व्यापारी कर रहें हैं अपनी मनमानी, नही मान रहे हैं प्रशासन की बात यहा क़े व्यापारियों को नहीं है कोरोनावायरस से डर

कोरिया-सप्ताह में एक दिन व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रखने का प्रावधान गुमाश्ता एक्ट में तो है, लेकिन नगर में यह व्यवस्था आजतक लागू नहीं हो सकी है। करीब 30 हजार के ऊपर की आबादी वाला शहर नहीं जानता कि गुमाश्ता क्या है। श्रम विभाग ने इस संबंध में पहल की है और पिछले हप्ते कुछ दुकानों मे चालानी कार्यवहीं भी की गई है जिसके बाद भी वही दुकानें खुली है जिस दुकान का चालान काटा गया था। शहर की करीब एक हजार से अधिक छोटी बड़ी दुकानों के खुलने एवं बंद होने का समय निश्चित नहीं है। सैकडों दुकान व प्रतिष्ठानों पर कार्यरत डेलीवेसेज कर्मचारियों को तो सप्ताह में एक दिन की भी छुट्टी नहीं मिल सकती। इन्हें सुबह आठ बजे से रात 10-11बजे तक काम करना पड़ता है। गुमाश्ता लागू होता तो इन गरीबों को कम से कम एक दिन की राहत और समय पर काम से छुट्टी मिल जाती। लेकिन एक दिन की अतिरिक्त कमाई करने में जुटे व्यवसायियों को इसकी चिंता नहीं है। हालांकि सप्ताह में एक दिन दुकानें बंद रखने का निर्णय शहर के व्यापारियों ने लिया भी था लेकिन कुछ दिन अमल करने के बाद सब कुछ पहले जैसा हो गया। यदि श्रम विभाग ने थोड़ी मेहनत और कर दें तो अन्य दुकानदार भी इसमें शामिल हो जाते लेकिन कुछ दुकानदार अपने पहचान का गलत फायदा उठा कर अपनी दुकान खोलकर शनिवार को भी बैठ जाते है।�

�कुछ व्यापारी बोले क्यों बंद करें दुकानें

श्रमिकों को सप्ताह में एक दिन का अवकाश वाले श्रम कानून को ठेंगा दिखाते व्यापारियों का तर्क है कि गुमाश्ता लागू नहीं है तो फिर क्यों बिना वजह दुकान बंद रखें। जब श्रम विभाग के अधिकारी प्रयास नहीं कर रहे तो दूसरों को क्या पड़ी है कि गुमाश्ता लागू करवाएं। गुमाश्ता एक्ट का सख्ती से पालन कराने की संपूर्ण जिम्मेदारी श्रम विभाग की है। पूर्व में नगर पालिका गुमाश्ता लाइसेंस दिया करती थी जो अब श्रम विभाग द्वारा जारी होता है। श्रम विभाग की लापरवाही के चलते गुमाश्ता एक्ट लागू नहीं होने से व्यापारियों के हौसले बुलंद हैं।