नेताजी सावधान ! भंडारे में गए तो चुनाव खर्च में जुड़ेगा हिसाब

राजनीतिक दलों के लिए धार्मिक आयोजन, लंगर, सामूहिक भोज मतदाताओं से जुड़ने के लिए सबसे आसान रास्ते होते हैं। चुनाव आयोग की गाइडलाइन के अनुसार प्रत्याशी इस बार लोकसभा चुनाव के बीच पड़ने वाले नवदुर्गा महोत्सव, बैशाखी समेत अन्य धार्मिक एवं सामाजिक आयोजनों में होने वाले गैर संस्थागत सामूहिक भोज, भंडारों में शामिल नहीं हो पाएंगे। यदि कोई भी प्रत्याशी इन आयोजना में पहुंचता है तो फिर आयोजन का पूरा खर्च संबंधित प्रत्याशी के चुनाव खर्च में जोड़ा जाएगा।आयोग ने कहा है कि निर्वाचकों से मिलने के लिए आयोजित किये गये ऐसे सामुदायिक भोज के कार्यक्रम भले ही किसी नाम से बुलाये गये हों अथवा खुद अभ्यर्थी या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा ही क्यों न आयोजित किये गये हों यदि अभ्यर्थी उसमें भाग लेता है तो इस पर होने वाले खर्च को अभ्यर्थी के निर्वाचन व्यय में शामिल किया जायेगा। निगरानी दलों एवं आयोग ने निर्वाचन अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिये हैं कि ऐसे सामुदायिक भोज आदि में अभ्यर्थी ने कोई वित्तीय योगदान नहीं दिया हो और किसी भी तरीके से ऐसे सामुदायिक भोज में किसी तरह का राजनैतिक अभियान न चलाया गया हो।

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ऐसे आयोजनों में जाने पर कोई पाबंदी नहीं।

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निर्वाचन आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह निर्देश धार्मिक समुदायों द्वारा अपने संस्थानों के अंदर प्रथागत तौर पर आयोजित लंगर, भोज या कोई समारोह जैसे शादी, मृत्यु आदि के सामान्य भोज पर लागू नहीं होगा, जबकि यह अभ्यर्थी को छोड़कर किसी व्यक्ति द्वारा आयोजित किया गया हो। ऐसे सामुदायिक भोज, लंगर, दावत आदि पर किये गये व्यय को अभ्यर्थी के निर्वाचन व्यय में शामिल नहीं किया जायेगा। बशर्ते कि अभ्यर्थी उसमें सामान्य आंगतुक के रूप में भाग लेता हो।