पसान वन अवरोध बैरियर है या वसूली का अड्डा

कोरबा : कटघोरा वनमंडल के वन परीक्षेत्र पसान के कोरबा और जीपीएम जिले के बॉर्डर मतिनदायी में बना वन अवरोध बैरियर वन विभाग के द्वारा लगाया गया है. जहाँ वन संपदा और गौड़ खनिज परिवहन की जांच वन विभाग पसान के द्वारा की जाती है. इसके लिए बाकायदा विभाग ने एक डिप्टी रेंजर समेत डेली वेजेस कर्मचारी की नियुक्ति की गई है. जिनके द्वारा बाकायदा वाहनों में लोड गौड़ खनिज संपदा संबंधित कागजो की पड़ताल कर गाड़ियों को वन विभाग पसान के सीमा में आने-जाने की अनुमति देते हैं. और बाकायदा वनावरोधक बैरियर में परिवहन संबंधित कागजातों पर सील मुहर लगाकर गाड़ियों के परिवहन संबंधित कागजातों को कलीन चिट देकर गाड़ियों को गंतव्य की ओर भेजते हैं.

यहाँ सील मुहर लगाने के काम को दूर से देखने पर तो ऐसा लगता है कि यहाँ के कर्मचारी अपना काम कितनी निष्ठा पूर्वक कर रहे हैं. लेकिन इसके अंदर की असलियत कुछ अलग ही है. दरअसल ये सारा खेल गाड़ियों से सील लगाने के नाम पर वसूली से जुड़ा हुआ है. जिसमें कोयला परिवहन करने वाली गाड़ियों से 20 से लेकर 50 रुपये प्रति गाड़ी वसूली की जाती है. वही रेत से लोड हाइवा से रेत रॉयल्टी चुराने में मदद करने के एवज में रकम 20-50 से बढ़कर ज्यादा हो जाती है. दरअसल एक हाइवा रोजाना कई ट्रिप रेत का परिवहन करते हैं. यह क्रम 24 घंटे चलता है जबकि नियमानुसार शाम के 6 बजे से सुबह के 6 बजे तक रेत घाट बंद रहना चाहिए. इसका बिलकुल साफ मतलब है कि एक रायल्टी पर्ची का उपयोग कई बार किया जाता है और वन अवरोध बैरियर से कुछ खास नजराना देकर दिन में अवैध परिवहन करते रहते हैं जबकि रात को यह परिवहन पूरी तरह से अवैध हो जाता है. लेकिन इस पर किसी भी विभाग का नजर ना पड़ना आश्चर्यचकित कर देता है. और वन अवरोध बैरियर से आराम से निकलना लंबा नजराना की कहानी बयां करती है.

अब देखना है कि खबर लगने के बाद पसान के तीन जिम्मेदार विभाग में से कौन सा विभाग पहले हरकत में आता है. या यह काम बदस्तूर यूँ ही आगे भी जारी रहता है और प्रशासन को राजस्व हानि होती रहेगी यह तो आने वाला वक्त बतायेगा.