जीवन में खतरों से खेलना बहुत जरूरी: डा रवीन्द्र शुक्ल

जीवन में खतरों से खेलना
जरूरी : डा. रवीन्द्र शुक्ल


बुविवि के कला संकाय के नव प्रवेशित विद्यार्थियों का अभिविन्यास कार्यक्रम


झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कला संकाय के नव प्रवेशित विद्यार्थियों के अभिविन्यास कार्यक्रम का समापन सोमवार को गांधी सभागार में संपन्न हुआ। इसके मुख्य वक्ता और पूर्व मंत्री डा. रवींद्र शुक्ल ने कहा कि जीवन के दो पहिए हैं। एक पहिया है सफलता, दूसरा है जीवन की सार्थकता। इन दोनों पहियों में संतुलन होना बहुत जरूरी है। जीवन में खतरों से खेलना बहुत जरूरी है।
उन्होंने अपने पैतृक गांव और वहां की विषम परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे तैराकी सीखी। शिक्षा हासिल करने में आने वाली विषमताओं का भी उन्होंने उल्लेख किया।
उन्होंने अपनी एक रचना 'कोई चलता पद चिह्नों पर कोई पद चिह्न बनाता है, पद चिह्न बनाने वाला ही, दुनिया में पूजा जाता है' भी सुनाई।
उन्होंने सभी विद्यार्थियों को गीता पढ़ने का सुझाव दिया। श्री शुक्ल ने कहा कि गीता जीवन की विविध समस्याओं का समाधान देती है। गीता हम सबका बेहतर ढंग से मार्गदर्शन करती है। उन्होंने सभी से कुकू एफ एम नियमित रूप से सुनने की भी सलाह दी। उन्होंने अपनी पुस्तक संजीवनी के दोहे भी सुनाए। उन्होंने महाकवि अवधेश को भी भावपूर्वक याद किया। श्री शुक्ल ने सभी विद्यार्थियों से अपना दृष्टिकोण सदैव सकारात्मक रखने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जीवन के लक्ष्य तय करो। सफलता के लिए तड़प पैदा करो यही सबसे अधिक जरूरी है। याद रखना केवल पैसा कमाना ही जीवन का लक्ष्य नहीं होना चाहिए।
उन्होंने एक दोहा 'जो कुछ मेरे पास है सब तेरा भगवान, तुझको अर्पण क्या करूं अर्पित निज अभियान' भी सुनाया।
डा अनिरुद्ध नायक ने कहा कि युवाओं को महापुरुषों के सुंदर विचारों को आत्मसात करना चाहिए। उन्होंने महाभारत युद्ध के दौरान श्री कृष्ण के उपदेश का जिक्र किया। उन्होंने गीता के कुछ प्रसंग और श्लोक भी सुनाए। उन्होंने कहा कि कभी मन हीनता का भाव नहीं लाना चाहिए। आत्मविश्वास ही सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। गीता सभी समस्याओं का समाधान देती है। उन्होंने डा एपीजे कलाम के जीवन वृत्त और उनके कार्यों को भी भावपूर्वक याद किया।
सिफ्सा के मंडलीय परियोजना प्रबंधक डा. आनंद चौबे ने कहा कि स्नातक शिक्षा काल बहुत अहम है। युवाओं को इस अवधि में अपने व्यक्तित्व का निर्माण करना चाहिए। उन्हें जीवन का लक्ष्य तय कर उसे निश्चित समयावधि में हासिल करना चाहिए।�
उन्होंने कहा कि आप की नियोजन क्षमता जितनी अच्छी होगी उतनी अधिक सफलता मिलेगी। हर काम को योजनाबद्ध ढंग से करना चाहिए तभी सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा जीवन जीने की कला भी सिखाती है। हमें अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। उन्होंने युवाओं को अपना जीवन तराशने का तौर तरीका भी बताया। उन्होंने सभी विद्यार्थियों से अपने प्रयासों में ईमानदार रहने और नजरिए को सदैव सकारात्मक रखने का सुझाव दिया। उन्होंने नृत्यांगना सुधा चंद्रन और अरुणिमा सिन्हा का उदाहरण भी दिया। चौबे ने सभी विद्यार्थियों को पुस्तकों को अपना मित्र बनाने की सलाह दी।
डा बृजेश दीक्षित ने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए विद्यार्थियों को अपना व्यक्तित्व संवारने का आह्वान किया। डा. सुधा शर्मा ने कहा कि विद्यार्थी और शिक्षक दोनों बेहतर प्रयास कर संस्थान को महत्व पूर्ण बनाते हैं। उन्होंने जीवन में सफलता के मंत्र दिए। सफलता का सबसे जरूरी कारक है अच्छा स्वास्थ्य। जिसका स्वास्थ्य सही होगा वहीं समाज को कुछ सार्थक योगदान दे सकता है। इसके साथ ही मन का स्वस्थ रहना भी जरूरी है। मन में अच्छे विचारों को ही प्रश्रय देना है। उन्होंने कहा कि वही बोलें जिसे आप कर सकते हैं। हर विचार को जिम्मेदारी से व्यक्त करना है। हर काम को योजनाबद्ध ढंग से करना चाहिए तभी सफलता मिलेगी। उन्होने सभी को गुस्से पर नियंत्रण का सूत्र भी दिया।
शुरुआत में कला संकाय अधिष्ठाता प्रो मुन्ना तिवारी ने अभिविन्यास कार्यक्रम का ब्यौरा पेश किया। उन्होंने सभी अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत भी किया। इस कार्यक्रम में सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया। अंत में प्रो मुन्ना तिवारी ने आभार व्यक्त किया।
इस कार्यक्रम में पत्रकारिता संस्थान के समन्वयक डा. जय सिंह, उमेश शुक्ल, डा. राघवेन्द्र दीक्षित, अभिषेक कुमार, समाज कार्य संस्थान के डा. यतींद्र मिश्र, डा. नेहा मिश्रा, डा. मनीषा जैन, डा. शिप्रा वशिष्ठ, डा. ऋतु सिंह, डा. अजय कुमार गुप्त, डा. ब्रजेश सिंह परिहार, दिलीप कुमार, संतोष कुमार, डा. श्रीहरि त्रिपाठी, डा. प्रेमलता, डा. शैलेंद्र त्रिपाठी, डा. द्युतिमालिनी, डा. शिल्पा मिश्रा, डा. राधिका चौधरी, डा. सुनीता वर्मा, डा. सुधा दीक्षित, डा अनूप कुमार, गजेंद्र सिंह, डा. पुनीत श्रीवास्तव, देवेंद्र सिंह समेत अनेक लोग उपस्थित रहे। संचालन डा. अचला पाण्डेय ने किया।�