जिले भर की 237 स्वास्थ्य इकाइयों पर मनाया गया निक्षय दिवस

गोंडा।साल 2025 तक देश को क्षय रोग मुक्त बनाने के प्रधानमंत्री के संकल्प को साकार करने के उद्देश्य से सोमवार जिले में एकीकृत निक्षय दिवस मनाया गया। जिला चिकित्सालय, जिला महिला अस्पताल, समस्त 16 सीएचसी, 52 पीएचसी तथा 167 हेल्थ ऐंड वेलनेस सेंटरों समेत कुल 237 केन्द्रों पर आयोजित इस दिवस में टीबी रोग के संदिग्ध 854 व्यक्तियों के बलगम के नमूने एकत्रित किये गए।वहीं आशा व एएनएम कार्यकर्ताओं ने अपने कार्यक्षेत्र के कालाजार, फाइलेरिया व कुष्ठ रोगियों की सूची भी अपडेट की।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रश्मि वर्मा ने बताया,कि इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य टीबी मरीजों की शीघ्र पहचान, गुणवत्तापूर्ण इलाज और योजनाओं का लाभ दिलाना है।कार्यक्रम को सफल के लिए ओपीडी में आने वाले मरीजों की कुल संख्या के 10 प्रतिशत लोगों की टीबी की जांच की गयी।जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ जय गोविन्द ने बताया कि हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र हर समय रोगजनक जीवाणुओं से लड़ता रहता है।लेकिन, प्रतिरक्षा तंत्र जैसे ही कमजोर होता है,तो बीमारियां हावी होने लगती हैं।ऐसी ही बीमारियों में से एक है टीबी की बीमारी,जिसे तपेदिक या क्षय रोग के नाम से भी जाना जाता है।टीबी का पूरा नाम ट्यूबरक्लोसिस है जो ?माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस? नामक जीवाणु से होता है।टीबी का इलाज शीघ्र न किया जाए, तो मरीज एक साल में दस से पंद्रह लोगों को इस बीमारी से संक्रमित कर सकता है।ऐसे में टीबी का समय रहते इलाज होना बेहद जरूरी है।यह रोग किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। इसलिए, इसे छिपाने की नहीं, बल्कि इस रोग के इलाज की जरूरत है।टीबी के मरीजों को अपना उपचार बीच में नहीं छोड़ना चाहिए।

बीच में न छोड़ें उपचार

राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के जिला समन्वयक विवेक सरन ने मनकापुर सीएचसी पर आयोजित दिवस में लोगों को जानकारी देते हुए कहा कि यदि बीच में उपचार छोड़ दिया जाए तो टीबी से ठीक होना कठिन हो जाता है।संभावित क्षय रोगियों की पहचान के लिए प्रमुख लक्षण में दो सप्ताह या अधिक समय से खांसी होना, दो सप्ताह या अधिक समय से बुखार आना, वजन में कमी आना, भूख न लगना तथा बलगम में खून आना है।