मिड-डे-मील योजना :जिम्मेदारों की लापरवाही नौनिहालों के निवाले पर भारी

गोंडा।बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से संचालित स्कूलों में पंजीकृत बच्चों को दोपहर में भोजन कराने के लिए खाद्यान्न खत्म हो गया है।ऐसे में मध्यान्ह भोजन परोसने पर खतरा मंडराने लगा है।शिक्षक उधार की व्यवस्था से बच्चों को एमडीएम खिला रहे हैं।इटियाथोक शिक्षा क्षेत्र के 158 परिषदीय विद्यालयों में मिड-डे-मील बनता है।योजना अंतर्गत प्रत्येक स्कूल को खाद्यान्न का आवंटन किया जाता है, इसके बाद नामांकित इक्कीस हजार बच्चों में हर दिन उपस्थित होने वाले करीब 60 से 62 प्रतिशत बच्चे दोपहर का भोजन करते हैं।शिक्षकों की मानें,तो पिछले साल अक्टूबर-नवंबर व दिसंबर माह में आवंटित होने वाला खाद्यान्न अभी तक नहीं मिला है। वहीं नए वर्ष में जनवरी का महीना बीतने को है।ऐसी स्थिति में एमडीएम की व्यवस्था लड़खड़ा गई है।अधिकतर विद्यालयों में बच्चों का पेट किसी तरह से भरा जा रहा है।शिक्षकों ने जैसे तैसे व्यवस्था कर छात्र छात्राओं के लिए मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था करा रहे है।वहीं कई विद्यालयों में खाद्यान्न का आवंटन न होने पर शिक्षको ने एमडीएम बनवाने से हाथ खड़े कर दिए हैं।खाद्यान्न आवंटन को लेकर शिक्षकों ने बीईओ से पत्राचार किया है।लेकिन,अभी तक व्यवस्था पटरी पर नहीं आ सकी है।

जिम्मेदार के बोल

मार्केटिंग इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार का कहना है,कि व्यस्तता के कारण एमडीएम का राशन पहुंचाने में देरी हुई है।दो दिवस के भीतर सभी स्कूलों में खाद्यान्न भेज दिया जाएगा।