रक्षक ही बन रहे भछक, अधिकारी पस्त व लकडी माफिया मस्त

बैकुण्ठपुर। इस कोरोना महामारी में लॉक डाउन के चलते जहां जनपद की गलियां चौक चौबारे और गाँव-गाँव सन्नाटा पसरा हुआ है, पूरा प्रशासनिक अमला कोरोना योद्धा के रूप में जंग लड़ रहा है। सुत्रों की मानें तो ऐसे में वन मण्डल बैकुण्ठपुर के अन्तर्गत सोनहत परिक्षेत्र मे घनें जंगल होनें का फायदा लकड़ी माफियाओं के लिए मुनाफे का बाजार बना हुआ है।सोनहत क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जंगलों मे लकड़ी माफियाओं की सक्रियता दिन दुगुनी बढ़ती ही जा रही है, वन परिक्षेत्र मे लगे कीमती हरे पेड़ो को लकड़ी माफिया और विभाग की मिली भगत से अंधाधुंध काट रहे है। जिसके कारण सोनहत के जंगलों से हरियाली गायब होती जा रही है। इसका खामियाजा हर साल वर्षा कम होनें के रूप में भुगतना पड़ता है क्यो की हरे पेड़ो के कटने के चलते वन मे लगे पेडों की संख्या कम होते जा रहे है। जबकि शासन के द्वारा करोड़ो रुपये वृक्षा रोपड पर हर साल खर्च करती है। सुत्रों की मानें तो सोनहत के जंगलों से प्रतिदिन अवैध तरीके से लकडी माफिया किमती पेड़ों को काट रहे है, जो विभाग के शिकंजे मे नहीं फंस रहे या यूं कहें की विभाग पकडना ही नहीं चाहती।