शासकीय कर्मचारी ने अधिकारी को बिना जानकारी दिऐ ही बन बैठा लाखों रुपये के लेन-देन का गवाह

बैकुण्ठपुर। मुख्यालय मे इनदिनों भू-माफियाओं का आतंक किसी से छुपा नहीं है, जो मामला वर्तमान मे ओडगी की जमीन जिसमे भैयालाल राजवाडे के द्वारा नामंतरण को लेकर आपत्ति जताई थी जिसका खसरा नं. 507/3 है। सुत्रों की मानें तो ओडगी की जमीन खसरा नम्बर 507/3 जिसका रकबा 0.0640 हे. है, जिस भूमि को भू-माफियाओं ने बजार भाव लगा कर मजह सत्रह लाख सैतालिस हजार पांच सौ रुपये मे खरिदा जिसकी रजिस्टी शुल्क एक लाख नौ हजार दो सौ बीस रुपये लगा। किन्तु सुत्रों की मानें तो बाबुलाल की जमीन जो ओडगी पंचायत के ह. ओडगी मे खसरा नम्बर 507/3 है जिसका रकबा 0.640 हे. है। उस भूमि की किमत भू-माफिया व शासकीय कर्मचारी के द्वार भूमि स्वामी को नब्बे लाख रुपये का भुगतान किया गया है, भू-माफियाओं ने खबर लगनें के बाद शहर मे घुम घुम कर यह बता रहे है कि हमारे द्वारा भूमि स्वामि को सत्र लाख पैतालिस हजार पांच सौ नही बल्कि नब्बे लाख रुपये चेक के माध्यम से दिया गया है। जबकि जमीन रजिस्ट्री करनें के पहले मौका जांच मे जाना है किन्तु उप पंजियक बैकुण्ठपुर के द्वारा कार्यालय मे बैठ कर ही भू-माफियाओं को लाभ पहूंचाने की मंशा रखते हुऐ शासन को लाखो रुपये स्टांप ड्येटी की छति पहूंचाऐ है। भू-माफिया को उप पंजीयक के द्वारा लाभ पहुंचाया गया है। इस प्रकरण मे यदि जांच हो तो भू-माफिया सहित सरकारी कर्मचारी के भी नाम सामने आएंगे। कई सरकारी कर्मचारी ऐसे हैं कि लाखों रुपए की जमीन खरीदी बिक्री में गवाह बने हुए हैं किंतु इसकी जानकारी अपने उच्च अधिकारी को नहीं दिए हैं नियमानुसार यदि शासकीय कर्मचारी अपने कार्यालय से किसी शासकीय कार्यालय में जाता है तो उसे अपने अधिकारियों को लिखित में जानकारी देना होता है, किंतु इस मामले में शासकीय कर्मचारी के द्वारा अपने उच्च अधिकारी को बिना बताए ही जमीन खरीदी बिक्री में 17 नवंबर 2022 को गवाह बना है। इस मामले मे बंटवारा भी गलत तरीके से हुआ है, जिसका मामला भी चल रहा है।

शासकीय कर्मचारी लगातार बन रहा लाखों रुपये के लेन देन मे गवाह

आपको ज्ञात हो कि विश्राम गृह मे पदस्त कर्मचारी अपने कार्यालय मे कम तहसील कार्यालय, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व व कलेक्टर कार्यालय मे ही देखा जा सकता है। जब जब अधिकारी या जनप्रतिनिधि पहूंचते है तब उक्त कर्मचारी विश्राम गृह मे रहता है जिसके कारण कई अधिकारी भी पहचानते है, जिनसे पहचान बना कर यह कार्य करवानें मे माहिर हो चूका है। सुत्रों ने तो यह भी बताया की कलेक्टर विनय कुमार कुछ दिनों तक विश्राम गृह मे ही रुके थे, इसी दौरान विश्राम गृह के कर्मचारी ने कलेक्टर कोरिया से जान पहचान बना लिया है, उसके बाद वर्तमान मे ओडगी की भूमि मामले कलेक्टर कोरिया से शिकायत के बाद से कर्मचारी शहर मे प्रचार करते नहीं थक रहा कि इस मामले की जानकारी कलेक्टर कोरिया को है और वह कार्यवाही नहीं करेंगे। इस प्रकार की बयान बाजी कर भू-माफिया और शासकीय कर्मचारी के द्वारा कलेक्टर कोरिया की छबि को भी धुमिल कर रहे है। बरहाल कलेक्टर कोरिया से इस मामले की शिकायत की गई है देखना होगा की कार्यवाही कब तक होगी।