लक्ष्य से अधिक उपलब्धि हांसिल कर सूबे के शीर्ष दस जनपदों में शामिल हुआ जिला गोंडा

गोंडा।बीते सप्ताह सूबे के महानिदेशक, राष्ट्रीय कार्यक्रम अनुश्रवण एवं मूल्यांकन की ओर से परिवार कल्याण कार्यक्रम की इंडीकेट वार उपलब्धि की एचएमआईएस पोर्टल पर अपलोड आंकड़ों के अनुसार समीक्षा की गई। वित्तीय वर्ष 2022-23 में परिवार नियोजन के नौ विभिन्न सूचकांकों की वार्षिक उपलब्धि पर हुई इस समीक्षा में गोंडा जनपद ने उच्चतम प्रदर्शन करने वाले सूबे के शीर्ष दस जनपदों में अपनी जगह बनाने में कामयाबी हासिल की है।

सीएमओ डॉ रश्मि वर्मा ने बताया कि वार्षिक लक्ष्य के सापेक्ष 104.91 प्रतिशत आईयूसीडी, 103.99 प्रतिशत पीपीआईयूसीडी तथा 103.64 प्रतिशत महिला नसबंदी की सेवा प्रदायगी कर महिला नसबंदी के मामले में जिले ने प्रदेश में दूसरा स्थान मुकाम हासिल किया है | इसके लिए जिले की चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की पूरी टीम बधाई के पात्र है | उन्होंने कहा कि मातृ एवं शिशु मृत्युदर में कमी लाने में परिवार नियोजन सेवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।

एसीएमओ / नोडल परिवार कल्याण कार्यक्रम डॉ एपी सिंह ने बताया कि कुल महिला नसबंदी की अनुमानित वर्षिक उपलब्धि के आपेक्षित स्तर के सापेक्ष उच्चतम प्रदर्शन करने वाले दस जनपदों में गोंडा, बलरामपुर, कुशीनगर, सहारनपुर, बिजनौर, झांसी, हमीरपुर, बंदायु, देवरिया व हापुड़ हैं, जिन्होंने क्रमशः 103.64,103.65, 100.61, 99.29, 97.66, 95.89, 95.05, 95.01, 94.35 तथा 94.31 प्रतिशत की उपलब्धि हासिल की है | इसी तरह अस्थाई गर्भनिरोधक साधन आईयूसीडी लगाने में उच्चतम प्रदर्शन करने वाले जिलों की सूची में गोंडा, सीतापुर, पीलीभीत, कानपुर नगर, मऊ, इटावा, प्रतापगढ़, सिद्धार्थनगर, चित्रकूट व वाराणसी जनपद ने अपनी जगह बनाई है। इनकी वार्षिक उपलब्धि का प्रतिशत क्रमश: 104.91, 105.09, 104.67, 102.74, 102.29, 101.97, 100.12, 99.94, 98.26 तथा 98.03 फ़ीसदी है।

पोस्ट पार्टम इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस जो कि प्रसव के 48 घंटे के अन्दर लगता है और जब दूसरे बच्चे का विचार बने, तो महिलाएं इसको आसानी से निकलवा भी सकती हैं | इस अस्थाई गर्भ निरोधक साधन की सेवा देने के मामले में उच्चतम प्रदर्शन करने वाले दस जनपदों में गोंडा, बुलंदशहर, बंदायू, शामली, आजम गढ़, प्रताप गढ़, फर्रुखाबाद, शाहजहांपुर, बागपत व हमीरपुर हैं | वार्षिक लक्ष्य के सापेक्ष इन्होंने 103.99, 105.26, 103.48, 103.47, 103.37, 103.33, 103.12, 101.68, 101.51 तथा 101.44 की उपलब्धि हासिल की है | इसके अलावा गर्भपात उपरांत लगने वाले पोस्ट एबॉर्शन इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस लगाए जाने के वार्षिक लक्ष्य 25 के सापेक्ष 45 महिलाओं को लाभान्वित कर जिले को 178.57 प्रतिशत की उपलब्धि मिली है।

यह हैं आंकड़े

एनएफएचएस-4 के अनुसार, जिले में किसी भी तरह के गर्भनिरोधक साधन की मांग मात्र 13.8 फ़ीसदी थी, एनएफएचएस-5 के अनुसार इस 27.3 प्रतिशत की वृद्धि के साथ यह मांग 41.1 प्रतिशत पर पहुंच गयी है।

डिस्ट्रिक्ट फैमिली प्लानिंग लॉजिस्टिक मैनेजर सलाउद्द्दीन लारी ने बताया कि कंडोम, ओरल पिल्स, छाया व अंतरा के अनुमानित वार्षिक उपलब्धि के सापेक्ष क्रमशः 126.05, 137.67, 111.67 तथा 149.44 प्रतिशत लाभार्थियों को सेवा दी गई।

मिलती है प्रोत्साहन राशि

डीपीएम अमरनाथ का कहना है कि परिवार नियोजन की स्थाई विधि अर्थात नसबंदी अपनाने वाली महिलाओं को दो हजार रुपए और पुरुषों को तीन हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि मिशन परिवार विकास के तहत प्रदान की जाती है | वहीं परिवार नियोजन के लिए प्रेरित करने वाली आशाओं को महिला नसबंदी के लिए तीन सौ रुपए और पुरुष नसबंदी के लिए चार सौ रुपए प्रेरक के रूप में दिए जाते हैं।

परिवार नियोजन के हैं कई फायदे

डीसीपीएम डॉ आरपी सिंह के अनुसार, परिवार नियोजन अपनाने से परिवार का आकार सुनिश्चित करने में मदद मिलती है, जल्दी-जल्दी बच्चे न होने से मां व बच्चों का स्वास्थ्य ठीक रहता है, दो बच्चों के जन्म में तीन साल का अंतर रहने से बच्चों की परवरिश बेहतर होती है तथा अच्छी सेहत व स्वास्थ्य के कारण काम का नुकसान नहीं होता और आर्थिक स्थिति बेहतर बनती है।