊंचाहार को प्रार्थना पत्र देकर मेरे द्वारा न्याय की मांग की गई,जिससे आवागमन के मार्ग में उत्पन्न किया गया अवरोध समाप्त हो सके।साथ ही आईजीआरएस पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कराई गई जिससे हल्का पुलिस नाराज हो गई और मौके की जांच किए बगैर शान्ति भंग की धारा में चालान कर दिया गया।पीड़ित ने बताया कि न्याय तो नही मिला किंतु न्याय मांगने पर पाबंद जरूर कर दिया गया।अगर पुलिस प्रशासन चाहता तो न्याय मिल जाता। पीड़ित का आरोप है कि मामले में न्याय न दिलाकर एक पक्षीय कार्यवाही की गई है।