भाजपा अपनें विपक्ष की भूमिका यदि ईमानदारी से निभाती तो नहीं होती इतनी किर-किरी, 

भाजपा विपक्ष की भूमिका नहीं रिस्तेदारी निभाई जाती है।

बैकुण्ठपुर। 27 जनवरी गुरुवार को भाजपा के लिए अत्यंत खराब दिन रहा, प्रशासन के अधिकारी को सुचना के बाद भी भाजपा समर्थक शिवपुर चरचा नगर पालिका नवन्यूक्त उपाध्यक्ष राजेश सिंह का पदभार ग्रहण होना था, लेकिन समय से कुछ देर पहले ही ऐसी जानकारी भाजपा के पदाधिकारियों को मिली की मानों पैर की निचे से जमीन खिसक गई हो। ज्ञात हो कि 20 दिसम्बर 2021 को नपा शिवपुर चरचा मे चुनाव सम्पन्न हुआ, जिसकी मतगणना 23 दिसम्बर 2021 को हुई, एक जनवरी 2022 को पार्षदों नें अध्यक्ष व उपाध्यक्ष चुना, जिसमे शिवपुर चरचा नपा के अध्यक्ष के लिए कांग्रेस से अध्यक्ष पूर्ण बहुमत से चुना गया जिसके उपरांत भाजपा समर्थित प्रत्याशी राजेश सिंह उपाध्यक्ष चुने गए। शिवपुर चरचा में अध्यक्ष पद का शपथ ग्रहण 25 जनवरी को किया गया, तो वही 27 जनवरी को भाजपा समर्थित प्रत्याशी शिवपुर चरचा नगर पालिका उपाध्यक्ष राजेश सिंह को पदभार ग्रहण करना था जिसके समय सारणी सभी तय हो चुकी थी लेकिन अचानक ऐसा हुआ कि भाजपा के जनप्रतिनिधि पदाधिकारियों के पैरों तले जमीन खिसक गई सभी तैयारी पूर्ण होने के बाद पदभार ग्रहण किए जाने वाले स्थल में की गई तैयारी को हटाया जाने लगा जिसकी जानकारी मिलते ही भाजपा के पदाधिकारी सहित कार्यकर्ता आग बबूला हो गए और नगर पालिका शिवपुर चर्चा का घेराव कर दिए, इसके कुछ देर बाद भाजपा के लोगों ने शिवपुर चरचा नपा कार्यालय में ही उपाध्यक्ष का पदभार ग्रहण कराया साथ ही उन्होंने कहा कि इस प्रकार से नगरी प्रशासन मंत्री के द्वारा भाजपा के पदभार ग्रहण में अधिकारी को दबाव डाला गया यह भाजपा के 15 वर्षों के शासनकाल में कभी नहीं हुआ था, यहां सरकार भेदभाव की नीति अपना रही है जहां शिवपुर चरचा में करोड़ों का फंड दिया गया तो वही बैकुंठपुर नगर पालिका में किसी भी प्रकार का फंड नहीं दिया जा सका है। आम सड़क पर यही चर्चा चल रही है। हलाकी इस समय सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस की खिलाफ मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी इसी प्रकार के मुद्दे को लेकर कांग्रेस को नहीं घेर रही है जिसका खामियाजा आज भारतीय जनता पार्टी को अपनी बेइज्जती करा कर चुकाना पड़ा। इस समय सत्ताधारी पार्टी के कई जनप्रतिनिधि सहित कार्यकर्ताओं के कई मुद्दे सामने मीडिया के माध्यम से आते रहे हैं जिसके बाद भी भाजपा के द्वारा विपक्ष की भूमिका निभाने में किसी प्रकार की रुचि नहीं दिखा रही है, कभी-कभी तो यदि सत्ताधारी पार्टी के संबंध में भाजपा के पदाधिकारियों से उनकी राय मांगी जाती है तो वह अपनी रिश्तेदारी बताते हुए प्रतिक्रिया देने से डरते रहते हैं जिसका उदाहरण भी देखा जा सकता है बीते दिनों लगातार अध्यक्ष पति के किए गए कारनामों की खबर चलती रही, लेकिन जिस पर विपक्ष पार्टी के द्वारा किसी प्रकार की प्रतिक्रिया पूछे जाने के बाद भी नहीं दी गई बल्कि इस संबंध में जैसे ही विपक्ष पार्टी के जनप्रतिनिधि पदाधिकारी से बात की जाती है तो वह उल्टे पैर स्थल से भाग खड़े होते हैं यही कारण है कि सत्ताधारी पार्टी के द्वारा अपनी मनमानी की जा रही है। सूत्रों की माने तो यहां सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष दोनों आपस में समझौता कर चुके हैं इस कारण विपक्ष किसी भी प्रकार से सत्ताधारी पार्टी का विरोध नहीं करती है जिसका खामियाजा जनता को भी चुकाना पड़ रहा है। लेकिन गुरुवार को जो पदभार ग्रहण के समय हुआ वाकई में यह किसी बड़ी अनहोनी से कम नहीं है, अब देखना यह होगा कि क्या विपक्ष पार्टी अब खुलकर सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ लड़ती है या फिर पहले की तरह ही सभी बातें चारदीवारी में बंद रहेंगी।