चंदौली -जनपद में अगर सत्ता का न चढ़ता नशा तो शायद ना होती इतनी किरकिरी, दरोगा चुने चुने पर दूसरे कार्यकर्ता को जेल भाजपा ने कर लिया किनारा

चंदौली जनपद में अगर सत्ता का न चढ़ता नशा तो शायद ना होती इतनी किरकिरी, दरोगा चुने चुने पर दूसरे कार्यकर्ता को जेल भाजपा ने कर लिया किनारा

संवाददाता कार्तिकेय पांडेय

संवाददाता कार्तिकेय पांडेय

चंदौली- सत्ता का नशा सर्वश्रेष्ठ नशा माना जाता है। वैसे तो कोई भी नशा अच्छा नहीं माना जाता है। कारण कि नशा करने वाला व्यक्ति कभी कभी बहक जाता है। वह कब तक जाएगा।यह शायद उसे भी पता नहीं होता। यह जरूर है कि नशा उतरने के बाद वह अपने किए पर पछतावा भी करता है।उस स्थिति में उसे और आत्मग्लानि होती है।जब वह बहकावे में अपनों पर ही कुछ कर बैठता है।कुछ इसी तरह की स्थिति जिले में सत्ताधारी दल की एक छोटी सी घटना से हुई है। जब सैयद राजा थाने में भाजपा के जिले के शीर्षश्थ से लोगों को धरने पर बैठना पड़ा यह स्थिति देखकर जनपदवासी भौचक रह गए।

सत्ता में रहने वालों की जांच अधिकारी बात को पूरा वजन देते हैं।वहीं सैयदराजा थाने में जब भाजपा के पदाधिकारी पुलिस वालों से उलझ गए तब उनके ऊपर चढ़ा सत्ता का नशा पुलिसकर्मियों ने बकायदा बंद कमरे में आराम से उतार दिया। क्योंकि वह सत्ताधारी दल से जुड़े थे। जिससे थाने में सार्वजनिक रूप से उनके सामने खंभा नहीं पकड़ने दिया गया। यह कार्य भी कर ले जाकर संपन्न हुआ। पुलिस के लड़कों से ऐसा कुछ गलती हो गई। निकालकर जाने से वह पदाधिकारी थक गए थे। ऐसे में मानवीय दृष्टिकोण का परिचय देना चाहिए था। थोड़ी देर वहां आराम करने के लिए अवसर देना चाहिए था। यह मौका ना देकर थाने से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। बाहर निकलते ही उन्हें व्यथा का बखान पार्टी के लोगों से कर दिया। इधर भी सत्ता का नशा एक के बाद एक लग्जरी चमचमाती गाड़ी उठाने पर पहुंचने लगीं। नामचीन पदों पर बैठे लोग भी मौके पर आ गए। यहां पर जिस तरह का इन लोगों ने परिचय दिया।वैसी उम्मीद संभवत शासन सत्ता की भागीदार पुलिस को भी नहीं थी। जो लोग अपने तेवर के लिए पार्टी में जाने जाते हैं। वह पुलिस पर शब्दों की ऐसी बौछार अनुशासन के मामले में एक अलग पहचान रखने वाली पार्टी के लोगों से तो कतई नहीं थी।

इसी दौरान बड़े मियां तो बड़े मियां छोटे मियां सुभान अल्ला की तर्ज पर एक नौजवान ने जो वर्दीधारी पर उन पर अपने अंदाज में चुनौती दे दी। यह जरूर कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस पर आपत्ति करते हुए उन से बाहर जाने को कहा। उसके बाद भी सीधे पुलिस वालों पर सीधे मुकदमा दर्ज करने की हो गई। मुकदमा भी काफी शोर से सिफारिश के बाद देर रात में हो गया। सुबह पुलिस ने भी अपना दांव चला दिया। इधर से ही मुकदमा हो गया पुलिस का यह कदम सत्ताधारी दल के लिए हृदयाघात जैसा था इस कदम की संभवतः सत्ता से जुड़े लोगों को उम्मीद नहीं थी।

यह भी अपने आप में यह नया इतिहास ही बना कि जहां सत्ता की धमक से काम होता था। वहां सत्ता से जुड़े लोगों को धरने पर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा। उधर पुलिस को भी यह विश्वास रहता था कि सत्ता से जुड़े लोग कभी विपरीत परिस्थिति आने पर मदद के लिए खड़े दिखेंगे। यहां दोनों का भ्रम टूट गया था। आम आदमी जिसे विश्वास रहता है कि जब सीधे तौर पर हमारी बात नहीं सुनी जाएगी। तो सत्ताधारी पार्टी से जुड़े लोगों के यहां गुहार लगाई जाएगी। तब हमारी बात सुन ली जाएगी। ऐसे लोगों का भी विश्वास इस घटना के बाद तार तार हो गया है। पुलिस की और सत्ताधारी पार्टी के लोगों की नज़दीकियां क्या एक बार फिर से बाहर हो पाएगी इस पर लोगों की निगाहें टिकी हुई है।

*दरोगा से उलझने पर दूसरे कार्यकर्ता को जेल, भाजपा ने कर लिया किनारा*
चंदौली- "गए थे राम भजन को ओटन लगे कपास" वाली कहावत भाजपा के कार्यकर्ता पर सटीक बैठ रही है। जहां एक कार्यकर्ता के साथ थाने में हुई बदतमीजी पर पहुंचे कार्यकर्ता को पुलिस के संगीन धाराओं का सामना ही नहीं करना पड़ा। बल्कि जेल जाना पड़ गया। नहीं बस कर करता के दुर्दिन पर उसके ही साथियों भाजपा के शीर्ष नेता ने यह कहकर हाथ खड़ा कर लिया कि उन्हें 2 वर्ष पूर्व ही पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।

भाजपा के उपाध्यक्ष सोनू मद्धेशिया से सैयद राजा के एक दरोगा बबलू यादव ने मारपीट कर लिया। इसके बाद भाजपा कार्यकर्ता रात्रि में ही कुछ शीर्ष नेताओं के साथ थाने पहुंच गए। जहां बातचीत के दौरान ही अपने वरिष्ठ के साथ धरना प्रदर्शन में गए शैलेंद्र सिंह ने किसी बात पर इस तरह उग्र हो गए कि दरोगा की वर्दी पर ठोकते हुए उसे अपशब्द कहा। शैलेंद्र के इस व्यवहार का भाजपा जिला अध्यक्ष अभिमन्यु सिंह ने विरोध किया। स्थिति यह हो गई कि वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। जिसके बाद पार्टी में मतभेद की स्थिति देखी गई। हालांकि इस कृत्य से पार्टी की किरकिरी भी शुरू होगी।विपक्ष अपनी राजनीतिक रोटी भी सेकने शुरू कर दी। जिसको पुलिस ने अपने साथ हुए दुर्व्यवहार को बना लिया। आधी रात्रि में शैलेंद्र के खिलाफ कई संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज ही नहीं किया गया। बल्कि उसके आवास से रात्रि में तीन थानों की फोर्स गिरफ्तार करने पहुंची थी। वही इस रणनीति ने अनजान घर में आराम से सो रहे शैलेंद्र को पुलिस गिरफ्तार कर सैयदराजा ले आई। सबसे हास्यप्रद स्थिति तो उस समय हुई जब शैलेंद्र के व्यवहार पर मीडिया वालों तक हमलावर हुई तो बीजेपी के हाईकमान ने उन्हें भाजपा सदस्य होने से इनकार कर दिया। व कायदे यह कहा गया कि 2 वर्ष पूर्व उन्हें आईटी सेल के पद पर रखा गया था। जिसमें कुछ शिकायत मिली थी।उस समय ही पार्टी ने निष्कासित कर दिया गया था।