ट्रैफिक लाइट बनी प्रशासन व नगर परिषद के बीच फुटबॉल

चित्तौड़गढ़ शहर का सबसे व्यस्त कलेक्ट्री चौराया जहां पर ट्रैफिक लाइट पिछले 8 माह से खराब पड़ी है यह वह चौराहा है। जहां पर जिला कलेक्टर जिला पुलिस अधीक्षक व अन्य अधिकारियों के।
कार्यालय हैं। जिले के सभी जनप्रतिनिधि चाहे वह सांसद और विधायक हो जिला प्रमुख हो या अन्य कोई भी पार्टियों के कार्यकर्ताओं इस कलेक्ट्री चौराहे पर दिन में कितनी बार आना ओर जाना होता होगा जिला कलेक्टर पुलिस अधीक्षक अन्य अधिकारियों के लिए यातायात कर्मी आवागमन करवा देते हैं लेकिन दिक्कत सबसे ज्यादा चित्तौड़ के शहर वासियों को होती है जब ट्रैफिक लाइट बंद होती है या तो जिला प्रशासन को चाहिए कि यह ट्रैफिक लाइटें ही हटा दें ताकि यातायात कर्मियों को यह पता रहे कि उन्हें किस तरह से इस कार्य को करना है और वह निरंतर इस कार्य को करते रहे जिला प्रशासन व नगर परिषद के बीच फुटबॉल बनी है यह ट्रैफिक लाइटें इसका खामियाजा चित्तौड़ के आम शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है सबसे ज्यादा शहर वासियों को तब दिक्कत का सामना करना पड़ता है जब ट्रैफिक कर्मी यहाँ नहीं खड़ा होता है तब सबसे ज्यादा दुर्घटना होने का डर बना रहता है या तो प्रशासन चाहता है कि कोई गंभीर दुर्घटना हो उसके बाद ही ट्रैफिक लाइट है चालू हो ऐसे ही मंशा लगती है प्रशासन की .. क्योंकि यातायात प्रभारी द्वारा समय-समय पर जिला कलेक्टर महोदय को लिखित में इसकी समस्या बताई गई और जिला कलेक्टर द्वारा नगर परिषद के अधिकारियों को समय-समय पर ठीक करने के निर्देशित किए गए हैं लेकिन नगर परिषद है कि इसे ठीक करना नहीं चाहती है। जब कभी राज्य के मुख्यमंत्री चित्तौड़ दौरे पर आते हैं तो रातों-रात टूटी हुई सड़कें बन जाती है तब कोई टेंडर या कोई टेंडर प्रक्रिया नहीं की जाती है लेकिन चित्तौड़ के सबसे व्यस्ततम चौराहे पर खराब हुई पिछले 8 महीने से लाइटें इंतजार कर रही है ठीक होने का .जिससे सीधे-सीधे चित्तौड़ के शहरवासी प्रभावित होते शायद चित्तौड़ के प्रशासनिक लोगों को इंतजार है कोई बड़ी दुर्घटना की तभी लाइटों को ठीक कराने की ओर सोचेंगे