बिना डिग्री धारी चला रहे अस्पताल, विभाग मौन। कोविड की उड़ा रहे धज्जियां

बिना डिग्री धारी चला रहे अस्पताल, विभाग मौन

कोविड के नियमों की उड़ा रहे धज्जियाँ

बिना मास्क के कर रहे इलाज सरकार की गाइड लाइन का नही है कोई फर्क

जनपद गोरखपुर में झोलाछाप डॉक्टरों का जाल गोरखपुर से लेकर गांव गांव तक फैला हुआ है। जिनके पास न किसी स्वास्थ्य विश्व विद्यालय की डिग्री हासिल है न डिप्लोमा, यदि किसी झोलाछाप डॉक्टर के शैक्षिक प्रमाण पत्र देखे जाए तो अधिकांश के पास चिकित्सा पद्धति की कोई डिग्री नही मिलेगी कुछ डॉक्टर यूनानी ओर आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के अवश्य मिल जायेंगे।
परंतु हम तो डॉक्टर साहब बन गए,भोली भाली जनता की आंखों में धूल झोंक रहे झोलाछापो पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए।इन झोलाछाप व्यक्तियों के कारण मरीजो की जान को खतरा दिन प्रतिदिन बना रहता है।अनेक मरीजो की जान भी इनकी लापरवाही के कारण चली जाती हैं।
बस किसी डिग्रीधारी डॉक्टर के यहां साल दो साल काम सीख कर डॉक्टर बन जाते हैं, जिनको चिकित्सा पद्धति का ज्ञान नाम मात्र को होता है,परन्तु एक विद्यार्थी को चिकित्सा पद्धति में परिपूर्ण होने पर चार से पांच वर्ष लग जाते हैं उसके बाद इंटर्नशीप! परन्तु आजकल डॉक्टर बनने के लिए पढ़ाई नही अपितु किसी डिग्रीधारी डॉक्टर के यहां कम्पोउण्डर का कार्य सीख कर डॉक्टर बन जाते हैं।
और वही झोलाछाप हर जगह मरीजो को ठग रहे हैं। मरीजो से खून की जांच, अल्ट्रासाउंड,एक्स रे आदि की जांच करवा रहे है। ओर जांच के नाम पर मोटा कमीशन ले रहे है। जिनको जांच को पढ़ना नही आता,
पांचवी आठवी दसवीं पास डॉक्टर बन कर बैठे हुए हैं जिन्होंने �अपने �क्लिनिक, अस्पताल जच्चा बच्चा केंद्र खुले आम खोल कर बैठे हुए हैं जिनके बोर्ड पर अस्पताल या क्लिनिक का नाम तो होता है पर डॉक्टर का नाम, रजिस्ट्रेशन नंबर अंकित नही होता हैं। परन्तु योग्यता में किसी डिग्रीधारी डॉक्टर का नाम का अनुभव का वर्ष अवश्य मिल जाएगा। ऐसे झोलाछाप व्यक्तियों पर विभागीय कार्यवाही भी मात्र खाना पूर्ति होती हैं। कोरोना काल मे जब स्वास्थ्य विभाग ने जनपद के डॉक्टरों के क्लीनिक/अस्पतालों पर सील लगा कर नोटिस चस्पा कर दिया गया था। फिर उसके कुछ समय बाद क्लीनिक/ अस्पताल खुलने लगे। विभाग को इनसे ऐसा क्या लालच हैं? क्या विभाग चांदी की चमक के आगे बौना बन गया है।
ओर जब इनकी शिकायत स्वास्थ्य विभाग में की जाती हैं तो ये अपनी दुकान को खुला छोड़ के गायब हो जाते हैं या शटर बन्द कर भाग खड़े हो जाते हैं।अधिकांश ऐसी प्रतिष्ठान किराए की दुकान ओर मकानों में चल रहे हैं ऐसे कुछ झोलाछाप भ्रष्टाचार में लिप्त होकर आम साधारण व्यक्तियों को ठगने में भी नही चूकते हैं। अगर उनकी शिकायत करने को कहो तो वे गरीब व्यक्तियों के डरा धमका कर बड़े अधिकारियों व नेताओ का रसूख दिखाकर भगा दिया जाता हैं।
झोलाछाप डॉक्टर की दुकानों पर आने वाले मरीजो की भीड़ के कारण वैश्विक महामारी कोरोना के बढ़ने का खतरा बना हुआ रहता हैं। झोलाछाप की दुकानों पर अनेक प्रकार की बीमारीयों से ग्रसित मरीज आते हैं, उनको मरीजों के स्वस्थ से पूर्व अपनी जेब धन से भरनी रहती हैं।
ज्ञात है कि सन 2020 से भारत वर्ष में वैश्विक महामारी कोरोना (कोविड-19) चल रही हैं। तो उस समय झोलाछापो के क्लिनिक अस्पताल बन्द कर दिए गए थे परन्तु कुछ लोग चोरी छिपे पिछले दरवाजो से मरीजों का इलाज कर रहे थे।

आज भी वैश्विक महामारी कोरोना वायरस देश से गया नही हैं भले ही कोरोना की वैक्सीन आ गई हो।

निष्पक्ष जांच करना स्वास्थ्य विभाग का कार्य हैं।

आज फिर कोरोना वायरस फैल रहा है उसके बावजूद भी जनपद में अस्पतालो, अल्ट्रासाउंड सेंटरो पैथोलॉजी लैबो पर एक बड़ी संख्या में मरीज अपनी जांच कराने को आते हैं। जिसमे गंभीर बीमारियों से पीड़ित रोगी व बुजुर्ग मरीज व महिलाएं भी होती है। ऐसे में कोरोना से बचाव के संबंधित उपाय ओर सरकार के द्वारा जारी किए गए आदेश का कोई औचित्य नहीं रह जाता हैं। (न मास्क का प्रयोग ठीक प्रकार से हो रहा है न 2 गज की दूरी न सेनेटाइजर का प्रयोग) जनपद में झोलाछाप डॉक्टर की कुछ दुकाने पुलिस थाना क्षेत्र के समीप स्थित है इन झोलाछाप व्यक्तियों की दुकाने पूर्व की भांति खुलने लगी है आखिर क्यों???ओर उन पर कोई कार्यवाही नही होती हैं आखिर क्यों???```