कबाड़ दुकान के नाम पर अवैध धंधा प्रशासन की सह पर फल-फुर रहा कोयलांचल क्षेत्र पटना मे

कोरिया 26 अगस्त। बिना लाइसेंस और प्रशासन की अनुमति के बिना भी होता है करोड़ों का कारोबार। इस कारोबार में किसी का नहीं है नियंत्रण। धड़ल्ले से फल-फूल रहा है अवैध कारोबार। छोटे बच्चों को धंधे में लगा कर धकेल रहे अपराध की दुनिया में। कोयलांचल क्षेत्र पटना मे बे धडक अवैध कबाड़ का कार्य जोरों पर चल रहा है, जिसकी सुध लेनें वाला कोई नहीं है। जो प्रतिमाह शासन-प्रशासन को करोड़ों रुपयों का चूना लगा रहे है। कोयलांचल क्षेत्र पटना में इन दिनों धड़ल्ले से कबाड़ियों का अवैध कारोबार चल रहा है। इस व्यवसाय को करने के लिए न तो किसी को लाइसेंस की जरूरत होती है और न ही किसी की अनुमति की आवश्यकता होती है। इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सिर्फ एक स्टाक रजिस्टर की जरूरत होती है। स्टॉक रजिस्टर में खरीद-बिक्री किए गए समान को दर्ज कर इस व्यवसाय को आसानी से किया जा सकता है। इस व्यवसाय में शासन और प्रशासन का कोई रोकटोक नहीं होता है। मजेदार बात यह कि पटना क्षेत्र मे कटकोना व पण्डोपारा कॉलरी है जहां एस.ई.सी.एल के मशिनों सहित अन्य कई बेश किमती समानों की चोरी प्रतिदिन लाखों रुपयों की हो रही है जिसके बाद भी एस.ई.सी.एल प्रबंधन अपनी आंख मुंदे बैठा हुआ है। पटना क्षेत्र मे कुल मिलाकर अवैध कबाड का धंधा बेरोकटोक व बेखौफ चल रहा हैं। इन पर किसी का नियंत्रण नहीं होने से क्षेत्र के युवा वर्ग अपना भविष्य अंधकार मे डालकर दो पैसे के लिए कबाड चोरी मे मसगुल है। क्षेत्र के कबाड़ी बिना सत्यापन के ए.ई.सी.एल, रेल्वे व नवनिर्मित शासकीय भवनों के चोरी के समाना को बेधड़क खरीद रहे हैं। इस व्यवसाय में पटना क्षेत्र के लोग सक्रिय हैं। उनके द्वारा ही इस व्यवसाय को बढ़ावा दिया जा रहा है। आलम यह है कि पुलिस कबाडिय़ों पर नकेल नहीं कस पा रही है। कभी कभार ऐसे लोगों पर कार्रवाई कर औपचारिकता पूरी की जाती है। जिले में अक्सर एस.ई.सी.एल, सोलर प्लेट, साइकिल व बाइक चोरी की घटनाएं होती रहती हैं। दिन-दहाड़े सार्वजनिक स्थानों से साइकिल और बाइक चोरी हो रहीं हैं। साइकिल चोरी होने पर अमूमन लोग थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराते, क्योंकि पुलिस इसे छोटा मामला बताकर ध्यान नहीं देती। बाइक चोरी की रिपोर्ट तो लिखी जाती है, लेकिन अक्सर ये वापस नहीं मिलते। इसका कारण यह है कि चोरी की साइकिल और बाइक के कलपुर्जे को अलग-अलग कर कबाड़ में बेच दिया जाता है। इसके अलावा इस धंधे में लोहे के सामान व घरेलू उपयोग के सामान सहित कई कीमती समान पानी के मोल कबाड़ी अपने दलालों के माध्यम से खरीद कर शासन को करोड़ो रुपयों का नुकसान करा रहे है। कबाड़ व्यवसाय के लिए शासन ने कोई स्पष्ट नियम नहीं बनाया है, पर इसके लिए लाइसेंस जरूरी है। पटना क्षेत्र में कबाड़ की दुकान मे कोई वैध लाइसेंस नहीं है। कोयलांचल क्षेत्र पटना, कटकोना व पण्डोपारा की दुकानें अवैध है क्योंकि उनके पास खरीदी-बिक्री की कोई रसीद भी नहीं होती। हालांकि औद्योगिक क्षेत्र नहीं होने के कारण यहां कबाड़ का बड़ा व्यवसाय नहीं होता। कई मामले ऐसे भी आए हैं, जिनमें कबाड़ी बच्चों से चोरी के माल खरीदते हैं। वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किशोरों को चोरी करने के लिए प्रेरित करते हैं। ये किशोर प्राय: गरीब तबके के होते हैं। पारिवारिक व सामाजिक मार्गदर्शन नहीं मिलने से वे घरो के आसपास फेंके गए कचरे में से कबाड़ चुनते है बाद में इन बच्चों पर पारिवारिक नियंत्रण नहीं होने के कारण नशे के गिरफ्त में आ जाते है और अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए चोरी के धंधे में उतर आते है। कबाड़ का व्यवसाय करने वालों के खिलाफ पुलिस के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने से इनके हौसले बुलंद हो गए हैं और ये बेधड़क चोरी के सामानों की खरीद बिक्री के काम में लगे हुए हैं। यदि पुलिस के द्वारा ऐसे व्यवासियों में कड़ी कार्रवाई की जाएगी तो पटना क्षेत्र से चोरी हुए कई समान इनके पास से बरामद हो सकता है। यहां के कबाड़ी के पास ज्यादातर भवन निर्माण में उपयोग होने वाले छड़,वाहनों के चक्के एवं अन्य सामाग्री आसानी से बरामद किया जा सकता है। इसके साथ ही इस मार्ग से बड़ी मात्रा में ट्रकों में कबाड़ भर कर पडोसी जिला सुरजपुर भेजा जाता है। पटना थाना ने लगभग दो तीन वर्ष पहले अवैध कबाड़ से लदी ट्रक को पकड कर कार्यवाही की थी, जिसके बाद से अब लगभग एक भी अवैध कबाड पर कार्यवाही नहीं हुई है। इतना ही नही पटना थाने से महज कुछ दुरी पर ही पटना बस स्टैण्ड के पास नीम पेड के निचे अवैध गांजे व सट्टे का कारोबार भी धड्ल्ले से चल रहा है, जिसके बाद भी पटना पुलिस के द्वारा कार्यवाही नही की जा रही है, जिससे ऐसे अवैध कारोबारियों के हौसले बुलंद है।