दुष्कर मामले की अब महिला निरीक्षक और उप निरीक्षक करेंगे विवेचना, पीड़ितों को न्याय दिलाना होगा सुगम 

चंदौली- एक जुलाई से लागू हुए नए कानून के तहत महिलाओं और किशोर-किशोरियों से संबंधित अपराधों की सजा में सख्ती की गई है। अब दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराधों की जांच की जिम्मेदारी महिला निरीक्षक या उप निरीक्षक को सौंपी जाएगी। पुराने आइपीसी कानून में इस तरह के मामलों की विवेचना में महिला-पुरुष की अनिवार्यता नहीं थी। पाक्सो एक्ट के तहत नाबालिग बालक-बालिकाओं से संबंधित अपराध की जांच की जिम्मेदारी भी महिला पुलिस अफसर को ही सौंपी जाएगी।

महिला थाना प्रभारी प्रियंका सिंह ने बताया कि महिलाओं और बच्चों से संबंधित अपराध अब भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में चारा 63 से 97 तक हैं। दुष्कर्म में अधिकतम उम्रकैद और न्यूनतम 10 वर्ष की कैद का प्रविधान है। दुष्कर्म पीड़िता की उम्र यदि 16 वर्ष से कम होगी तो कम से कम 20 वर्ष की कठौर कैद या उम्रकैद और जुर्माना से दोषी को दंडित किया जाएगा। दुष्कर्म पीड़िता की उम्र यदि 12 वर्ष से कम होगी तो न्यूनतम 20 वर्ष की कैद, आजीवन कारावास या मृत्युदंड और जुर्माना से दोषी या दंडित किया जाएगा।

इसी तरह से सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता यदि वयस्क होगी तो दोषी की सजा की अवधि 20 वर्ष से कम नहीं होगी। साथ ही, उम्रकैद का भी प्रावधान है। पीड़िता की उम्र यदि 18 वर्ष से कम होगी तो दोषी को उम्रकैद या मृत्युदंड और जुर्माने से दंडित किया जाएगा। नए कानून में शादी का झांसा देकर दुष्कर्म का अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में कर दिया गया है। इसलिए पुलिस अब वगैर वारंट के ही आरोपित को गिरफ्तार कर सकेगी। हालांकि सजा का प्रविधान पहले की ही भांति 10 वर्ष तक और जुर्माने का है। 60 वर्ष से ज्यादा उम्र तो गिरफ्तारी के लिए डिप्टी एसपी से अनुमति जरूरी होगी।

वही इस संबंध में एसपी आदित्य लांग्हे ने बताया कि नए कानून के तहत महिला अपराध में कड़ी सजा के प्रविधान हैं। ऐसे अपराध की विवेचना महिला पुलिस अफसर करेंगी। बीएनएस की नई धाराओं को लेकर आधी आबादी को जागरूक किया जा रहा है।