एम एस पी स्टील एंड पावर लिमिटेड की पर्यावरणीय जन सुनवाई , ई आई ए रिपोर्ट में छिपाई गयी है जानकारियां 

रायगढ़। एम एस पी स्टील एंड पावर लिमिटेड जामगांव की 9 इकाइयों के विस्तार व स्थापना के लिए 15 सितम्बर को जन सुनवाई जामगांव में रखी गयी है। प्रस्तवित इकाइयों के विस्तार हेतु प्रस्तुत पर्यावरणीय समाघात निर्धारण ई आई ए रिपोर्ट में जो जानकारी पर्यावरण विभाग रायगढ़ में रखी गयी है ,उसमें 10 किलोमीटर के दायरे में प्रभावित होने वाले जैव मंडल रिजर्व जंगली हाथियों के आवागमन का स्थायी मार्ग नहीं होना बताया गया है ।जबकि वास्तविकता इसके विपरीत है ,जामगांव वन परिक्षेत्र के अंतर्गत ही सपनाई ,अड़बहाल और भलभद्रपुर के जंगलों में हाथियों का रहवास क्षेत्र माना जाता है । हमेशा ही इन जंगलों में समय समय पर हाथी विचरण करते रहते हैं ।वही इस क्षेत्र में सतही जल की गुणवत्ता को लेकर जो जानकारी दी गयी है उससे साफ जाहिर है इस क्षेत्र में सतही जल पीने योग्य नही है।रिपोर्ट में कहा गया है कि सतही जल के पारंपरिक उपचार के बाद ही पीने योग्य है । इससे पता चलता है की प्लांट के वायु प्रदूषण ने सतही जल को प्रदूषित कर चुका है जो जंगली जीव जंतुओं को हानि पहुंचा सकती है। कंपनी द्वारा प्रस्तवित विस्तार में कहा गया है कि प्लांट को 3050 किलोलिटर प्रतिघंटा पानी की जरूरत पड़ेगी जो कुर नाले से पाइप लाइन बिछा कर ली जावेगी । वर्षा जल की निकासी कैसे की जावेगी यह स्पष्ठ नही है। प्रदूषण के मामले में हमेशा से विवादित रहने वाले उक्त प्लांट द्वारा अपने अपशिष्ट जल को कुर नाले में छोड़कर जल प्रदूषण फैलाने में माहिर माना जाता है । स्थानीय लोगों को रोजगार के मामले हो या फिर सामाजिक अधोसंरचना के लिये अंचल में एम एस पी प्लांट की योगदान नगण्य ही कही जावेगी । आगामी 15 सितंबर को होने वाली पर्यावरणीय जन सुनवाई के प्रचार प्रसार भी नही की गई है ,अभी तक अंचल के लोग जो उक्त प्लांट के 10 किलोलिटर की परिधि में आते हैं ,उंन्हे किसी तरह की जानकारी तक नही है जिससे उक्त प्लांट के जन सुनवाई में हिस्सा ले सके या फिर रायगढ़ पर्यावरण मंडल को लिखित आपत्ति प्रस्तुत की जा सके । पूर्वान्चल स्थित उक्त फैक्ट्री के विस्तार से निश्चित ही पर्यावरण की भारी क्षति होगी वही दुर्घटनाओं के अंबार लग जायेंगे । ग्रामीणों में जैसे जैसे उक्त प्लांट के विस्तार की जानकारी मिल रही है लोग लामबंद होकर विरोध के स्वर भी मुखर होने लगे हैं।