अवैध व भ्रष्टाचार मे संलिप्त वन परिक्षेत्रा अधिकारी, कब निंद खुलेगी अपने मूल कर्तव्यों के लिए

बैकुण्ठपुर। बैकुण्ठपुर वन मण्डल के सोनहत व खडगवां के जंगल में अवैध पेडों की कटाई दिनों बढ़ती ही जा रहा है। औसतन हर दिन सैकड़ों पेड़ों की कटाई की जा रही है। कभी रात के अंधेरे में तो कई तस्कर अधिकारियों से मिलीभगत कर दिन में ही लकड़ियों की कटाई करने में मस्त हैं वह भी कई महंगी महंगी लकड़ियां रहती हैं जो इमारती हैं। वन परिक्षेत्र के अधिकारी और कर्मचारियों का खौफ लोगों के दिलो से हटती जा रही है। कहीं अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत इमारती लकड़ी की तस्करी में तो नहीं है? वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों के रवैए को देखते हुए तो ऐसा ही लगता है कि इमारती लकड़ियों की अवैध कटाई में कहीं ना कहीं सोनहत व खडगवां रेंज के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिली भगत है क्योंकि यदि मिलीभगत नहीं होती तो अब तक ना जाने कितनी बार अवैध लकड़ियों के चिरागों सहित कितने लकड़ियों के सौदागर वन विभाग के गिरफ्त में होते लेकिन यहां की कार्यप्रणाली बिल्कुल शुन्य नजर आ रही है। जब भी आप देखें तो केवल अधिकारी मुख्यालय में ही नजर आते हैं उन्हें अपने वन परीक्षेत्र की चिंता बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि इनके वन परीक्षेत्र की चिंता तो अवैध वनों के तस्कर करते हैं। वहीं सूत्रों की मानें तो अधिकारियों को कभी अवैध वन कटाई व तस्करी की भनक ही नहीं मिलती है कि वह इसे रोक सके। सोनहत व खडगवां वन परिक्षेत्र के कई ग्रामीण नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं कि यहां रात में वह दिन में लगातार वनों की अवैध कटाई अधिकारियों की मिलीभगत से चल रही है इसकी सूचना यदि वन कर्मचारियों को दी जाती है तो वह ग्रामीणों को ही डराने और धमकाने में लग जाते हैं जिससे बेचारे ग्रामीण डरे व सहमें किसी को कुछ नहीं बोलते। अधिकारियों की मानें तो अवैध पेड़ों की कटाई कैसे रोकें इस पर कागजी कार्ययोजना बना रहे है, लेकिन वह आज तक नहीं बन सकी है। वनों मे लकडी तस्करी के सांथ सांथ वन मण्डल बैकुण्ठपुर के वन्य प्राणियों का जीवन सुरक्षित नहीं हो सका। लगातार शिकारी और तस्करों के जंगल में अनाधिकृत हस्तक्षेप वन्य जीवों के लिए मौत का फरमान बन चुका है। वन ग्रामों में इंसानी बसाहट भी काफी हद तक इसका जिम्मेदार है। वैसे भी वन विभाग के सूत्र बताते हैं कि अफसरशाही अभी भी पुराने सरकार की कार्यप्रणाली के अनुसार ही चल रहा है। बन्दरबांट सिस्टम का एक हिस्सा हो गया है। इसके अलावा कई जंगली जीवों का शिकार रोजाना हो रहा है। वन अधिकारी सिर्फ कार्य योजना बनाने में मस्त हैं। जंगल में करंट लगाया जा रहा है सैकड़ों पेड़ कट रहे हैं प्रतिदिन और वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों को इसकी भनक तक नहीं लग रही है। जंगल विभाग की कारगुजारी से ऐसा लग रहा है मानो सोनहत व खडगांव परिक्षेत्र में जंगलराज चल रहा है। अवैध इमारती लकडियों की कटाई व जंगली जानवरों का शिकार दिनों दिन बढ़ते ही जा रहा है। अमूमन जिस प्रकार हर रोज वन्य प्राणियों के शिकार सहित अवैध वृक्षों की कटाई हो रहा है। जंगल वन्य जीवों की शरण स्थली न होकर कब्रगाह बन चुका है और लकड़ी तस्करों के लिए सुरक्षित मकान। जिससे लगातार इमारती लकड़ी तस्करों का का हौसला बढ़ते जा रहा है। अवैध शिकार व इमारती लकडियों के अवैध धंधे को कैसे रोका जाए लाख टके का सवाल है। वनग्रामों को जब तक हटाया नहीं जायेगा तब तक शिकार पर प्रतिबंध लगना टेड़ीखीर साबित होगी। अधिकारी कमरे में बैठकर सिर्फ कार्य योजना बनाते है। जब तक उस कार्य योजना को धरातल पर उतरा नहीं जायेगा तब तक अवैध शिकार व तस्करी नहीं रुक सकता। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने एक दो वनग्रामों को हटाया भी था। वर्तमान मे एक भी वनग्रामों को हटाने का निर्णय नहीं लिया गया। जब तक वनग्राम नहीं हटेंगे तब तक अवैध कारोबार पर प्रतिबंध नहीं लग सकता। और अधिकारियों की हर कार्य योजना सफ़ेद हाथी साबित होगी। अधिकारियों को जमीनी स्तर पर उतरना होगा तब जाकर अवैध कार्यों रोका जा सकता है। पर सवाल ये उठता है कि जब तक अवैध कारोबारियों पर शिकंजा नहीं कसा जाएगा सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा जब तक सोनहत व खडगवां वन परिक्षेत्रा अधिकारी एसी रूम से नहीं निकलेंगे तब तक अवैध कारोबार नहीं रुक सकेगा।