*सुब्हानी मियां की सरपरस्ती में दरगाह पर हुआ ताजुशशरिया का कुल।

*बचपन से बड़े फ़क़ीह व ज़हीन थे ताजुशशरिया।*बरेली,ताजुशशरिया मुफ़्ती अख़्तर रज़ा क़ादरी अज़हरी मियां का आज छठा उर्स-ए-ताजुशशरिया बड़े अदब-ओ-अक़ीदत के साथ दरगाह आला हज़रत पर दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हानी मियां की सरपरस्ती व सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी(अहसन मियां) की सदारत में हुआ। कुल शरीफ की रस्म में दुनियाभर से आए लाखों अकीदतमंदों ने शिरकत की। बाद नमाज़ फ़ज़्र रज़ा मस्जिद में क़ुरानख्वानी हुई। दिन में हम्द ओ नात का नज़राना नातख़्वा आसिम नूरी व हाजी गुलाम सुब्हानी ने पेश किया। ज़ायरीन ने मज़ार शरीफ पर गुलपोशी व चादरपोशी कर मन्नत माँगने का सिलसिला जारी रहा। सुबह से ही दरगाह प्रमुख की ओर से लंगर की व्यवस्था ज़ायरीन के लिए की गई।मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि शाम 4 बजे महफ़िल का आगाज़ तिलावत- ए-क़ुरान से किया। इसके बाद देश भर के उलेमा की तक़रीर का सिलसिला शुरू हुआ। सभी ने अपने अपने अंदाज़ में आला हज़रत व ताजुशशरिया को खिराज़ पेश किया। शायर चांद रज़ा ने मनकबत का नज़राना पेश किया।मुफ्ती अय्यूब खान नूरी ने कहा कि अपने दौर में हक़ की सबसे मज़बूत आवाज़ का नाम ताजुशशरिया है। आप बचपन से ही बड़े फ़क़ीह व ज़हीन थे। सच्चे आशिके रसूल थे जिसकी मिसाल आपकी नातिया शायरी है। आप इश्के रसूल में डूब कर नातिया शायरी लिखते थे। आपने सारी उम्र नबी-ए-करीम के बताए रास्ते पर चलते हुए मज़हब व मसलक की खिदमात को अंजाम दिया। मसलक-ए-आला हज़रत के प्रचार प्रसार के लिए दुनियाभर के दौरे किए। आप् कई किताबों के मुसन्निफ़ थे। अरब व अजम के बड़े-बड़े अल्लामा ने आपके इल्म का लोहा माना। आपके दर से कोई खाली नही लौटा। दुनिया मे ताजुशशरिया को जो शोहरत हासिल हुई वो उनके इल्म की बुनियाद पर। कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी व मौलाना जाहिद रज़ा ने कहा कि आप मुफ़्ती,हाफिज,कारी,शायर के मुहद्दिस,मुसन्निफ के साथ साथ तकरीबन चालीस से अधिक उलूम व फुनून पर महारत हासिल थी। मुफ्ती आकिल रजवी ने शायराना अंदाज़ में खिराज़ पेश किया करते हुए ताजुशशरिया की मज़हबी व इल्मी ख़िदमात पर रोशनी डाली। आपने कभी दौलत और शोहरत की परवाह नही की। परवाह को तो नबी ए करीम के बताए रास्ते पर चलने की परवाह की तो मसलक ए आला हज़रत की।आगे कहा की आज के दौर में न कोई इल्म के मैदान में और न ही अमल के मैदान में कोई दूसरा हज़रत अख्तर रज़ा मिलता नही। यही वजह है कि आज हजारों की नही बल्कि लाखों की तादात में अकीदतमंद उनको बरेली की सरजमीं पर पहुंचकर खिराज पेश कर रहे है। इस मौके पर सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां ने ज़ायरीन को अपना पैगाम जारी करते हुए कहा कि पर्दा इस्लाम का अहम हिस्सा है। हम अपनी बहन बेटियां को पर्दा की ताकीद करे। अपनी निगरानी में उनकी अच्छी तालीम और तर्बियत दे। बेटे और बेटियों का खास ख़्याल रखे,जो बच्चियां स्कूल व कॉलेज में पढ़ती है उनकी तालीम का वही तरीका अख्तियार करे जो शरीयत की नज़र में जायज़ हो। चूकि बच्चियों कागज़ के मानिद होती है।आज के माहौल के मद्देनजर रखते हुए बच्चे-बच्चियों की उम्र शादी के लायक हो जाये तो अच्छा घराना देखकर उनकी शादी कर दे। ताकि हमारे बच्चें गलत कदम उठाने से बचे। अपने बच्चों के दिलों में अल्लाह की अजमत और उसके रसूल की मोहब्बत व इस्लाम की अहमियत बिठाई जाए उनको बुजुर्गों की जिदंगी पढ़ाई जाए।दहेज़ जैसी सामाजिक बुराई का बहिष्कार करें। बेटियों को दहेज़ नही विरासत में हिस्सा दे।* मुफ़्ती अफ़रोज़ आलम,मुफ़्ती मोइन,मुफ़्ती जमील,मुफ़्ती सय्यद कफील हाशमी ,मुफ्ती बशीर उल कादरी ने भी खिराज़ पेश किया। निज़ामत(संचालन) कारी इर्शादुल क़ादरी ने की। शाम 7 बजे फ़ातिहा पढ़ी गई। फातिहा के बाद मज़हब और मिल्लत के साथ देश-दुनिया मे खुशहाली के लिए ख़ुसूसी दुआ सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां ने की।र्स की व्यवस्था शाहिद नूरी,नासिर कुरैशी,हाजी जावेद खान,औररंगज़ेब नूरी,मंजूर रज़ा,मौलाना इस्लाम,अजमल नूरी,परवेज़ नूरी,ताहिर अल्वी,साकिब खान,मंज़ूर रज़ा,मुजाहिद नूरी,सय्यद माजिद, जोहिब रज़ा,साकिब रज़ा,गजाली रज़ा,ताहिर अमरोहवी,गौहर खान,शान रज़ा,रिज़वान रज़ा,अश्मीर रज़ा,सुहैल रज़ा,रोमन रज़ा,अरबाज़ रज़ा,आरिफ रज़ा,काशिफ सुब्हानी,अब्दुल माजिद हाजी फैयाज,आलेनबी,इशरत नूरी,सय्यद एजाज़,रफी रज़ा,समीर रज़ा,साजिद नूरी,इमरान रज़ा रामपुरी, आकिल रज़ा,शावेज़ रज़ा,सुहैल चिश्ती,इशरत नूरी,रोमान रज़ा,ग्याज़ रज़ा,गुलाम जिलानी,ताहिर रज़ा,इरफान,सय्यद एजाज़ आदि ने सम्भाली।