पुलिस की भारी चूक से हुई विभाग की किरकिरी,मारपीट के मुकदमे में धारा 302 की कर दी बढ़ोत्तरी जबकि किसी की नहीं हुई है मौत अबतक, पीड़ित पहुंचा कोर्ट की शरण में

खबर यूपी के अमेठी से है जहां पुलिस की लालफीताशाही के चलते मामूली वाद विवाद को भी किसी दबाव में बड़ा रूप देकर पीड़ित को ही परेशान करने की घटना सामने आ रही है। मामूली से मारपीट की घटना में पीड़ित के ऊपर 302 की धारा बढ़ाकर पुलिस ने अपनी भद्द करवा दी है जबकि इस मामले में किसी की मौत हुई ही नहीं है।

मामला संग्रामपुर थाने क्षेत्र के राजस्व गांव माना पट्टी साकर का है। इस गांव के निवासी राम सुमेर यादव उम्र लगभग 75 वर्ष व स्वामी नाथ यादव उम्र लगभग 55 वर्ष के बीच जमीन खाता संख्या 279 नवीन परती को लेकर विवाद चल रहा है जिसमें आज भी राम सुमेर यादव की 40 साल पुरानी ट्यूब वेल, पेड़, पुस्तैनी घर व मंदिर मौजूद है लेकिन विपक्षी स्वामी नाथ यादव उस जमीन, घर सहन आदि को अपना बताकर कब्जा करना चाहता है जिसका विरोध राम सुमेर यादव व उनका परिवार शुरू से करता आ रहा है।
इसी मामले में बीते 19 मई 2020 को दोनों पक्षों में मारपीट हो गई जिसकी सूचना दोनों पक्षों ने संग्रामपुर थाने पर तहरीर दी और मुकदमा दर्ज कराया जिसमें रा मामले में दोनों पक्षों का मेडिकल भी हुआ। पीड़ित राम सुमेर यादव को गहरी चोट भी आयी लेकिन मेडिकल करने वाले सीएचसी संग्रामपुर के डॉक्टर धीरेन्द्र कुमार ने किसी दबाव में राम सुमेर को हलकी चोट लगने का मेडिकल प्रमाणपत्र जारी कर दिया जबकि विपक्षी स्वामी नाथ यादव को गंभीर चोट दिखा दिया जबकि वास्तविकता इसके एकदम उलट थी। गंभीर चोट से पीड़ित राम सुमेर यादव का इलाज लगभग 1 माह तक निजी डॉक्टरों से कराया जाता रहा।
मामले में नया मोड़ तब आया जब पीड़ित राम सुमेर यादव द्वारा विपक्षी स्वामी नाथ यादव के विरूद्ध मुकदमा को 02 जून को निस्तारित कर दिया गया और विपक्षी स्वामी नाथ यादव के तरफ से दौरान विवेचना धारा 302 की बढ़ोत्तरी कर दी गई जबकि इस मामले में किसी की मौत हुई ही नहीं है। आखिर अब पुलिस मृतक का नाम व पहचान कहां से लाएगी।

वहीं जब पीड़ित राम सुमेर यादव के लड़के राम मूरत यादव से इस मामले में बात की गई तो उन्होंने बताया कि पुश्तैनी जमीन पिता जी के नाम से है, विपक्षी स्वामी नाथ हमारी जमीन को राजस्व विभाग व पुलिस की शह पर कब्जा करना चाहता है। मारपीट के मामले में चोट दोनों को लगी लेकिन मौत आज तक किसी की हुई ही नहीं फिर भी दौरान विवेचना दबाव में बिना किसी जांच के पुलिस ने हमारे मुकदमे को निस्तारित कर दिया और विपक्षी की तरफ से दौरान विवेचना धारा 302 की बढ़ोत्तरी भी कर दी गई। अब इस मामले में न्याय पाने के लिए उच्च न्यायालय में भी पहुंचा दिया गया है।

वहीं जब इस मामले को लेकर प्रभारी निरीक्षक संग्रामपुर से फोन पर जानकारी की गई तो उन्होंने कहा कि ऐसा लिपिकीय त्रुटिवश हो गया है जिसे सुधार कर लिया जाएगा।