इसे पिता की मजबूरी कहें या प्यार,  पोषण करने वाले को लिखा भावनात्मक खत, नवजात शिशु को बाप ने झोले में जरूरत के सामान सहित फेंका

मार्मिक खबर यूपी के अमेठी से है जहां एक पिता ने अपने ही परिवार से खतरे की आशंका जताते हुए अपने दुधमुंहे बच्चे को झोले में रखकर कोतवाली मुंशीगंज के त्रिलोकपुर गांव में आनंद ओझा पुत्र दीनानाथ ओझा के घर के बगल मे रखकर चला गया। झोले में बच्चे के लिए सर्दी से बचने के सभी जरूरी सामान के साथ 5 हजार रूपए भी रखा हुआ मिला।

दरअसल मामला कुछ ये था कि बीती शाम एक व्यक्ति झोले में नवजात बच्चे को रख कर त्रिलोकपुर निवासी आनंद ओझा के घर के पास की बाग में रखकर चला गया। कुछ महिलाएं जो उस समय उस व्यक्ति को धुंधलके में आता हुआ देखी थी उनके अनुसार व्यक्ति सूबेदार का पुरवा की तरफ से आया था। महिलाएं जबतक कुछ समझ पाती कि युवक झोला रखकर वापस चला गया। बच्चे के रोने की आवाज सुनकर आनंद ओझा के साथ कुछ ग्रामीण वहां पहुंचे और झोले को उठाया तो बच्चा उसी मे रखा हुआ मिला।

मामले की सूचना ग्रामीणों ने डायल 112 को दी। सूचना मिलते ही डायल 112 तुरंत मौके पर पहुंची। मामले की सूचना स्थानीय कोतवाली को भी दी गई तो इसे गंभीरता से लेते हुए कोतवाली मुंशीगंज से भी पुलिस आ पहुंची और मामले की छानबीन में जुटी।

पुलिस की जांच पड़ताल के ही दौरान पुलिस को झोले मे रखा हुआ 5 हजार रूपए, सर्दी को देखते हुए उसके लिए सभी जरूरी सामान जैसे गर्म कपड़े, जूता, जैकेट, साबुन, विक्स, दवा, 5 हजार, के साथ ही बच्चे के पीटा द्वारा अंग्रेजी में लिखा हुआ एक भावनात्मक पत्र बच्चे का पोषण करने वाले के लिए लिखा मिला।जिसमे बच्चे को पालन पोषण करने की अपील की गयी है। बच्चे पालन पोषण के एवज में पांच हजार माहवारी देने की बात भी की गई है।

पिता ने खत में लिखा है,*यह मेरा बेटा है इसे मैं आपके पास छह-सात महीने के लिए छोड़ रहा हूं, हमने आपके बारे में बहुत अच्छा सुना है, इसलिए मैं अपना बच्चा आपके पास रख रहा हूं, 5000 महीने के हिसाब से मैं आपको पैसा दूंगा। आपसे हाथ जोड़कर विनती है कि कृपया इस बच्चे को संभाल लो मेरी कुछ मजबूरी है। इस बच्चे की मां नहीं है। और मेरी फैमिली में इसके लिए खतरा है, इसलिए छह-सात महीने तक आप अपने पास रख लीजिए सब कुछ सही करके मैं आपसे मिलकर अपने बच्चों के लिए जाऊंगा। कोई बच्चा आपके पास छोड़ कर गया यह किसी को मत बताना नहीं तो यह बात सबको पता चल जाएगी। जो मेरे लिए सही नहीं होगा सबको यह बता दीजिएगा। यह बच्चा आपके किसी दोस्त का है जिसकी बीवी हॉस्पिटल में है कोमा में। तब तक आप अपने पास रखिए, मैं आपसे मिलकर भी दे सकता था। लेकिन यह बात मेरे लिए यह बात मेरे तक रहे तभी सही है। क्योंकि मेरा एक ही बच्चा है आपको और पैसा चाहियेगा तो बता दीजिएगा। मैं और दे दूंगा बस बच्चे को रख लीजिए। इसकी जिम्मेदारी लेने को डरियेगा नहीं। भगवान ना करें अगर कुछ होता है तो फिर मैं आपको ब्लेम नहीं करूंगा। मुझे आप पर पूरा भरोसा है बच्चा पंडित के घर का है*।

मुंशीगंज कोतवाली प्रभारी मिथिलेश सिंह ने बच्चे को कॉलर के ही सुपुर्द करने को आदेशित किया। इस अनोखी घटना से लोगो मे तरह तरह की बाते उड़ने लगी है। कोई माँ को कोस रहा है। तो कोई बाप के स्नेह व मजबूरी में प्यार देख रहा है। लेकिन अबोध शिशु का क्या दोष जो इस ठण्ड में माँ बाप से दूर रहने की सजा काट रहा है।

अमेठी से अशोक श्रीवास्तव की रिपोर्ट