जिन हाथों नें बंदूक उठाई थी आज उन्हीं हाथों नें उठाया हल ,खेती किसानी कार्यों सें बनें अग्रणी कृषक

नक्सल गतिविधीयों को छोड़कर किया आत्मसमपर्ण ,मुख्यधारा मे जुड़कर अपनायापरिवारीक कृषि पेशा , नई कृषि तकनीक से जुड़करजैविकखाद से अपनाया समन्वकृषि पद्धतियों से बदलाव देख सैकड़ों किसानों के लिए बनें प्रेरणास्रोतनक्सल गतिविधीयों को छोड़कर किया आत्मसमपर्ण ,मुख्यधारा मे जुड़कर अपनाया परिवारीक कृषि पेशा , नई कृषि तकनीक से जुड़कर जैविकखाद से अपनाया समन्वकृषि पद्धतियों से बदलाव देख सैकड़ों किसानों के लिए बनें प्रेरणास्रोत

बलरामपुर 02अक्टूबर।आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयंती हम सभी मना रहे है,लेकिन इस दफा कोरोनाकाल की वजह से आयोजनों पर तमाम पाबंदी के वावजूद , उनके जीवन के अहम उद्देश्यो में स्वच्छता के साथ ग्रामीण परिवेश में कृषि कार्यों सें आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सपनों को साकार प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भुपेश बघेल व राज्य सरकार ने अपनी अहम प्राथमिकता में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्तिकरण के लिए कृषि कार्यों में दशकों से चली आ रही परंपरा को बरकरार रखने के साथ साथ कृषि कार्यों में आधुनिक तकनीक व कृषि पद्धति सें कृषकवर्ग को जोड़कर ग्रामीण परिवेश में ही आर्थिक आत्मनिर्भता के सपने को साकार करने में अहम भूमिका जिला प्रशासन व कृषि अमला कर रहा है। जिससें ना केवल राष्ट्रपिता के सबसे अहम सपने साकार होने के अलावा हिंसा के मार्ग को छोड़कर आए लोग आज हाथों में बंदूक व नक्सल विचारधारा को त्याग कर कृषि कार्यों सें समाज की मुख्यधारा में जुड़ने के अलावा सैकड़ों किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभरे कभी हाथों में बंदूक रखने वाले हाथों में हल नें बदलाव की मुहिम में आज कंधे से कंधा मिलाकर चलने सें हमारे एकीकृत सरगुजा अंचल के सामाजिक परिवेश से नई सोच व उत्साह के बदौलत उन्हीं हाथों ने हल थामकर हमारे ग्रामीण परिवेश में कृषि का महत्व को फिर से स्थापित करने में अहम चेहरे के साथ अपनी मेहनत व लग्न से कहते है ना जहां चाह है वहां राह है,इन पंक्तियों को साकार करने मेंविपरीत भौगोलिक परिवेश में होने के वावजूद बलरामपुर-रमानुजगंज जिले में नक्सल गतिविधीयों मे भटककर पहुचने वाले बलरामपुर ब्लाक के अंतर्गत आने वालेग्राम पुटसुरा के अग्रणी कृषक के रूप में अपनी पहचान हासिल करने वाले मसीदास किस्पोट्टा नें संभव कर बदलाव के साझी बनकर उभरे हैं। खुद मसीहदास बताते हैं की कभी हाथों में बंदूक थामने के बाद वापस सामाजिक परिवेश में आने के बाद परिवार के दशकों पुरानी पेशा कृषि कार्यों को अपनाने के बाद हाथों में हल लेकर मेहनत व लग्न से पहले धान व मक्के की खेती कर अपने परिवार का भरणपोषण करते थे,इसी दरम्यान.कृषि विभाग द्वारा पिछड़ी जनजाति समुदाय के लोगों को चिन्हित कर आत्मा योजना अन्तर्गत अन्य कृषकों के साथ इनकी बाड़ियों में समन्वित कृषि प्रणाली का प्रदर्शन कराने के लिए चयनित किया गया ।जिसमें मसीदास के बाड़ी का करीब 20 डिसमिल क्षेत्र में कृषि विभाग के मैदानी कर्मचारियों के देख-रेख एवं तकनीकी मार्गदर्शन में समन्वित कृषि प्रणाली माॅडल मेंं उनके साथ अन्य 74 किसानों के लिए तैयार किया गया।जिसमें कृषकों को शामिल कर इस विधि के संबंध में हर पहलूओं को बारिकी से समझकर व अपने ही भूमि में नवीन तकनीक व पद्धति के प्रति पूरी तरह से जानकारी प्राप्त करने व कार्यो को करनें के लिए स्वप्रेरित होकर जुड़े। इसी योजना सें कृषक मसीदास उत्साह के साथ जुड़कर समन्वित कृषि प्रणाली के विषय में ना केवल अवगत हुए वरन लग्न व मेहनत से इस विधी से कृषि कार्यों को करते हुए बाड़ी में पैदावार से अच्छी उत्पादन हासिल कर अतरिक्त आय अर्जित करने का सफल माध्यम कहे या आज उन्हें अपनी जमीन के छोटे ही हिस्से में खेती किसानी के अलावा मच्छली पालन करने सें शुरूआत में ही अपने परिवार के लिए अपनी ही बाड़ी से हरी सब्जियों की आपूर्ति कर रहे हैं।इसके अलावा चर्चा करने पर उन्होंने हुए बताया कि घर के निकट होने से बाड़ी की अच्छे से देख-रेख हो जाती है। इसके साथ साथ नियमित तौर पर करने से एक ही स्थान से धान, मछली एवं सब्जी का उत्पादन होने से काम आसान हो गया है एवं कम लागत में ही अच्छी आय प्राप्त हो रही है।उन्होंने बताया कि माॅडल की विशेष बात यह है कि इससे किसान परिवार के लिए सब्जी की आवश्यकताओं की पूर्ति तो होती ही है,इसके अतरिक्त सब्जियां बाजार में भी बेच कर आय अर्जित करने का माध्यम बतौर उभर कर सामने आया है।मसीदास बताते हैं कि खुद उन्होंने वर्तमान में कुछ समय पहले ही अपनी बाड़ी में बरबटी एवं करेले का रोपण किया था।इसकी अच्छी उत्पादन सें कुछ ही समयकाल मे ही परिवार के लिए सब्जियों की आपूर्ति के साथ साथ स्थानीय तौर पर बिक्री कर करीब 8 हजार की आय चंद हफ्तों में हासिल किया है।इसके अलावा उन्होंने अन्य शेष जमीन पर खेती से जुड़े मसलों पर बताते हैं कि वर्तमान में धान की फसल अच्छी तैयार हो रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ बाड़ी में निर्मित तालाब में मछली का उत्पादन भी अच्छा है। मसीदास जिन्दगी में हुई इस बदलाव से खुश हैं ,उन्होंने राज्य सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा है कि किसान को समन्वित कृषि प्रणाली को अपनाने के अक्सर उनके पास आने वाले किसानों को बताते हैं। वहीं उक्त संबंध में उप संचालक कृषि अजय अनंत ने बताया कि समन्वित कृषि प्रणाली एक कारगर तकनीक है तथा इसका फायदा किसानो को देखने को मिल रहा हैं। समन्वित कृषि प्रणाली से एक ही स्थान पर मछली, सब्जी एवं धान के उत्पान से लगभग 25 से 30 हजार की आमदनी प्राप्त हो सकती है। इस माॅडल से किसान प्रेरित हो रहे हैं तथा आगामी समय में इसका विस्तार करने की योजना है।वहीं दूसरी तरफ मसीदास को देखकर अब उनके गांव सहित आसपास के क्षेत्र में रहने वाले कृषक भी खेती किसानी के तरीकों को देखकर नवीन विधि से खेती किसानी कार्यो के प्रति रूझान बढने लगा और कृषि कार्यों में विधी का पालन कर उत्पादन के साथ आय अर्जित करने में जुट गए हैं।