मुशायरा में वसीम बरेल्वी द्वारा काव्य संग्रह का विमोचन किया संम्मानित

बरेली बज़्मे मीरो ग़ालिब के तत्वावधान में रोटरी क्लब बरेली में डॉक्टर नईम शबाब के नातिया काव्य संग्रह ?तजल्लीयाते अक़ीदत? का विमोचन प्रोफेसर वसीम बरेलवी के द्वारा किया गया जिसके मेहमान ए खुसूसी डॉक्टर कदीर अहमद रहे अध्यक्षता शाहीन सेन्थली ने की संचालन असरार नसीमी ने किया विमोचन करते हुए वसीम बरेलवी ने नगर में इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजनों पर प्रसन्नता व्यक्त की इस अवसर पर बिलाल राज़ ने नात पाक से मुशायरा की शुरुआत की, उसके बाद शायरों और कवियों ने अपना-अपना कलाम पेश कर वाह वाही लूटी, वसीम बरेलवी ने कहा वह झूठ बोल रहा था बड़े सलीके से मैं एतबार न करता तो और क्या करता, अकील नोमानी ने पढ़ा अभी तक नींद से पूरी तरह रिश्ता नहीं टूटा/अभी आंखों को कुछ ख्वाबों की खातिर सोना पड़ता है, बाक़र ज़ैदी को इस शेर पर काफी दाद मिली, बहुत ज़रख़ेज़ है बंजर नहीं है हमारा दिल कोई पत्थर नहीं है , डॉ० अमन का यह शेर श्रोताओं को पसंद आया घनेरी छांव मिल सकती है लेकिन पुराने पेड़ खिदमत मांगते हैं, असरार नसीमी ने कहा मुब्तिला जब मरज़ में होता हूँ बेतहाशा मुशीर मिलते हैं मुशायरे में ख़ालिद नदीम, दानिश बदायूँनी, इश्तियाक फतेहगंज, अदील जाफरी, मुख्तार, तिलहरी, रणधीर गौड़, बिजेन्द्र अंकिचन, रामकुमार अफ़रोज़, सत्या सिंह ने अपना कलाम पेश किया, सहयोग ज़ैनुल आबेदीन , मिन्हाजुल आबेदीन ने किया आभार डॉ मारिया शबाब , कार्यक्रम में असरार नसीमी , बाकर ज़ैदी, डा रीता शर्मा, शबाना, पाकीज़ा, खुशनुमा, चांद भाई, मोनू खान, नदीम इक़बाल, नदीम खान, यामीन, मनमोहन सिंह तनेजा, इल्हामुद्दीन, और अमन कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष डा कदीर अहमद आदि लोग मौजूद रहे।