आज साबित हो गया की वह विक्षिप्त व अमर्यादित जीव है

प्रमोद गुप्ता (9005392789)

सोनभद्र /जनपद में सनातन धर्म विरोधियों राम चरित मानस के शत्रुओं को पहचानों उनका हर तरह से बहिष्कार करें

आज साबित हो गया की वह विक्षिप्त व अमर्यादित जीव है

तुलसीदास ने साबित क़र दिया है अपने अन्य ग्रंथो में ढ़ोल गवार शूद्र पशु नारी की परिभाषा

ढोल गँवार सूद्र पशु नारी
सकल ताड़ना के अधिकारी।।

गोस्वामी तुलसीदास जी की इस चौपाई में दोष निकालने वालों अल्प ज्ञानियों मूर्खो
इस संदर्भ में तुलसीदास जी ने अपने अन्य ग्रंथो में तुम्हे जबाब दिया है स्पष्ट करते हैं।

ढोल
काठ की खोल तामें मढ़ो जात मृत चाम।
रसरी सो फाँस वा में मुँदरी अरझाबत हैं।
मुँदरी अरझाय तीन गाँठ देत रसरी में।
चतुर सुजान वा को खैंच के चढ़ाबत हैं।
खैंच के चढ़ाय मधुर थाप देत मंद मंद।
सप्तक सो साधि-साधि सुर सो मिलाबत हैं।
याही विधि ताड़त गुनी बाजगीर ढोलन को।
माधव सुमधुर ताल सुर सो बजाबत हैं।।
गँवार
मूढ़ मंदमति गुनरहित
अजसी चोर लबार।
मिथ्यावादी दंभरत
माधव निपट गँवार।।
इन कहुँ समुझाउब कठिन
सहज सुनत नहिं कान।
जा विधि समुझैं ताहि विधि
ताड़त चतुर सुजान।।
शूद्र
भोजन अभक्ष खात पियत अपेय सदा।
दुष्ट दुराचारी जे साधुन्ह सताबत हैं।
मानत नहिं मातु-पितु भगिनी अरु पुत्रवधू।
कामरत लोभी नीच नारकी कहाबत हैं।
सोइ नर सूद्रन्ह महुँ गने जात हैं माधव।
जिनके अस आचरन यह वेद सब बताबत हैं।
इनकहुँ सुधारिबे को सबै विधि ताड़त चतुर।
नाहक में मूढ़ दोष मानस को लगाबत हैं।।

पशु
नहिं विद्या नहिं शील गुन
नहिं तप दया न दान।
ज्ञान धर्म नहिं जासु उर
सो नर पशुवत जान।।
सींग पूँछ नख दंत दृढ़
अति अचेत पशु जान।
तिन कहुँ निज वश करन हित,ताड़त चतुर सुजान।।

नारी
नारि सरल चित अति सहज,अति दयालु सुकुमारि।
निज स्वभाव बस भ्रमति हैं,माधव शुद्ध विचारि।।
माधव नारि सुसकल विधि,सेवत चतुर सुजान।
ताड़िय सेइय आपनो, जो चाहत कल्यान।।

प्रभु सबका कल्याण करें
जय श्री राम जय हनुमान
साभार तुलसीदास महाराज जी नारायण नारायण
भगवान श्री राम सभी को सद्बुद्धि दें।

अल्प ज्ञानियों पढ़ो यह मुर्ख एक परिवार का राजनैतिक पतन क़र देगा
आज साबित हो गया की वह विक्षिप्,त व अमर्यादित जीव है