बिजली विभाग के निजीकरण की प्रक्रिया में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति पनकी द्वारा किया गया विरोध प्रदर्शन

कानपुर (सिटी अपडेट न्यूज/महेश प्रताप सिंह).पुडुचेरी के बिजली विभाग के निजीकरण की प्रक्रिया के विरोध में देशभर के बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने साथ उप्र के पनकी में बिजली कर्मियों ने किया विरोध प्रदर्शन।
केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी के बिजली विभाग के निजीकरण की प्रक्रिया के विरोध में देशभर के 27 लाख बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों के साथ आज उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने राजधानी लखनऊ सहित सभी परियोजनाओं और जनपदों में विरोध सभा कर पुडुचेरी के बिजली कर्मियों के साथ अपनी एकजुटता का परिचय दिया।
पनकी सहित पूरे प्रदेश में हुई विरोध सभा में सैकड़ों बिजली कर्मियों ने हिसा लिया। पनकी में हुई विरोध सभा में संघर्ष समिति पनकी के संयोजक अनुराग पाण्डेय ने बताया कि केंद्र सरकार के निर्देश पर पुडुचेरी के बिजली विभाग के निजीकरण हेतु बिडिंग प्रक्रिया प्रारंभ करने हेतु 27 सितंबर को आरएफपी जारी की गई जिसके विरोध में पुडुचेरी के तमाम बिजली कर्मचारी और इंजीनियर 28 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं ।पुडुचेरी के बिजली कर्मियों की मांग है कि निजीकरण की प्रक्रिया निरस्त की जाए और आरएफपी डॉक्यूमेंट वापस लिये जायें।
उन्होंने बताया कि पुडुचेरी का बिजली विभाग मुनाफे में चल रहा है और पुडुचेरी की बिजली हानियां मात्र 11.5% है जो केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मापदण्ड 15% से कम है।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने सितंबर 2020 में निजीकरण हेतु स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट का ड्राफ्ट जारी किया था जिसे केंद्र सरकार ने अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट फाइनल किए बिना किस आधार पर पूरे बिजली विभाग का निजीकरण किया जा रहा है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 विगत मानसून सत्र में लोकसभा में प्रस्तुत कर दिया है जिसे बिजली मामलों की संसद की स्टैंडिंग कमिटी को संदर्भित कर दिया गया है। ऐसी स्थिति में जब स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट को अंतिम रूप नहीं दिया गया हो और इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 स्टैंडिंग कमिटी के सामने विचार हेतु भेज दिया गया है तब पुडुचेरी के बिजली विभाग का 100% निजीकरण किस आधार पर किया जा रहा है और इसका औचित्य क्या है।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) रूल 2022 का ड्राफ्ट भी अगस्त के अंत में सर्कुलेट किया है।इसे भी अंतिम रूप नहीं दिया गया है । इन परिस्थितियों में मुनाफा कमाने वाले पुडुचेरी के बिजली विभाग का निजीकरण किए जाने की जल्दबाजी समझ में नहीं आती। उन्होंने कहा ऐसा लगता है कि इसके पीछे कुछ कारपोरेट घरानों का हाथ है ।
उन्होंने बताया कि आज देश भर के बिजली कर्मियों ने पुडुचेरी के बिजली कर्मियों के समर्थन में सभी प्रान्तों में प्रदर्शन कर बिजली कर्मियों की एकजुटता का परिचय दिया है।
उन्होंने मांग की कि उपरोक्त परिस्थितियों को देखते हुए पुडुचेरी के बिजली विभाग के निजीकरण का प्रस्ताव रद्द किया जाए और निजीकरण हेतु जारी किए गए आरएफपी डॉक्यूमेंट वापस लिए जाएं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शांतिपूर्ण ढंग से हड़ताल कर रहे पुडुचेरी के बिजली कर्मियों का दमन करने की कोई कोशिश की गई तो इसकी गंभीर प्रतिक्रिया होगी और देश भर के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर इसके विरोध में सड़क पर उतरकर आंदोलन करने हेतु बाध्य होगी जिसकी सारी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी। इसमें प्रमुख रूप से संयोजक अनुराग पांडे,पदाधिकारी में सुमित सिंघल, दिनेश गुप्ता,आशीष कमल, आकाश, सुनील, दयानंद एवं अन्य लोग उपस्थित रहे।