पीड़िता ने उपजिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर लेखपाल पर कब्जा कराने का लगाया आरोप

न्याय न मिल पाने पीड़िता ने धरना पर बैठने की सूचना पर घर के सामने से घूरा हटवाया गया,लेकिन लेखपाल की दूषित मानसिकता से फिर से धरने पर बैठने को किया मजबूर पीड़िता

ऊंचाहार,रायबरेली।जिलाधिकारी के पास पीड़िता की माथा टेकने के बाद भी नहीं मिला न्याय,मजबूरन जिलाधिकारी के दिए गए निर्देश वाले शिकायती पत्र को गुरुवार को पीड़ित ने ऊंचाहार उपजिलाधिकारी को दी।पीड़ित के घर के सामने से घूरा तो प्रशासन ने हटवा कर पीड़ित को कब्जा करने लिए कहा लेकिन सरहंग किस्म के लोगों ने सभी आदेशों को दरकिनार कर उस जमीन पर बांस बल्ली गाड़ कर फिर काबिज हो गए।इस प्रकार न्याय मिलने लगे तो पीड़ित दिन प्रति दिन सुबह उठकर पहले अधिकारियों की चरणबंदगी में लग जाए।तभी उसे न्याय मिल पाएगा।जबकि इस मामले में पीड़ित महिला पूर्व में डायल 112 की कॉल कर अपनी आप बीती बताई लेकिन महिला का सलोन कोतवाली से शांति भंग में चालान किया जा चुका है।लेकिन समस्या का कोई हल नहीं निकला।लेकिन जिलाधिकारी हर्षिता माथुर के हस्तक्षेप पर घूरा हटा लेकिन कब्जा नही मिल सका।पीड़ित ने गुरुवार की सुबह उपजिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र देते हुए न्याय दिलाए जाने की गुहार लगाई है।बताते चले की इटैली निवासी शीला देवी पत्नी रामविशाल ने बताया की 10 जनवरी को जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरना पर बैठने की सूचना दी,तो 09 जनवरी को तहसील प्रशासन से लेखपाल पहुंच कर घर के सामने से घूरा हटवा दिया,लेकिन लेखपाल विपक्षी से मिलकर बांस बल्ली गाड़ कर मवेशियों को बांधने और दीवाल बनाने का मौखिक आदेश दिया।जिसपर विपक्षी लेखपाल के बताए रास्ते पर चलकर काबिज हो गया।बृहस्पतिवार को पीड़ित ने उपजिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर कल्लू,मुन्ना और क्षेत्रीय लेखपाल पर कब्जा कराए जाने का आरोप लगाया है।देखना ये होगा की पीड़ित को न्याय कब मिलेगा।जब लेखपाल जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी के आदेशों को दरकिनार कर देते है।वही इस बाबत उपजिलाधिकारी सिद्धार्थ चौधरी को फोन लगाया गया लेकिन बात नहीं हो सकी।