बंदोईया हत्या कांड : मामले में एक पक्षीय कार्यवाही के विरोध में उच्चस्तरीय जांच के लिए डीएम व एसपी को प्रेस क्लब अमेठी के अध्यक्ष ने दिया राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन

खबर यूपी के अमेठी से है जहां बीती 29/30 को मुंशीगंज कोतवाली क्षेत्र के बंदोइया गांव में प्रधान पति की जिंदा जलाकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पीड़ित की तहरीर पर 5 लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करते हुए पुलिस ने 3 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया व 2 की तलाश में पुलिस जुटी हुई है। चूंकि मामला दलित की हत्या से था तो मामला हाई प्रोफाइल होकर राजनीति का शिकार बन गया। बसपा व भीम आर्मी के पदाधिकारी भी घटना स्थल पर मामले की तहकीकात की व पीड़ित परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। इस घटना क्रम में जो गिरफ्तारी की गई वह किसी के गले नहीं उतर रही है।

मामले का संज्ञान लेते हुए अमेठी प्रेस क्लब के अध्यक्ष शीतला प्रसाद मिश्रा के नेतृत्व में जिले के वरिष्ठ पत्रकारों का एक प्रतिनिधि मंडल मामले की उच्चस्तरीय जांच करा कर निर्दोषों को फसाए जाने को लेकर राज्यपाल को संबोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। अध्यक्ष ने मामले में एक पक्षीय कार्यवाही का आरोप लगाते हुए कहा है कि आरोपित कृष्ण कुमार त्रिपाठी के अहाते में जहां घटना हुई है वहां की सीसीटीवी फुटेज का परीक्षण पुलिस ने नहीं किया। जिस चौराहे से अपहरण की बात कही गई है वहां एक भी व्यक्ति अपहरण की पुष्टि करने के बजाय अर्जुन को अपने साथी के साथ एक स्कार्पियो में जाने की बात बतायी जाती है । पुलिस मृतक के मोबाईल की लोकेशन, सीडीआर व बीटीएस निकाल कर सच्चाई तक पहुंच सकती है। मोबाइल की इसी डिटेल से यह भी पता चल सकता है कि क्या ये पांचो नामजद आरोपी मृतक के इर्दगिर्द थे? घटना के दिन मृतक ने किस किस से बात किया उनसे भी यह पूछताछ किया जाना चाहिए कि क्या बात हुई, लेकिन पुलिस इस दिशा में कोई विवेचना नहीं कर रही । क्या कोई व्यक्ति किसी को अपहरण करने के बाद अपने अहाते में लाकर जला सकता है? घटना की सूचना भी पुलिस को कृष्ण कुमार तिवारी के परिवार के लोगों ने दिया, क्या मारने वाले लोगों के द्वारा ही पुलिस को सूचना दी जाएगी? क्या कोई पिता किसी के अपहरण और हत्या के लिए अपने 14 साल के मेधावी पुत्र को लेकर जा सकता है जबकि उसके पास पहले से तीन अन्य साथी मौजूद हैं? जिस प्रधान के खिलाफ गांव के 30 से अधिक लोग शिकायत कर जेल भिजवाने में लगे हों उसे जलायेंगे क्यों वह भी अपने घर पर लाकर? एफआईआर के दो अन्य नामजद आरोपियों जो प्रधान के परिवार के साथ साये की तरह घूम रहे है, उनसे पूछतांछ व चालान क्यो नहीं किया जा रहा ? ऐसा तो नहीं कि जिन लोगों ने गाँव सभा की प्रधानी की पूरे पैसे में गोलमाल किये, अब अपने फंसने की डर में उसे उकसा कर आत्महत्या करा एक तीर से दो निशाने साध लिए? फिलहाल इन सभी सवालों के जबाब पुलिस की निष्पक्ष विवेचना से ही निकल सकते हैं जो बढ़ते राजनीतिक दबाव में संभव नहीं दिख रहा और एक बार फिर राजनीति की बलि वेदी पर पांच निर्दोषों की बलि चढ़ रही है। जिले का पूरा मीडिया समुदाय सच्चाई जानते हुए और यह जानते हुए कि अपने साथी स्वतंत्र प्रभात समाचार पत्र के जिला प्रभारी आशीष त्रिपाठी के निर्दोष भाई को जेल भेज दिया गया, उन्हे न्याय नहीं दिला पा रहा है । न्याय का सिद्धान्त भी यही कहता है कि दोषी बचे नहीं निर्दोष फंसे नहीं । इसलिए इस घटना की उच्च स्तरीय जांच व पुलिस द्वारा निष्पक्ष विवेचना आवश्यक है ।

बाइट शीतला प्रसाद मिश्रा, अध्यक्ष, प्रेस क्लब अमेठी

अमेठी से अशोक श्रीवास्तव की रिपोर्ट